आप यकीन करेंगे, घोर राष्ट्रवाद के इस दौर में शहीद की पत्नी विमला देवी सड़क पर सब्जियां बेच रही हैं। जिस दौर में देश के हर स्टेशन पर तिरंगे की ऊंचाई सैकड़ों मीटर तक पहुंच रही है उस दौर में शहीद की पत्नी सौ-दो सौ रुपए की जुगाड़ के लिए तराजू ले आलू-मटर तौलने के लिए मजबूर हैं । ये तस्वीर है सिमडेगा की और ये महिला है शहीद विजय सोरेंगे की पत्नी, दरअसल तराजू में सब्जियां नहीं नीयत तौली जा रही है । सरकारों की नीयत, पीएम-सीएम-डीएम की नीयत । पलड़े पर एक तरफ है शहादत तो दूसरी ओर है नीयत । अगर नीयत अच्छी होती तो शहीद विजय सोरेंग की पत्नी सड़क पर सब्जियां नहीं बेचतीं दिखतीं और ना ही शहीद की बेटियां फर्श पर बैठ खाना खातीं।
14 फरवरी 2019, साल चुनावी था, और माहौल में कहीं से भी इतनी बुरी खबर की आहट नहीं थी, मगर वेलेंटाइन डे की शाम जो खबर आई उसने पूरे मुल्क को हिला कर रख दिया, विमला देवी के लिए तो मानों आसमान टूट पड़ा । बेटियां बिलख पड़ीं , जो पिता चंद दिनों पहले ही छुट्टियां बिता कर लौटा था, रिटायरमेंट की तारीख नजदीक आ रही थी उनकी शहादत की खबर ऐसे आएगी सोचा तक ना था और जब ताबूत में शहीदे के जिस्म के टुकड़े पहुंचे तो देख कर रोंगेट खड़े हो गए, तब सलामी दी गई थी, परिवार की देखभाल का वादा किया गया था… और आज शहीद विजय सोरेंग की पत्नी सड़क पर सब्जियां बेच रही हैं
ये सही है की सब्जियां बेचना अपराध नहीं और ना ही कोई बुरा काम, मगर सवाल तो यहां नीयत का है, पुलवामा में किसकी वजह से इतनी बड़ी शहादत हुई आज तक राज है और तकलीफ ये की सूबे के सीएम रघुवर दास ने 16 फरवरी 2019 को एक माह का वेतन देने का एलान किया था। मंत्रियों ने भी यही बातें कहीं । रघुवर की सरकार चली गई मगर आर्थिक मदद फाइलों में घूमती रही । शहादत का सियासी फायदा खूब उठाया गया था लेकिन विमला देवी और उन तमाम परिवारों के साथ सरकारों ने क्या सलूक किया उसकी तस्वीर है सिमडेगा के हाट में सब्जी बेचती शहीद की पत्नी ।
सिमडेगा से प्रिंस की रिपोर्ट (सौ. कशिश)