मनोरंजन

भिखारी ठाकुर: भोजपुरी के शेक्सपियर, नाटककार, गीतकार, अभिनेता, लोकनर्तक, लोकगायक, सामाजिक कार्यकर्ता

December 25, 2021

सुषमा ‘शांडिल्य’   ‘सइयां गइले कलकतवा ए सजनी, गोड़वा में जूता नइखे, हाथवा में छातवा ए सजनी, सइयां कइसे चलिहें राहातवा ए सजनीं’… ‘भिखारी ठाकुर’, इस गीत के रचयिता, बहुआयामी प्रतिभा के धनी, भोजपुरी बोली के ऐसे नाटककार, गीतकार, अभिनेता, लोकनर्तक, लोकगायक और सामाजिक कार्यकर्ता थे जिनकी ‘भोजपुरी के शेक्सपियर’ के रूप में अमिट पहचान […]

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‘200: हल्ला हो’: दलितों के शोषण और उसके बदले पर बनी है फ़िल्म

August 21, 2021

अमिताभ फिल्म मेलोड्रामा से बच सकती तो हिंदी सिनेमा में दलित विमर्श का एक गंभीर प्रस्थान बिंदु बन सकती थी। फिर भी, यह विषय उठाने के लिए निर्देशक बधाई के हक़दार हैं। देखने लायक फ़िल्म है और जी5 पर देखी जा सकती है। 2004 में नागपुर में दलित महिलाओं के एक समूह ने बलात्कार और […]

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अब्बास के रचनाकर्म पर केंद्रित श्रृंखला की चौथी कड़ी में “आवारा” एवं “अनहोनी” फिल्म पर वेबीनार

August 3, 2021

भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) द्वारा ख़्वाजा अहमद अब्बास के रचनाकर्म पर केंद्रित ऑनलाइन कार्यक्रमों की श्रृंखला की चौथी कड़ी में “आवारा” एवं “अनहोनी” फिल्म पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में थप्पड़, गुलाम, द्रोहकाल, आरक्षण जैसी प्रसिद्ध फिल्मों के लेखक अंजुम रजबअली ने ख़्वाजा अहमद अब्बास की कहानियों के पीछे रही उनकी सोच […]

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दो बूँद पानीः संक्रमण काल में तकनीकी और मनुष्य के सम्बन्ध की कहानी

July 17, 2021

“ख्वाजा अहमद अब्बास को लाल बहादुर शास्त्री ने राजस्थान में पानी की समस्या पर केंद्रित फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया और इस तरह “दो बूँद पानी” फिल्म का निर्माण हुआ। यह जिक्र अब्बास ने खुद अपनी बायोग्राफी “आय एम नॉट एन आयलैंड” में किया है जिसका हिंदी और उर्दू अनुवाद “मैं जजीरा नहीं हूँ” […]

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स्मृति शेष: सुरेखा सीकरी उर्फ़ दादी मां यानी समानांतर सिनेमा के मज़बूत का स्तंभ का ढहना

July 16, 2021

आलोक शुक्ला बहुत कम अभिनेता या अभिनेत्री होते हैं जिनकी काया भी बोलती है, अभिनय के मामले में सुरेखा सीकरी एक ऐसी ही अभिनेत्री थीं जिन्हे आज की पीढ़ी दादी मां के रूप में जानती और खूब प्यार करती थी। रंगमंच की यह सशक्त हस्ताक्षर, समानांतर सिनेमा की मजबूत स्तंभ और जनमानस के दिलों में […]

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बिमल रॉय ने हिंदुस्तानी सिनेमा के साथ-साथ हॉलीवुड को भी प्रेरित किया था

July 13, 2021

अनुराग भारद्वाज  महान फिल्मकार बिमल रॉय अपने आप में एक संस्था थे जिन्होंने हिंदी सिनेमा को सलिल चौधरी, ऋषिकेश मुखर्जी, ऋत्विक घटक और गुलज़ार जैसे कई नायाब लोग दिए सन 1953 में आई ‘दो बीघा ज़मीन’ ने दुनिया भर के फ़िल्मकारों का ध्यान अपनी ओर खींचा था. इस फिल्म के जरिये पहली बार हिंदुस्तानी सिनेमा […]

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दिलीप कुमार न होते तो अमिताभ, शाहरुख और आमिर भी ऐसे न होते

July 8, 2021

प्रियदर्शन  दिलीप कुमार ने हिंदी फिल्मों में अभिनय की सबसे मज़बूत और समृद्ध विरासत दी है.फिल्मी दुनिया में अगर दिलीप कुमार न होते तो? तो शायद अमिताभ, शाहरुख़, आमिर भी वैसे अभिनेता न होते जैसे वे हैं. वे किसी और ढंग से नाराज़ हुआ करते, किसी और तरह से खुश होते, किसी और तरह से […]

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क्यों सरकार को प्रस्तावित चलचित्र (संशोधन) अधिनियम, 2021 वापस लेना चाहिए?

June 29, 2021

सिद्धार्थ चतुर्वेदी संशोधन विधेयक के मसौदे में जिन बदलावों का प्रस्ताव दिया गया है, उनसे ना तो नियमक अनुपालन सरल हो रहे हैं और ना ही फ़िल्म निर्माण के ज़रिये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सशक्त किया जा रहा है।18 जून को केंद्र सरकार ने मौजूदा सिनेमेटोग्राफ़ी एक्ट, 1952 में नए संशोधनों का प्रस्ताव सार्वजनिक किया […]

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‘महारानी’ : राजनीति में संतुलन का खेल!

June 6, 2021

शंभूनाथ शुक्ल यह वेब सीरीज़ लालू यादव-राबड़ी देवी की कहानी नहीं है, लेकिन उनकी जैसी राजनीति को क़रीब से देखने का प्रयास किया गया है। यह सीरीज़ लोगों को बिहार की वह पीड़ा दिखलाने में सहायक हुई है, जो बिहार की बहुसंख्यक दलित, मुस्लिम और पिछड़ी जातियों ने भोगी थी।लोकतंत्र में राजनीति अब किसी की […]

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अमेरिका की एक फ़िल्म जो आज के भारत पर टिप्पणी है!- प्रियदर्शन

April 21, 2021

यह 1968 का साल था। अमेरिका तरह-तरह के उथल-पुथल से गुज़र रहा था। लिंडन जॉन्सन राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश को वियतनाम युद्ध में झोंक रखा था और उनकी सरकार अपने लोगों से युद्ध का सच छुपा रही थी। ताबूतों में 18-20 बरस के अमेरिकी सैनिकों के शव घर लौट रहे थे। इसी साल मार्टिन लूथर […]

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