अमिताभ वेब सीरीज ‘पाताल लोक’ में इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी और उनके जूनियर इमरान अंसारी ने शानदार अभिनय किया है। ‘पाताल लोक’ में हम अल्पसंख्यकों के मसले पर समाज की सोच की परतें भी उघड़ती देखते हैं कि कैसे एक व्यक्ति पर टिप्पणी करते हुए पूरे समुदाय को निशाना बनाया जाता है। इसमें मुसलमानों पर हमले…
इस समय हमारा देश कोरोना महामारी की विभीषिका और उससे निपटने में सरकार की गलतियों के परिणाम भोग रहा है. इस कठिन समय में भी कुछ लोग इस त्रासदी का उपयोग एक समुदाय विशेष का दानवीकरण करने के लिए कर रहे हैं. नफ़रत के ये सौदागर, टीवी और सोशल मीडिया जैसे शक्तिशाली जनसंचार माध्यमों के…
सफ़ूरा, मीरान के बाद “पिंजरा तोड़” की सदस्यों देवांगना, नताशा को भी दिल्ली में हुई हिंसा की साज़िश में संलिप्तता के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है। गिरफ़्तारी उन लोगों की हो रही है जो दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर सीएए, एनआरसी और एनपीआर के ख़िलाफ़ हुए विरोध-प्रदर्शनों में किसी न किसी रूप में शामिल…
तनवीर जाफ़री वैसे तो नेताओं के पर्यायवाची के रूप में रहबर, रहनुमा, मार्गदर्शक, नेतृत्व प्रदान करने वाला आदि बड़े ही सुन्दर-सुन्दर शब्द इस्तेमाल किये जाते हैं। परन्तु यह भी शाश्वत सत्य है कि आज दुनिया में हो रही प्रायः हर उथल-पुथल के लिए यही नेता व रहबर ज़िम्मेदार हैं। इतिहास इस बात का भी हमेशा…
रोमिला थापर से मुकुलिका आर की बातचीत इंडियन कल्चरल फ़ोरम भारतीय इतिहासकारों के साथ बीमारी पर एक लघु श्रृंखला शुरू कर रहा है। इस पहले फ़ीचर में मुकुलिका आर ने रोमिला थापर से महामारी के दौरान और कोविड-19 के बाद की दुनिया के लोकतंत्र की कल्पना को लेकर बातचीत की है। सदियों से एक दूसरे…
प्रगतिशील लेखक संघ उत्तर प्रदेश द्वारा कोरोना काल में फेसबुक लाइव का आयोजन किया गया। इस फेसबुक लाइव में वरिष्ठ साहित्यकार काशीनाथ सिंह ने अपनी सुप्रसिद्ध कहानी ‘सदी का सबसे बड़ा आदमी’ का पाठ किया । प्रारंभ में प्रदेश महासचिव डॉ. संजय श्रीवास्तव ने आयोजन की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह विपदा…
रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आयी है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभाव है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है, यानी संसार को ईद की बधाई दे रहा है। गॉंव में कितनी हलचल…
कौन जानता था कि बचपन में खेला गया छुक छुक गाड़ी का खेल एक दिन सचमुच उनकी रेल बनकर उन्हें घर पहुंचाने का सबब बन जाएगा । यदि सुरक्षित घर पहुंचा ही देता तो भी कम से कम खेल खेलने का लुफ्त आया समझ लेते, मगर रास्ते में यूं डब्बों का बिखर जाना एक उम्मीद…
कोविड-19 के खतरे का मोटे तौर पर गलत अनुमान लगाया गया है। इसके कारण मनोवैज्ञानिक भय पैदा हुआ है जिससे अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो सकता है और भोजन और आवश्यक सेवाओं की कमी हो सकती है। समूचे यूरोप और पूर्वी एशिया के कुछ देशों में लोगों को इस तथ्य का अहसास हो गया कि…
आशुतोष यह मैं मानता हूँ कि लॉकडाउन कोरोना का समाधान नहीं है लेकिन लॉकडाउन लगाकर जो तैयारी इस बीच करनी चाहिये थी वह नहीं की गयी। हम पश्चिम के देशों से तुलना नहीं कर रहे हैं, पर भारत जैसे 135 करोड़ के देश में डेढ़ महीने से अधिक का वक़्त लग जाए प्रतिदिन एक लाख…
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