छत्तीसगढ़ सरकार ने कोटा में फंसे छत्तीसगढ़ के छात्रों को वापस लाने पहल की है । निश्चित रूप से इन छात्रों की घर वापसी का इंतजाम होना ही चाहिए । छत्तीसगढ़ सरकार का ये कदम प्रशंसनीय है ।अपने घरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर राजस्थान के कोटा में कोचिंग केंद्रों में पढ़ने वाले छात्र लॉक डॉउन के चलते फंसे हुए हैं। राजस्थान में प्रशासन तालाबंदी कड़ाई से लागू कर रहा है और सभी संस्थानों की तरह शहर के मशहूर कोचिंग इंस्टीट्यूट भी बंद हो चुके हैं मगर छात्र लॉक डॉउन की वजह से अपने घर नहीं पहुंच पा रहे हैं ।
इसके साथ ही प्रदेश सीमा पर रोके गए कामगारों की घर वापसी पर भी विचार करना चाहिए । सरकार को दूसरे राज्यों में बेघरबार होकर सड़कों पर रहने को मजबूर कामगारों की घर वापसी पर भी कोई ठोस योजना बनाकर काम करना चाहिए । छात्रों की तरह ये भी अपने घर वापस आने बेचैन हैं । जहां छात्रों के अभिभावक अपने बच्चों से दूर चिंताग्रस्त हैं वहीं इन लोगों के घरों में बूढ़े मां बाप या आश्रितजन इस संक्रमण के समय में अपनों की राह तक रहे हैं । प्रदेश के हजारों परिवार सीमा पर बहुत कठिन परिस्थिति में जीवन यापन को मजबूर हैं । हालांकि उनके खाने पीने की व्यवस्था पर काफी कुछ किया जा रहा है मगर सब घर आने को बेताब हैंं ।
राजस्थान के मुख्य मंत्री अशोक गहलौत का कहना है कि वे इन छात्रों को वापस भेजने को तैयार है लेकिन बिहार जैसे कुछ प्रदेश की सरकारें इन्हें वापस लेने को तैयार नहीं है । बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार तो इसे तकनीकी रूप से लॉक डॉउन का उल्लंघन तक करार दे रहे हैं । वहीं हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार की पहल से वहां के छात्र तो कोटा से निकल पाए मगर अन्य राज्यो के तकरीबन 20 से 25 हजार छात्र अभी भी वहीं हैं । मध्य प्रदेश सरकार भी अपने प्रदेश के छात्रों को लाने पहल कर चुकी है । छत्तीसगढ़ सहित कुछ राज्य सरकारों ने केन्द्र से अपने प्रदेश के छात्रों को वापस बुलाने की अनुमति मांगी है मगर केन्द्र सरकार का रवैया गैर भाजपा शासित राज्यों के प्रति सहयोगात्मक प्रतीत नहीं हो रहा है ।
मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों के एंट्रेंस इम्तिहान की तैयारी कराने वाले सैकड़ों कोचिंग केंद्रों के लिए मशहूर कोटा में अपने घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर अकेले रहते हैं । अपने सुनहरे भविष्य का सपना संजोए ये छात्र राजस्थान के कोटा शहर में एक कमरा या एक कमरे में कई छात्र किराए पर लेकर रहते हैं और मेस में खाना खाते हैं। लेकिन इन दिनों ये अपने भविष्य से ज्यादा अपने वर्तमान हालात को लेकर चिंतित हैं । एक ओर जहां कोटा में कोरोना वायरस के संक्रमण के लगभग 100 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं अनेक राज्यों से आये इस शहर में बड़ी संख्या में रहने वाले छात्रों के साथ ही उनके माता पिता भी चिंतित हैं कि घर और घरवालों से इतनी दूर अगर उन्हें कुछ हो गया तो क्या होगा। निश्चित रूप से यह चिंता का विषय है । दूसरी ओर उससे भी बड़ी समस्या यह है आर्थिक रूप से कमजोर तबके के घरों से आनेवाले छात्रों के माता-पिता आखिर उन्हें पैसे कैसे भेज पायेंगे क्योंकि तालाबंदी की वजह से उनके खुद के रोजगार, व्यापार आदि सब बंद हो गए हैं । संभव है घरों से दूर इन कमज़ोर आर्थिक परिस्थित वाले छात्रों के सामने खाने का संकट भी हो । तालाबंदी की वजह से निश्चित रूप से अधिकतर मेस बंद हो चुके होंगे । जो दुकानें खुली हुई होंगी उनमें मुनाफखोरी के चलते दुकानदारों ने दाम भी बढ़ा दिए होंगे। अभी तक इन छात्रों की समस्या का कोई समाधान नहीं निकला है।
विभिन् राज्य सरकारें इन छात्रों को संक्रमण के भय से अपने राज्यों में वापस लाने से कतरा रही हैं। इन्हीं खतरों का हवाला देकर कुछ लोगों का कहना है कि इन छात्रों का कोटा में ही रहने के लिए प्रोत्हित करना चाहिए ताकि संक्रमण अन्य स्थानों पर न फैले । निश्चित रूप से इन्हें वापस लाने में खतरे तो हैं मगर इसके उपाय भी हैं । दूसरी ओर यह बात भी ग़ौरतलब है कि जब विदेशों से छात्रों व अन्य लोगों को विशेष विमान से लाकर घर पहुंचाया जा सकता है तो इसी प्रक्रिया से इन छात्रों व कामगारों को क्यों नहीं ? इनका उचित चेकअप करवाकर वापसी पर इनके घरों, गांवों या शहरों में कोरेन्टीन पर भी रखा जा सकता है । तरीके व उपाय तो हैं मगर नीयत व इच्छाशक्ति साफ व सुदृढ़ होनी चाहिए ।
बेहतर तो ये होता कि छात्रों व बाहर फंसे सभी लोगों को लॉक डॉउन के शुरुवाती दिनों में ही समय दिया जाता या घर वापस पहुंचाने की समुचित व्यवस्था की जाती । वापसी पर उन्हें उनके गृह नगर या गृह ग्राम में ही कोरेन्टीन में रख दिया जाता तो आज ये हालात ही नहीं पैदा होते और परिस्थितियों पर ज्यादा बेहतर तरीके से नियंत्रण पाया जा सकता । मगर अदूरदर्शिता और अनियोजित प्रबंधन के चलते ये संभव नहीं हो सका । फिल्हाल, कोटा में अपने अपने कमरों में बैठे हुए ये छात्र और राहत शिविरों में गुजर करते कामगार बस घर लौटने के लिए राज्य सरकारों की तरफ उम्मीद लगाए वापसी की राह देख रहे हैं। इस दिशा में संवेदनशीलता दिखाकर समय रहते केन्द्र व राज्य सरकारों को आपसी समन्वय व तालमेल के साथ सकारात्मक कदम तत्काल उठाना चाहिए । कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण हेतु किए जा रहे सकारात्मक उपायों के लिए हमारे प्रदेश छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री के कुशल नेतृत्व की सराहना राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। उन्होंने कोटा में फंसे प्रदेश के छैत्रों को भी वापस बुलाने की दिशा में कदम उठाते हुए केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर अनुमति मांगी है जो सराहनीय है । उनसे ये भी अपेक्षा है कि वे इसी तरह प्रदेश की सीमा पर मुश्किल दिन गुजार रहे प्रदेश के मजदूरों को भी वापस लाने की दिशा में सकारात्मक पहल कर पूरे देश के समक्ष एक मिसाल पेश करेंगे ।