मेघालय की वरिष्ठ पत्रकार और शिलांग टाइम्स की संपादक पैट्रीशिया मुखिम द्वारा गैर-आदिवासियों पर हमले की निंदा संबंधित फेसबुक पोस्ट के कारण उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे को मेघालय उच्च न्यायालय दारा ख़ारिज करने से इंकार करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
बुधवार, 13 जनवरी को जस्टिस एल नागेश्वर राव, इंदु मल्होत्रा और विनीत सरन की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर की दलीलें सुनने के बाद राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया है.
मेघालय हाईकोर्ट ने पैट्रीशिया मुखिम के खिलाफ दायर आईपीसी धारा 153A, 500 और 505 (सी) के तहत आपराधिक कार्यवाही को खारिज करने से इनकार कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ पैट्रीशिया मुखिम ने सुप्रीमकोर्ट में एक विशेष अवकाश याचिका दायर की थी.
पैट्रीशिया मुखिम पद्मश्री से सम्मानित एक वरिष्ठ पत्रकार हैं जिन्होंने मेघालय में गैर-आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए फेसबुक पर पोस्ट लिखा था और कानून व्यवस्था कायम करने की बात कही थी. इसी पोस्ट के खिलाफ पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई के दौरान मुखिम की ओर से प्रस्तुत वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि उनके मुवक्किल को सच बोलने और कानून का शासन लागू करने की बात कहने पर उन्हें यह सजा दी जा रही है.
बता दें कि बीते साल 19 नवंबर को मेघालय हाईकोर्ट ने शिलांग टाइम्स की एडिटर और वरिष्ठ पत्रकार पैट्रीशिया मुखिम की पुलिस द्वारा दर्ज आपराधिक केस को रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था.
उनके खिलाफ यह केस उनके एक फेसबुक पोस्ट पर दर्ज किया गया है. इस पोस्ट में उन्होंने लॉसहटून के बॉस्केटबॉल कोर्ट में आदिवासी और गैर-आदिवासी युवाओं के बीच झड़प का जिक्र करते हुए लिखा था कि मेघालय में गैर-आदिवासियों पर यहां लगातार हमला जारी है, जिनके हमलावरों को 1979 से कभी गिरफ्तार नहीं किया गया जिसके परिणामस्वरूप मेघालय लंबे समय तक विफल राज्य रहा.
सौज- जनपथ