अफगानिस्तान में 18 साल से युद्ध चल रहा है. संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में अफगानिस्तान में संघर्ष के दौरान 3,400 से अधिक नागरिकों की मौत हुई. अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के सहायता मिशन (यूएनएएमए) का कहना है कि इस दौरान 6,989 लोग घायल हुए, यह लगातार छठा साल है जब नागरिकों के हताहत होने की संख्या 10,000 के पार हो गई है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में पिछले 10 वर्षों में एक लाख से ज्यादा आम नागरिक मारे गए या घायल हुए. अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर को लेकर नई उम्मीद जगी है.
अंतरराष्ट्रीय संस्था ने 10 साल पहले युद्ध के हताहत के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की थी. आंकड़ों के मुताबिक 2018 के मुकाबले नागरिको के हताहत होने की संख्या में 5 फीसदी की कमी आई है क्योंकि साल 2020 में सालों से जारी संघर्ष के राजनीतिक समाधान की संभावना जताई जा रही है. 2009 में यूएनएएमए ने युद्ध से जुड़े डाटा इकट्ठा करने का काम शुरू किया था और 2019 तक आम नागरिकों की मौत का आंकड़ा एक लाख के पार चला गया है.
यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में 62 फीसदी लोग गैर सरकारी बलों की कार्रवाई में हताहत हुए. इन कार्रवाइयों में 47 फीसदी के लिए तालिबान और 12 फीसदी के लिए इस्लामिक स्टेट को जिम्मेदार माना गया है. अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन की ओर से शनिवार को यह रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की गई है जब अमेरिका और तालिबान के बीच हिंसा कम करने को लेकर सात दिन का समझौता लागू हुआ है. इसी के साथ 29 फरवरी को शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने का रास्ता साफ हो गया है, जिसके बारे में अमेरिका को उम्मीद है कि इससे सबसे लंबा चला युद्ध समाप्त हो जाएगा.
दोनों पक्षों के बीच इसको लेकर पिछले 18 महीनों से बातचीत चल रही है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस शांति समझौते से तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच बातचीत का मार्ग प्रशस्त होगा. अफगानिस्तान में यूएनएएमए के प्रमुख तादामिची यामामोतो ने एक बयान में कहा, “सभी पक्षों के लिए यह जरूरी है कि इस क्षण का इस्तेमाल झगड़ा खत्म करने के लिए होना चाहिए. क्योंकि शांति की जरूरत लंबे समय से है. नागरिक जीवन की रक्षा की जानी चाहिए और शांति स्थापना के लिए कोशिशें जारी हैं.”
एए/एनआर