सोमवार को किसानों की सरकार के साथ 7वें दौर की बैठक होगी। बातचीत के लिए सौहार्दपूर्ण माहौल बनाने की कोशिश के बीच रविवार देर शाम को हरियाणा में किसानों पर आँसू गैस के गोले छोड़े गए हैं। उसमें शामिल अधिकतर किसान राजस्थान से थे। अगर मांगे नहीं मानी गईँ तो 13 जनवरी को नए कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर लोहड़ी मनाएंगे और 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन के अवसर पर किसान दिवस भी मनाएंगे। किसान समन्वय समिति ने कहा है कि मांगें नहीं मानी गई तो दिल्ली के चारों ओर लगे मोर्चों से किसान 26 जनवरी को दिल्ली में घुसकर ट्रैक्टर-ट्रॉली और दूसरे वाहनों के साथ किसान गणतंत्र परेड निकालेंगे।
क़रीब 50 किसान रेवाड़ी में राजस्थान-हरियाणा सीमा पर जबरन बैरिकेड पार करने की कोशिश कर रहे थे। तभी हरियाणा पुलिस ने आँसू गैस के गोले दागे। इससे पहले क़रीब 300 किसानों ने गुरुवार को रेवाड़ी में राजस्थान-हरियाणा सीमा पर ‘जबरन’ बैरिकेड को पार किया था। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार बवल के डीएसपी राजेश कुमार ने आँसू गैस छोड़े जाने की बात की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि किसानों ने बैरिकेड को तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की।
वैसे, बातचीत के लिए सौहार्दपूर्ण माहौल बनाने की कोशिश तो की जा रही है, लेकिन दोनों तरफ़ से दबाव बनाने का प्रयास भी जारी है। सरकार की तरफ़ से अब तक कई बार कहा जा चुका है कि केंद्र सरकार किसी दबाव में नहीं झुकेगी तो किसान भी आंदोलन तेज करने की चेतावनी देते रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों से किसान दिल्ली आ भी रहे हैं।
गौरतलब है कि सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के बीच अगले दौर की वार्ता चार जनवरी को प्रस्तावित है। संगठनों ने कहा शुक्रवार को कहा था कि अगर गतिरोध दूर करने के लिए होने वाली बैठक असफल होती है तो उन्हें ठोस कदम उठाना होगा।
अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धवले ने कहा कि यह कहना अनुचित होगा कि यह केवल किसान हैं, हालांकि आंदोलन का नेतृत्व किसान जरूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘यह लोगों का आंदोलन है और अब आम लोगों की आवाज को दरकिनार करना असंभव है। जब तक कानूनों को रद्द नहीं किया जाता और एमएसपी कानून पारित नहीं किया जाता, तबतक हम वापस नहीं जा रहे हैं। लंबे समय तक लोगों को उत्पीड़ित और अपमानित किया गया। हम इसे अब स्वीकार नहीं करेंगे। पिछले 35 सालों से नवउदारवादी नीतियों के वजह से 4 लाख किसानों ने आत्महत्या की है। क्योंकि वो कर्ज में थे।
स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार का किसानों की 50 प्रतिशत मांगों को स्वीकार करने का दावा ‘सरासर झूठ’ है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें अब तक लिखित में कुछ नहीं मिला है।’’
बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता के बाद सरकार और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच प्रस्तावित बिजली विधेयक एवं पराली जलाने पर जुर्माना के मुद्दे पर कथित तौर पर सहमति बनी थी, लेकिन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर गतिरोध बना हुआ है।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, ‘‘पिछली बैठक में हमने सरकार से सवाल किया कि क्या वह 23 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘नहीं। फिर आप देश की जनता को क्यों गलत जानकारी दे रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अबतक हमारे प्रदर्शन के दौरान करीब 50 किसान ‘शहीद’ हुए हैं।’’
गौरतलब है कि दिल्ली की सीमा पर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर हजारों किसान कड़ाके की सर्दी के बावजूद गत 40 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसानों का साफ मानना है कि तीन नए कानून खेती-किसानों को गुलामी को ओर धकेल देंगे। इससे धीरे-धीरे मंडी व्यवस्था और एमएसपी समाप्त हो जाएगी और वे उद्योगपतियों की दया पर आश्रित हो जाएंगे।
एजेंसियां