लोकतंत्र सूचकांक में भारत 10 नंबर गिरकर 165 देशों की सूची में 51वें स्थान पर पहुंच गया है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना, एनआरसी और सीएए के चलते भारत की लोकतंत्र सूचकांक में रैकिंग गिरी है.
इस सूचकांक के मुताबिक 2019 में नॉर्वे 9.87 स्कोर के साथ पहले पायदान पर रहा. यह वैश्विक सूची 165 स्वतंत्र देशों और दो क्षेत्रों में लोकतंत्र की मौजूदा स्थिति का हाल बताती है. ईआईयू की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की रैकिंग में गिरावट का मुख्य कारण देश में नागरिक स्वतंत्रता में कटौती है. ईआईयू ने भारत को कम स्कोर देने का कारण बताया, “भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से दो महत्वपूर्ण अनुच्छेद हटाकर उससे विशेष राज्य का दर्जा छीना और उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया. इस फैसले के पहले सरकार ने वहां सेना की भारी तैनाती की, कई पाबंदियां लगाईं और स्थानीय नेताओं को नजरबंद किया गया. वहां इंटरनेट पर रोक लगाई गई.”
यह सूचकांक पांच श्रेणियों पर आधारित है चुनाव प्रक्रिया और बहुलतावाद, सरकार का कामकाज, राजनीतिक भागीदारी, राजनीतिक संस्कृति और नागरिक स्वतंत्रता. इनके कुल अंकों के आधार पर देशों को चार प्रकार के शासन में वर्गीकृत किया जाता है. पूर्ण लोकतंत्र 8 से ज्यादा अंक हासिल करने वाले, त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र 6 से ज्यादा लेकिन 8 या 8 से कम अंक वाले, संकर शासन 4 से ज्यादा लेकिन 6 या 6 से कम अंक हासिल करने वाले और निरंकुश शासन 4 या उससे कम अंक वाले. भारत को “त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र” में शामिल किया गया है.
रिपोर्ट ने विवादित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) पर कहा, “असम में एनआरसी लागू होने से करीब 19 लाख लोग अंतिम सूची से बाहर हो गए जिनमें बड़ी संख्या में मुसलमान शामिल हैं. नागरिकता संशोधन कानून से देश में बड़ी संख्या में मुसलमान नाराज हैं. सांप्रदायिक तनाव बढ़ा है और कई बड़े शहरों में इस कानून के खिलाफ विरोध हो रहे हैं.”
वहीं पाकिस्तान की इस सूचकांक में 4.25 स्कोर के साथ 108वें स्थान पर है. चीन 2.26 स्कोर के साथ 153वें स्थान पर है जबकि बांग्लादेश 80वें और नेपाल 92वें स्थान पर है. उत्तर कोरिया 167वें स्थान के साथ सबसे नीचे पायदान पर है.