प्रख्यात अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने सोमवार को कोलकाता लिटरेरी मीट के दौरान कहा कि आंकड़े बता रहे हैं कि भारत मंदी की चपेट में आ सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के बैंकिंग सेक्टर में ठहराव की स्थिति बनी हुई है। सरकार को इसके लिए वित्तीय सहायता मुहैया करानी चाहिए।
एयर इंडिया के निजीकरण को सही ठहराया
आगे उन्होंने कहा कि, ‘जब हम कहते हैं कि देश मंदी की चपेट में आ सकता है, तो हम यह नहीं जानते कि इसका असर कितना होगा। वर्तमान डाटा से यह पता नहीं चलता कि हम मंदी की चपेट में नहीं आ सकते।’ इतना ही नहीं, बनर्जी ने कार्यक्रम के दौरान भारत में संपत्ति कर लगाने और लोगों के बीच वितरण करने की वकालत भी की। आगे उन्होंने केंद्र सरकार के एयर इंडिया जैसी सरकारी कंपनियों के निजीकरण को सही ठहराया।
असंगठित क्षेत्र पर दिया बयान
भारत के असंगठित क्षेत्र को लेकर भी बनर्जी ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र देश में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देता है। लेकिन तब भी इसको लेकर हमारे पास कोई विश्वसनीय डाटा उपलब्ध नहीं है।
2018-19 में 6.8 फीसदी थी विकास दर
2018-19 में विकास दर 6.8 फीसदी रही थी। इस हिसाब से देखा जाए तो फिर इसमें करीब 1.8 फीसदी की गिरावट है। विश्व की सभी रेटिंग एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भारत के जीडीपी अनुमान को काफी घटा दिया है। मूडीज ने मार्च 2020 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुमान 5.8 फीसदी से घटाकर 4.9 फीसदी कर दिया है। फिच ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर के 4.6 फीसदी रहने की संभावना जताई है। वहीं 2020-21 के लिए 5.6 फीसदी और 2021-22 के लिए 6.5 फीसदी का अनुमान जताया है।
विश्व बैंक ने की विकास दर के अनुमान में कटौती
विश्व बैंक ने कहा है कि वित्त वर्ष 2019-2020 में भारत की जीडीपी में बढ़त दर सिर्फ पांच फीसदी रह सकती है। लेकिन अगले वित्त वर्ष में भारत के जीडीपी में विश्व बैंक ने 5.8 फीसदी बढ़त का अनुमान जताया है। यह वर्ल्ड बैंक के अनुमान में बड़ी कटौती है। इससे पहले अक्तूबर माह में विश्व बैंक ने कहा था कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत के जीडीपी में छह फीसदी की ग्रोथ हो सकती है।
आईएमएफ के अनुसार इतनी हो सकती है वृद्धि दर
आईएमएफ ने अक्तूबर में भारत की 2019 की आर्थिक वृद्धि की दर को 6.1 फीसदी और 2020 में इसके सात फीसदी तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया था।
रेटिंग एजेंसी फिच ने भी घटाया अनुमान
रेटिंग एजेंसी फिच इंडिया ने वित्त वर्ष 2021 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बढ़त दर 5.5 फीसदी रह सकती है और नकारात्मक जोखिम बना रह सकता है। इससे पहले सरकार के अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती को दूर करने के तमाम प्रयासों के बीच फिच ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर के 4.6 फीसदी रहने की संभावना जताई थी। वहीं 2020-21 के लिए 5.6 फीसदी और 2021-22 के लिए 6.5 फीसदी का अनुमान जताया गया था।