सुदर्शन जुयाल ईरान सिनेमा के नक्शे पर था ही नहीं. तब ईरान, खोमैनी का ईरान बन चुका था यानि इस्लामिक ईरान. फ़्रेंच न्यू वेव और इटालियन सिनेमा हमारे ज़ेहन में ज़बरदस्त रूप से छाया हुआ था. साथ ही रूस, पोलैंड, हंगरी, चेकोस्लोवाकिया वगैरह के दमदार फ़िल्मकारों ने हमारे बम्बइया सिनेमा के असर को तार-तार कर […]
Read Moreयमन सैफ अली खान की नई सीरीज़ आ रही है. नाम है ‘तांडव’. शो एक पॉलिटिकल ड्रामा है. दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र इंडिया. उसी की राजधानी की पॉलिटिक्स पर आधारित. यही कारण है कि पहले इसे ‘दिल्ली’ के टाइटल से बनाया जा रहा था. बाद में ‘तांडव’ किया गया. आज ही इसका टीज़र रिलीज़ […]
Read Moreप्रदीप कुमार ढेर सारे नगमे देकर सिर्फ़ 43 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले शैलेंद्र को पचास साल से ज्यादा हो गए मगर आज भी उनके गाने लोगों की ज़बान पर हैं.प्रगतिशील नज़रिए के चलते शैलेंद्र इप्टा और प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़ गए. 1947 में जब देश आज़ादी के जश्न […]
Read Moreश्वेतांक जैसे ही दिमाग में शब्द ‘ट्रैजेडी’ आता है अचानक से उसमें किंग जैसा विशेषण जुड़ जाता है. और सूरत उभरती है एक अधेड़ उम्र के आदमी की, जो आधी रात को सुनसान सड़क पर अपनी पत्नी के साथ जा रहा है. अचानक से पत्नी की तबीयत बिगड़ती है और ये आदमी बेतहाशा सड़क पर […]
Read Moreअंबर श्रीवास्तव करीब आठ दशक पहले अंजाम दिया जा चुका है- साबू दस्तगीर द्वारा. साबू दस्तगीर वह शख्स था जो पैदा तो मैसूर के एक महावत परिवार में हुआ लेकिन, पहले इंग्लैंड और फिर हॉलीवुड पहुंचकर उसने सफलता के ऐसे झंडे गाड़े कि किसी भारतीय कलाकार का हॉलीवुड में इस कदर छाना हाल-फिलहाल संभव नहीं […]
Read Moreअव्यक्त अपनी आत्मकथा, ‘दशद्वार से सोपान तक’ में एडेल्फी के अपने घर को याद करते हुए बच्चन लिखते हैं- ‘एडेल्फी, जहां रहते हुए हमने प्रथम स्वाधीनता दिवस मनाया था जहां विभाजन के फलस्वरूप तेजी के कितने ही संबंधियों ने पंजाब से भागकर शरण ली थी; जहां महात्मा गांधी की हत्या का हृदय-विदारक समाचार हमने सुना […]
Read Moreबड़ी उम्मीद बिहार के हर नागरिक को चुनाव के बाद सत्ता में आने वाली हर सरकार से सिर्फ एक ही उम्मीद होती है कि वह अपनी तमाम ऊर्जा के साथ राज्य के हित में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर ध्यान दे। बिहार की धरती के लोगों को शासन चलाने वाले अपने लोगों से बहुत समर्पण की […]
Read Moreअनुराग भारद्वाज चित्रगुप्त के संगीत की मधुरता दिग्गज संगीतकारों से कम नहीं थी. फिर भी हिंदी फिल्म उद्योग में वे ताउम्र हाशिये पर रहे मध्यवर्गीय समाज की हलचल और उसके तौर-तरीक़ों वाली ज़िंदगी के इर्द-गिर्द बुनी फ़िल्मों का संगीत चित्रगुप्त का सिग्नेचर स्टाइल था. मैन्डोलिन का जितना प्रभाव उनके संगीत में मिलता है, उतना किसी […]
Read Moreनित्यानंद गायेन– सिंगुर-नंदीग्राम घटना के बाद से जब पश्चिम बंगाल में वाम दलों का ख़राब समय शुरू हुआ और तमाम बुद्धिजीवी और कार्यकर्ता दल बदल करने लगे उस कठिन समय में भी सौमित्र चटर्जी वाम दलों के पक्ष में खड़े रहें अविचल होकर. मशहूर लेखिका महाश्वेता देवी भी एक समय तृणमूल के समर्थन में आ […]
Read Moreइस दिवाली को ख़ास बनाने के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर कई फ़िल्में और वेब सीरीज़ आ रही हैं। 12 नवम्बर को धन तेरस के मौके़ पर नेटफ्लिक्स पर डार्क कॉमेडी लूडो, 13 नवम्बर को राजकुमार राव और नुरसत भरूचा की फ़िल्म छलांग हो रही है रिलीज।सिनेमाघर खुलने के बाद पहली फिल्म मनोज बाजपेयी, दिलजीत दोसांझ […]
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