किसानों के साथ हुए धोखे का विरोध करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा 31 जनवरी को देशभर में ‘विश्वासघात दिवस’ मनाने जा रहा है। जिला और तहसील स्तर पर बड़े प्रदर्शन की तैयारी है। मोर्चे से जुड़े सभी किसान संगठन जोर-शोर से इसकी तैयारी में जुटे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि यह कार्यक्रम देश के कम से कम 500 जिलों में आयोजित किया जाएगा। इन प्रदर्शनों में केंद्र सरकार के नाम ज्ञापन भी दिया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा की कोऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक में इस कार्यक्रम की तैयारी की समीक्षा की गई।
डॉ. दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव की ओर से जारी संयुक्त बयान में यह जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि सरकार का किसान विरोधी रुख इस बात से जाहिर हो जाता है कि 15 जनवरी के फैसले के बाद भी भारत सरकार ने 9 दिसंबर के अपने पत्र में किया कोई वादा पूरा नहीं किया है। आंदोलन के दौरान हुए केस को तत्काल वापस लेने और शहीद परिवारों को मुआवजा देने के वादे पर पिछले दो सप्ताह में कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। MSP के मुद्दे पर सरकार ने कमेटी के गठन की कोई घोषणा नहीं की है इसलिए मोर्चे ने देशभर में किसानों से आह्वान किया है कि वह ‘विश्वासघात दिवस’ के माध्यम से सरकार तक अपना रोष पहुंचाएं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि ‘मिशन उत्तर प्रदेश’ जारी रहेगा, जिसके जरिए इस किसान विरोधी सत्ता को सबक सिखाया जाएगा। इसके तहत केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त और गिरफ्तार ना करने, केंद्र सरकार द्वारा किसानों से विश्वासघात और उत्तर प्रदेश सरकार की किसान विरोधी नीतियों को लेकर जनता से सख्त फैसला लेने का आह्वान किया जाएगा। 3 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मिशन के नए दौर की शुरुआत होगी। इसके तहत एसकेएम के सभी संगठनों द्वारा पूरे प्रदेश में साहित्य वितरण, प्रेस कॉन्फ्रेंस, सोशल मीडिया और सार्वजनिक सभा के माध्यम से भाजपा को ‘सजा’ देने का संदेश पहुंचाया जाएगा।
मोर्चे ने यह स्पष्ट किया है कि आगामी 23 और 24 फरवरी को देश की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मजदूर विरोधी चार लेबर कोड को वापस लेने के साथ-साथ किसानों को एमएसपी और प्राइवेटाइजेशन के विरोध जैसे मुद्दों पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान को संयुक्त किसान मोर्चा का पूरा समर्थन और सहयोग है। इस संबंध में किसी भी भ्रांति की गुंजाइश नहीं है।
पंजाब और अन्य राज्यों के चुनाव के बारे में मोर्चे ने यह स्पष्ट किया है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नाम, बैनर या मंच का इस्तेमाल किसी राजनैतिक दल या उम्मीदवार द्वारा नहीं किया जाएगा। ऐसा करने वालों के खिलाफ मोर्चे की ओर से अनुशासन की कार्यवाही की जाएगी।
एजेंसियां