एक्टिविस्ट और सुप्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका पर किए गए दो ट्वीट माफी मांगने से इनकार करते हुए सजा पर सुनवाई दूसरी बेंच में करवाने की अपील की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया। अब सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने बयान (ट्वीट) पर माफी मांगने पर पुनर्विचार करने के लिए दो दिन का समय दिया है।
विदित हो कि एक्टिविस्ट और सुप्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण न्यायपालिका पर किए गए दो ट्वीट को लेकर अदालत की अवमानना मामले में दोषी करार दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट आज प्रशांत भूषण की सजा पर बहस हुई। भूषण ने सजा पर आज होने वाली बहस टालने और रिव्यू पिटीशन लगाने का मौका देने की अर्जी लगाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ये याचिका खारिज कर दी है। प्रशांत भूषण ने माफी मांगने से इनकार करते हुए सजा पर सुनवाई दूसरी बेंच में करवाने की अपील भी की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया। अब सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने विवादित बयान (ट्वीट) पर माफी मांगने पर पुनर्विचार करने के लिए दो दिन का समय दिया है।
प्रशांत भूषण का कहना है कि वह अपने वकीलों से सलाह लेंगे और 2-3 दिनों में सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर विचार करेंगे। वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत से प्रशांत भूषण को कोई सजा नहीं देने का आग्रह किया। उनका कहना है कि उन्हें पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। इस पर अदालत ने कहा कि जब तक प्रशांत भूषण अपने ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगते, तब तक वो अटॉर्नी जनरल के अनुरोध पर विचार नहीं कर सकते।
इससे पहले बहस के दौरान न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने भूषण को विश्वास दिलाया कि जब तक उन्हें अवमानना मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर निर्णय नहीं आ जाता, सजा संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। न्यायमूर्ति बी आर गवी और कृष्ण मुरारी की पीठ ने भी भूषण का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे से कहा कि वह न्यायालय से अनुचित काम करने को कह रहे हैं कि सजा तय करने संबंधी दलीलों पर सुनवाई कोई दूसरी पीठ करे।
शुरुआत में दवे ने मामले में सजा तय करने पर दलीलों की सुनवाई टालने का अनुरोध करते हुए कहा कि वह दोषी करार दिये जाने के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। ब दें कि इसमें एक विचारक को छह महीने तक के साधारण कारावास या 2,000 रुपये तक के जुर्माने या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने न्यायपालिका के खिलाफ भूषण के दो अपमानजनक ट्वीट को लेकर उन्हें 14 अगस्त को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था ।