कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर के किसानों का गुस्सा फूटा है, 26 से 28 नवंबर तक पंजाब-हरियाणा-राजस्थान के किसान ‘दिल्ली कूच’ पर निकले किसानों को रोकने के लिए प्रशासन हर सम्भव प्रयास करने में जुटा है। पंजाब और हरियाणा के किसान कृषि को लेकर मोदी सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं। सरकार पानी की बौछारों से रोकने की कोशिश करती रही । इस बीच पुलिस और किसानों के बीच ज़बरदस्त टकराव हुआ ।
किसानों के साथ हरियाणा से दिल्ली की ओर कूच कर रहे स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव और 50 से ज्यादा किसानों को गुरुग्राम पुलिस ने हिरासत में लिया। यादव ने कहा कि हरियाणा पुलिस ने मुझे और जय किसान आंदोलन के साथियों को विलासपुर के नजदीक राठीवास मोड़, दिल्ली जयपुर हाईवे के पास रोक दिया है।जहां से हम सभी साथियों को यहां गांव मोकलवास के स्कूल में लाया गया जहां पर हमें बंद किया गया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार किसानों के लोकतांत्रिक आंदोलन से बुरी तरह से घबरा गयी है। उन्होंने कहा, क्या इस देश का किसान होना अपराध है, हमें कहा जा रहा हम शांति भंग कर रहे, पर हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे। योगेंद्र ने कहा, इस आंदोलन को कोरोना नियमो का उल्लंघन कहा जा रहा पर जब हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की रैली थी तब कोरोना नहीं था क्या?
किसानों की माँगें और दलीलें
- सितंबर माह में बनाए गए तीनों नये कृषि क़ानूनों को रद्द किया जाए।
- इन क़ानूनों से उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना बंद हो सकता है।
- किसानों की आशंका है कि नयी व्यवस्था से मंडी व्यवस्था ख़त्म हो जाएगी।
- पहले से ही घाटे में किसान और भी कम दाम पर बेचने को मजबूर होंगे।
- विशेषज्ञ कहते रहे हैं कि किसानों को लागत के अनुसार उपज के दाम नहीं मिलते।
- इससे किसान कृषि बाज़ार के शोषण का शिकार हो सकते हैं।
- पीएम मोदी का दावा है कि नये क़ानून मौजूदा मंडी व्यवस्था को ख़त्म नहीं करते।
- उनका यह भी दावा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी यह ख़त्म नहीं करता।
- किसानों को डर है कि नये क़ानूनों से मौजूदा व्यवस्था ख़ुद ही ख़त्म हो जाएगी।
- आशंका है मंडी की जगह नया बाज़ार आ जाएगा जो उद्योगपतियों के कब्जे में होगा।
- किसान डरे हुए हैं कि धीरे-धीरे पूरा कृषि क्षेत्र कॉरपोरेट घरानों के हवाले हो जाएगा।
वीडियो सौज- ndtv