साल 1972 में म्यूनिख ओलंपिक के हमले में मारे गए 11 इस्राएली एथलीटों के परिजनों को जर्मन सरकार करोड़ों यूरो का मुआवजा देने को तैयार हो गई है. परिवारजन हमले की 50वीं वर्षगांठ के आयोजनों का बॉयकॉट करने वाले थे.
जर्मन सरकार ने एलान किया है कि वह पीड़ितों के परिजनों के साथ एक सहमति पर पहुंच गई है. 1972 के हमले में मारे गए सभी 11 एथलीटों के परिवारों के साथ सरकार की लंबे समय से बातचीत जारी थी. जो प्रस्ताव बर्लिन की ओर से दिया गया था उसे परिजन नाकाफी बता चुके थे. हमले की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर जर्मनी के म्यूनिख में ही कार्यक्रमों का आयोजन होना है जिसमें हिस्सा ना लेने की परिजनों की मंशा से काफी चिंता का माहौल बन गया था.
समझौता और प्रायश्चित
वर्षगांठ के आयोजनों से पहले जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने इस्राएली राष्ट्रपति आइजैक हेरजोग के साथ एक संयुक्त बयान जारी किया है. इस बयान में आखिरी मौके पर “ऐतिहासिक साफगोई, पहचान और मुआवजे” वाले समझौते पर पहुंचने पर राहत जताई गई है. राष्ट्रपतियों ने संयुक्त रूप से माना कि “समझौते से सारे जख्म नहीं भर सकते. लेकिन इससे एक दूसरे तक ले जाने वाले रास्ते जरूर खुलते हैं.”
बयान में साफ लिखा है कि जर्मन सरकार इस बात को मानती है कि वह अपनी “जिम्मेदारी और मारे गए लोगों और उनके परिजनों के भयंकर कष्ट को समझती है.” यरूशलम से आए संदेश में हेरजोग ने जर्मन सरकार को धन्यवाद दिया कि उसने जिम्मेदारी ली और पीड़ित परिवारों के साथ हुए “ऐतिहासिक अन्याय” के लिए प्रायश्चित करने की दिशा में एक “अहम कदम” उठाया.
म्यूनिख ओलंपिक की खूनी यादें
5 सितंबर 1972 को एक फलस्तीनी मिलिशिया समूह के आठ बंदूकधारी हमलावरों ने ओलंपिक विलेज में ठहरी इस्राएली एथलीटों की टीम पर हमला किया था. इस हमले में दो एथलीटों को गोली मारी गई और हमलावरों ने नौ एथलीटों को बंधक बना लिया गया. पश्चिमी जर्मनी की पुलिस के बचाव अभियान के बावजूद सभी नौ बंधक मारे गए थे. साथ ही उस अभियान में आठ में से पांच हमलावर मारे गए और एक पुलिसकर्मी की भी जान गई.
कहां तो यह ओलंपिक खेल इस सोच के साथ आयोजित हुए थे कि होलोकॉस्ट के 27 साल बाद एक नए जर्मनी की तस्वीर उभरेगी. इसके बजाय हुआ ये कि इस्राएल के साथ जर्मन रिश्तों में एक गहरी खाई पैदा हो गई.
सन 2012 में इस्राएल ने ऐसे 45 आधिकारिक दस्तावेज जारी किए जिनसे जर्मन रक्षा सेवाओं के प्रदर्शन पर ही सवालिया निशान लग गया. इसमें इस्राएली जासूसी सेवा के एक पूर्व प्रमुख जवी जमीन का बयान भी शामिल था जिसने कहा था कि जर्मन पुलिस ने “इंसानी जीवन को बचाने के लिए कम से कम कोशिश भी नहीं की थी.”
परिजनों की लंबी नाराजगी
करीब पांच दशकों से पीड़ितों के परिजन जर्मन सरकार से इस बाबत एक आधिकारिक माफीनामा चाहते थे. इसके अलावा वे चाहते हैं कि जर्मनी उससे संबंधित आधिकारिक दस्तावेज भी उन्हें मुहैया कराए. तीसरी सबसे अहम मांग थी उचित हर्जाने की, जो कि पहले ही दिए जा चुके 45 लाख यूरो से अलग है.
दो हफ्ते पहले परिजनों की ओर से खबर आई कि उन्हें कुल 1 करोड़ यूरो ऑफर हुए हैं, जिसमें से 45 लाख पहले ही मिल चुके हैं. हमले में मारे गए एथलीट आंद्रे श्पित्सर की पत्नी आंके श्पित्सर ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा था कि 50वीं वर्षगांठ के आयोजनों का बॉयकॉट किया जा सकता है क्योंकि “जिम्मेदारी लेने की कीमत होती है. सिर्फ शब्दों से नहीं चलेगा.”
अब घोषित हुए समझौते में बताया गया है कि पीड़ितों के परिवारों को जर्मन सरकार 2.8 करोड़ यूरो का हर्जाना देगी. इसके अलावा सरकार अपने उन दस्तावेजों को भी डीक्लासिफाई करने को तैयार हो गई है कि बंधक बनाने वाली पूरी घटना और असफल बचाव अभियान से जुड़े हैं.
बर्लिन में जर्मन सरकार के प्रवक्ता श्टेफन हेबेश्ट्राइट ने बताया, “पचास साल बाद ऐसे हालात बने कि अंतत: हमारे साझा इतिहास के इस दर्दनाक अध्याय को स्वीकारा जा सके और एक नई और स्मरण रखने की जीवंत संस्कृति की आधारशिला रखी जा सके.” हालांकि जर्मनी में सेंट्रल काउंसिल ऑफ ज्यूज के अध्यक्ष योसेफ शूस्टर ने जोर देकर कहा कि जर्मन पक्ष की ओर से जो गलतियां हुईं उन्हें भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने इस अहमियत पर जोर देकर कहा, “लेकिन यह तो मानना पड़ेगा कि जो आज राजनीतिक रूप से जिम्मेदार हैं वे उसकी जिम्मेदारी समझते हैं और पुरानी गलतियों का सामना कर रहे हैं.”
साभार- dw – ऋतिका पाण्डेय (डीपीए, एएफपी) साभार- dw –