किसानों के बीच भय का माहौल बनाने के उद्देश्य से अनेक प्रकार की झूठी खबरें फैलायी जा रही हैं, जिसमें किसानों के धरने जबर्दस्ती उठाये जाने की बातें हैं। दिल्ली की सीमाओं पर और देश के अन्य हिस्सों में डटे किसान पहले भी बातचीत के पक्ष में हैं। यह हास्यास्पद लगता है जब भाजपा कोई चुनावी रैली करती है तो उसे कोरोना का भय नहीँ दिखता है, वहीं जहां उनके विरोध में कोई कार्यक्रम होते है तो वहां बहुत सख्ती से निपटने के दावे किए जाते है। झूठी खबरें फैलाकर किसानों के अंदर डर का माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है जिसे किसान बर्दाश्त नहीं करेंगे व मुंहतोड़ जवाब भी देंगे। हम किसानों से भी अपील करते हैं कि वे संयम के साथ शांतमयी धरना जारी रखें, वहीं अन्य किसान कटाई का काम खत्म होते ही दिल्ली मोर्चों पर पहुंचे।
किसानों ने हर मौसम व हर हालात में खुद को व आंदोलन को मजबूत रखा है। हम किसानों से अपील करते हैं कि कोरोना सम्बंधी ज़रूरी निर्देशों की पालना करते हुए मास्क पहनने जैसी सावधानी बरतकर रखें। साथ ही हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि धरना स्थानों पर वैक्सीन सेंटर बनाकर व अन्य सुविधाएं प्रदान कर अपनी जिम्मेदारी निभाये।
किसान नेताओं पर हमले की साजिश की खबरें आ रही हैं। हम इस तरह के प्रयासों की न सिर्फ निंदा करते हैं बल्कि इसका हम डटकर विरोध करेंगे। सरकार तार्किक स्तर पर हर संवाद हार रही है इसलिए हिंसक गतिविधियों के सहारे किसान आंदोलन को खत्म कराने की कोशिश कर रही है।
किसानों की लंबी मांग रही है कि सभी किसानों को सभी फसलों पर MSP की कानूनी गारंटी मिलनी चाहिए। तीन खेती कानून MSP के साथ साथ खाद्य सुरक्षा व अन्य सुविधाओं पर भी हमला करते हैं। सरकार के साथ लगातार बातचीत में यह समझाया जा चुका है कि यह कानून किस प्रकार गलत हैं। सरकार ने गलती मानते हुए कोई भी संशोधन न करने का प्रस्ताव दिया था। किसानों की मांग रही है कि तीनों खेती कानून रद्द हो व MSP पर कानून बने। सरकार इन मांगों से हमेशा भाग रही है। हर मोड़ पर सरकार द्वारा मीडिया के सहयोग से नया मुद्दा खड़ा किया जाता रहा है। कानूनों के रद्द करने सम्बन्धी व MSP के कानून सम्बंधी तर्क बहुत कम दिए जा रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा सरकार के इन तमाम प्रयासों के बावजूद उन मांगों को दोहराता है। हम सरकार से मांग करते हैं कि तुरंत कृषि कानूनों को रद्द करना व MSP पर कानून बनना देश हित, किसान हित में है।
किसान आंदोलन में किसानों के अलावा समाज के अन्य लोगों ने अपना आंदोलन मानते हुए निस्वार्थ भाव से इसे मजबूत किया है। इस आंदोलन को लगातार कवर कर रहे पत्रकार शशांक पाठक की आज अपने घर लौटते वक्त सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी। संयुक्त किसान मोर्चा शशांक पाठक को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता है और परिवार को सांत्वना प्रेषित करता है। पत्रकार शशांक की किसानी खेती पर समझ व जनता तक निष्पक्ष खबर पहुंचाने की शैली सभी लोगों को बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करेगी.
प्रेस नोट- संयुक्त किसान मोर्चा