इंदौर, 6 सितंबर । बिल्किस बानो एवं अन्य महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार एवं उसके परिवारजन के 14 सदस्यों की हत्याओं के 11 अपराधियों को वापस जेल भेजा जाए।इस मांग को लेकर भारतीय महिला फेडरेशन और अन्य संगठनों ने प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।
15 अगस्त 2022 को आज़ादी की 75वीं वर्षगाँठ पर जब प्रधानमंत्री महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके अधिकारों की रक्षा के बारे में भाषण दे रहे थे, तब गुजरात राज्य द्वारा बिल्किस बानो के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और उसके परिवारजनों के जघन्य नरसंहार के 11 अपराधियों को रिहा करने का निर्णय, देश ही नहीं वरन समूची दुनिया को स्तब्ध कर देने वाला था। इन बलात्कारियों को वापस जेल भेजा जाए।इंदौर शहर की महिलाएँ एवं जागरूक नागरिक गुजरात सरकार के इस फैसले पर अफसोस और आक्रोश जाहिर करते हुए महामहिम राष्ट्रपति महोदया से मांग करते हैं कि इन बलात्कारी अपराधियों को वापस जेल भेजा जाए।
राष्ट्रपति से इस आशय की मांग भारतीय महिला फेडरेशन सहित अनेक जन संगठनों ने की है। राष्ट्रपति के नाम सौपे ज्ञापन में कहा गया कि इन 11 अपराधियों को जो बलात्कारी और जघन्य हत्याकांड के आरोपी हैं इन्हें फिर से कैद किया जाए। इस स्तब्ध कर देने वाली खबर से बिल्किस बानो ही नहीं देश भर की महिलाएँ भयभीत एवं असुरक्षित महसूस कर रही हैं। इन बलात्कारियों एवं अपराधियों की रिहाई देश की महिलाओं का अपमान है।
*6 सितंबर 2022* को गाँधी हॉल में एकत्र प्रदर्शनकारी जुलूस निकाल कर कमिश्नर कार्यालय पहुंचे और इंदौर कमिश्नर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम ज्ञापन सौपा। उल्लेखनीय है कि इस मुद्दे पर भारतीय महिला फेडरेशन के राष्ट्रव्यापी आव्हान पर देश के अन्य नगरों में भी प्रदर्शन किए गए हैं।
प्रदर्शन को सारिका श्रीवास्तव, सोफिया, नेहा, ममता (भारतीय महिला फेडरेशन), सिस्टर रोज़ीना, फ्राँसिना, प्रभा (घरेलू कामकाजी ट्रेड यूनियन), अर्शी (ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन), पंखुड़ी (नींव), विजया, अंजुम और सुरेश (जनविकास केंद्र, पालदा), अरुण चौहान (किसान संगठन), विनीत तिवारी (प्रगतिशील लेखक संघ) के विनीत तिवारी, रुद्रपाल यादव (श्रम संगठन एटक), कैलाश लिम्बोदिया (सीटू), फादर प्रसाद आदि ने संबोधित किया।
आंगनबाडी कार्यकर्ता-सहायिका एकता यूनियन, आशा-उषा कार्यकर्ता-सहायिका एकता यूनियन, ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन, प्रगतिशील लेखक संघ, भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) सहित अनेक सामाजिक संगठनों के सदस्य प्रदर्शन में शामिल हुए।