शंकरानंद की कविताएं-

1-भरोसा

कोई अगर आंख बंद किए

चल रहा है हाथ पकड़ कर

तो उसके रास्ते के पत्थर देखना

संभालना गिरने से पहले

जब भी वह कुछ कहे तो सुनना

देखना कि

उसकी आंखें क्या देखना चाहती हैं

सुनना उसकी हर आवाज

जो कहने से पहले

रुक जाए कंठ में

बहुत मुश्किल से मिलता है वह कंधा

जिस पर सिर टिकाया जाए तो

ग्लानि नहीं हो

सुकून मिले।

( आप इस लिंक पर इस कविता का वीडियो भी देख सकते हैं।)

https://youtu.be/LazPhR-Va2g

2-कठिन जीवन

पानी में गुंधे हुए आटे का दिन

खत्म होता है 

चूल्हे की तेज आग पर सीझने के बाद

नमी भाप की तरह उड़ जाती है

हासिल होती है पकने की तसल्ली

यह पूरी पृथ्वी कठिन जीवन का मानचित्र है

कोई विकल्प नहीं इस हौसले का

उठता हुआ धुआं फैलता है तो

तमाशा देखते तमाम लोग

उम्मीद से भर जाते हैं

वे इत्मीनान से जीने वाले लोग हैं

जिन्हें पता है कि

पेट की आग

न जाने कितनों को राख बना देती है।

( आप इस लिंक पर इस कविता का वीडियो भी देख सकते हैं।)

https://youtu.be/maeb0jiDv0Q

शंकरानंद – जन्म 8 अक्टूबर ।  युवा कवि । नए तरह के प्रतीक और बिंब रचती कविताओं के लिए जाने जाते हैं । ये कविताएँ अपने विन्यास में भले ही छोटी जान पड़े, पर अपनी प्रकृति में अपनी रचनात्मक शक्ति के साथ, चेतना को स्पर्श करती हैं । प्रकाशित कविता संग्रह- दूसरे दिन के लिए, पदचाप के साथ, इनकार की भाषा

संपर्क- क्रांति भवन, कृष्णा नगर, खगड़िया – 851204

मोबा.- 8986933049

Email- shankaranand530@gmail.com

2 thoughts on “शंकरानंद की कविताएं-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *