एन.के. सिंह क्या आज के चुनाव आयोग में शेषन जैसी हिम्मत है? शायद नहीं, क्योंकि उस समय तक मोदी और अमित शाह की जगह अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी हुआ करते थे और राजनीति में कुछ परदे अभी भी बचे थे। सुप्रीम कोर्ट तक ने हाल ही में एक सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से […]
Read Moreअनिल जैन केरल हाई कोर्ट के हस्तक्षेप से एक ग़लत नज़ीर कायम होने से बच गई। मगर सवाल है कि क्या चुनाव आयोग भविष्य के लिए इससे कोई सबक़ लेगा। पिछले छह-सात सालों के दौरान केंद्र सरकार की करतूतों से वैसे तो देश की सभी संवैधानिक संस्थाओं की साख और विश्वसनीयता पर बट्टा लगा है, लेकिन […]
Read Moreशंभूनाथ शुक्ल कोरोना कोई ढोल बजा कर नहीं आता। अगर कुंभ स्थगित हो जाता तो न धर्म का लोप होता न हिंदू समाज का। अलबत्ता एक मैसेज यह जाता कि हिंदू एक सहिष्णु और सभ्य व वैज्ञानिक चेतना वाली क़ौम है। कोई भी धर्म, कोई भी कर्मकांड, कोई भी विचार मनुष्य से ऊपर नहीं हो […]
Read Moreअनिल अंशुमन इस पुस्तकालय में अरबी, फ़ारसी व अंग्रेजी की 21 हज़ार से भी अधिक दुर्लभ प्राच्य पांडुलिपियाँ और 25 लाख से भी अधिक मुद्रित पुस्तकों का अद्भुत संग्रह मौजूद हैं। “वर्षों पूर्व अपने समय के चर्चित अध्ययन व ज्ञान–संस्कृति के केंद्र नालंदा विश्वविद्यालय में रखी ऐतिहासिक धरोहर पुस्तकों–पांडुलिपियों को सत्ता साजिश के तहत आग […]
Read Moreप्रकाश करात 2021-22 के बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में 137 फीसद बढ़ोतरी का बहुत लंबा-चौड़ा दावा किया गया है। जबकि वास्तव में 2021-22 के बजट में स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण विभाग के लिए बजट प्रावधान में, 2020-21 के वास्तविक खर्च के मुकाबले, 9.6 फीसद की कटौती ही हुई है। कोविड-19 के संक्रमणों की दूसरी […]
Read Moreहाल में जारी अपनी रिपोर्ट में ‘फ्रीडम हाउस’ ने भारत का दर्जा ‘फ्री’ (स्वतंत्र) से घटाकर ‘पार्टली फ्री’ (अशंतः स्वतंत्र) कर दिया है. इसका कारण है भारत में व्याप्त असहिष्णुता का वातावरण और राज्य का पत्रकारों, विरोध प्रदर्शनकारियों और अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार. गत 19 मार्च को झांसी रेलवे स्टेशन का घटनाक्रम इसी स्थिति को […]
Read Moreअजय कुमार वही हो रहा है जिसकी आशंका बहुतेरे लोगों ने जताई थी। सरकारी कंपनियां निजी कंपनियों में बदलेंगे तो सबसे पहले आरक्षण पर ही हमला होगा। उसे ही किनारे लगाया जाएगा। अपना नाम ना बताने की शर्त पर तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने मीडिया में यह बयान दिया है कि सरकार ने सरकारी कंपनियों के […]
Read Moreअजय कुमार क्या गोवा का सिविल कोड वैसा ही यूनिफॉर्म सिविल कोड है जिसकी जरूरत 21 वीं सदी के हिंदुस्तान को है, जिसकी चर्चा हमारे संविधान में की गई है। यूनिफॉर्म सिविल कोड के मामले पर गोवा की बड़ी तारीफ की जाती है। प्रतियोगी परीक्षा के विद्यार्थी भी यह एक लाइन रटते हैं कि गोवा […]
Read Moreस्मृति कोप्पिकर प्रधानमंत्री,उनकी भाजपा,और कई अन्य राजनेता और संगठन अपनी बेशर्म महिला-विरोधी टिप्पणियों से सार्वजनिक माहौल को ख़राब कर रहे हैं। 17-सेकंड की एक क्लिप हर तरफ़ चर्चा का विषय बनी हुई।इसमें एक शख़्स रोष और तंज करते हुए “दीदी,ओ दीदी” कम से कम छः बार बोलता है और यह बोलते हुए वह बीच-बीच में […]
Read Moreएजाज़ अशरफ़ जिस तरह हिंदू कार्ड हिंदुत्व को ख़त्म करने का हथियार नहीं हो सकता, उसी तरह उदार मक़सदों को हासिल करने की लड़ाई को वित्तीय पूंजी के सहारे नहीं लड़ा जा सकता। सत्तावाद के बढ़ते उफ़ान ने दो नए शिकार बनाए,भले ही इन दोनों को दोनों फ़र्ज़ी मामलों में उस तरह जेल नहीं भेजा […]
Read More