प्रभाकर चौबे फाउंडेशन का आयोजन: कविता संग्रह “घुप्प-शुभ्र-घना कोहरा” का विमोचन, पाठ एवं विमर्श

 प्रभाकर चौबे फंडेशन के तत्वावधान में वरिष्ठ ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता  स्वतंत्र लेखक एवं कवि श्री अरुण कांत शुक्ला के द्वितीय कविता संग्रह “घुप्प- शुभ्र- घना कोहरा ” का विमोचन ,पाठ एवं विमर्श का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री रवि श्रीवास्तव ने की और वरिष्ठ व्यंग्यकार श्रीमती स्नेहलता पाठक एवं वरिष्ठ कवि डॉ आलोक वर्मा ने  मुख्य वक्तव्य दिया। कार्यक्रम का संचालन प्रभाकर चौबे फाउंडेशन के अध्यक्ष जीवेश चौबे ने किया।

विदित हो कि पूर्व में अरुणकांत शुक्ला का एक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुका है। अरुणकांत शुक्ला नगर के प्रमुख ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र लेखक के रूप में जाने जाते हैं। वे लगातार समसामयिक मुद्दों पर भी अपने लिखते रहते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत में आमंत्रित अतिथियों का पुष्प गुच्छ से सम्मान किया गया। इसके पश्चात  कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री रवि श्रीवास्तव , श्रीमती स्नेह लता पाठक, डॉ आलोक वर्मा ,श्री नवल  शुक्ल एवं जीवेश चौबे के कर कमलों द्वारा अरुण कांत जी के काव्य संग्रह का विमोचन किया गया। 

  विमोचन के पश्चात सर्वप्रथम कवि अरुणकांत शुक्ला द्वारा अपने संग्रह की कुछ चुनिंदा कविताओं का पाठ किया गया। उपस्थित सुधिजनो ने कविताओं को काफी सराहा । तत्पश्चात संग्रह पर सर्वप्रथम अपने विचार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ महिला व्यंग्यकार श्रीमती स्नेहलता पाठक ने कहा कि अरुणकांत जी के संग्रह का शीर्षक कुछ कठिन होने के बावजूद काफी आकर्षक है और संग्रह की कविताओं को सार्थक करता है। उन्होंने कहा कि हालांकि संग्रह बहुत छोटा है मगर इसका प्रभाव काफी व्यापक स्तर पर पड़ता है।

  अगले वक्ता वरिष्ठ कवि डॉ आलोक वर्मा ने अपने वक्तव्य के पूर्व विगत वर्षों में दिवंगत हुए अपने वरिष्ठ साहित्यकारों प्रभाकर चौबे, ललित सुरजन, तेजिंदर , आबिद अली जैसे साथियों को याद करते हुए अपनी बात शुरू की। उन्होंने कहा कि अरुणकांत जी की कविताएं महज नारेबाजी की कविताएं नहीं हैं बल्कि सामाजिक समय को व्यक्त करती संवेदनशील कविताएं हैं। डॉ आलोक वर्मा ने कहा कि हर कवि कि आकांक्षा होती है कि वह कुछ ऐसी कविताएं लिखे जिसे पाठक बार बार पढ़ना चाहे उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि अरुणकांत जी इस और गंभीरता से विचार करेंगे और  तीसरे संग्रह में हमे ऐसी कविताएं पढ़ने मिलेंगी।इसके बाद श्रोताओं ने भी कविताओं पर अपने विचार व्यक्त किए। 

अंत में अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ साहित्यकार श्री रवि श्रीवास्तव ने अरुणकांत जी की कविताओं का उद्धरण देते हुए इनके के व्यापक संदर्भ की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि चार दशक तक ट्रेड यूनियन से जुड़े रहे अरुणकांत जी की कविताओं में जनपक्ष की प्रमुखता स्वाभाविक है मगर इसके साथ साथ उन्होंने मानवीय भावनाओं को भी अपनी कविताओं में सशक्त रूप से उजागर किया है। उन्होंने आयोजन की सराहना करते हुए जोर देकर कहा कि साहित्यिक किताबों पर लगातार बातचीत होनी चाहिए। यह आज की सबसे बड़ी जरूरत है। अंत में अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए प्रभाकर चौबे फाउंडेशन के अध्यक्ष जीवेश चौबे ने घोषणा की कि आने वाले दिनों में इस तरह के नियमित आयोजन किए जाएंगे। कार्यक्रम में साहित्य, संस्कृति एवं रंगकर्म से जुड़े व्यक्तियों सहित नगर के सुधिजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे। 

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