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Year: 2020

वार्ता श्रृंखला (1): कोरोना और सभ्यता का संकट – अरुण माहेश्वरी

संवाद के एक नए और शायद प्रभावी माध्यम की तलाश में ही आज हम आपसे इस वीडियो के माध्यम से मुखातिब है । तकरीबन साठ साल पहले ही हमारे युग के एक प्रमुख फ्रांसीसी दार्शनिक और भाषा वैज्ञानिक जॉक दरीदा ने भाषा के अवमूल्यन की बात को जोर देकर कहा था । जिस प्रकार लोगों…

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Untouchables of another kind- Jinoy Jose P

Exodus of migrant workers from cities has given ‘social distancing’ a perverse twist Intellectuals, media pundits and social media celebrities leaning towards the Right were quick to term the mass exodus of migrant workers fleeing India’s urban centres — following the 21-day lockdown to check the spread of the deadly Covid-19 — as collateral damage….

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कोरोनाः विश्व बैंक भारत को एक अरब डॉलर देगा

विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशकों के मंडल ने दुनियाभर के विकासशील देशों के लिए आपात सहायता के पहले सेट को मंजूरी दी जिसके तहत विश्व बैंक ने  भारत को एक अरब डॉलर की राशि देने की घोषणा की। दुनिया भर में तेजी से पैर पसार रहे कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटने के लिए विश्व…

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कहानी -‘पहलवान की ढोलक’ः फणीश्वरनाथ रेणु

यह वर्ष  फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशताब्दी वर्ष है। हमारी कोशिश होगी कि हम लगातार उनकी रचनाओं को आपके लिए लेकर आएं । आज पढिए कहानी- पहलवान की ढोलक (संपादक) जाड़े का दिन। अमावस्या की रात—ठंढ़ी और काली। मलेरिया और हैजे से पीड़ित गांव भयार्त शिशु की तरह थर—थर कांप रहा था। पुरानी और उजड़ी, बांस—फूस…

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COVID-19 : टेस्टिंग किट को लेकर भारत का रवैया चिंताजनक

किसी भी महामारी के दौर में आंकड़े काफ़ी अहम भूमिका निभाते हैं। इनसे हमें महामारी को समझने और इसको रोकने के तरीक़ों को ईजाद करने में मदद मिलती है। संक्रमण की सही तस्वीर को समझने के लिए किसी को मरीज़ों की असली संख्या पता होना चाहिए। इसलिए महामारी की जांच (टेस्टिंग) एक अहम मुद्दा है।…

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कोरोना से लड़ाई में अंधश्रद्धा के लिए कोई जगह नहीं -राम पुनियानी

इस समय (मार्च 2020) पूरी दुनिया, कोविड -19 वैश्विक महामारी से मुकाबला करने में जुटी है. चीन से शुरू हुई यह जानलेवा बीमारी विश्व के लगभग सभी देशों में फैल गई है. अपनी आबादी और आकार के चलते भारत के लिए इस बीमारी से लड़ना एक बड़ी चुनौती है. इस सिलसिले में कई कदम उठाए…

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असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के पलायन पर देश में इतनी चुप्पी क्यों है

मोनू 28 मार्च की रात ही अपने किराये के मकान से निकला था सिविल लाइंस बस अड्डे की ओर जिससे उसे कोई बस या गाड़ी मिल सके और वह अपने गांव महोबा जा सके. पिछली 24 तारीख़ से जब टोटल लॉकडाउन किया गया तब से मोनू को उसका मकान मालिक लगातार कमरा ख़ाली करने का…

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भारत में मोदी की अब तक की पूरी भूमिका का अमेरिका से क्या संबंध है ?- अरुण माहेश्वरी

मोदी के इन छ: सालों में हो रही तमाम बर्बादियों के इतिहास को देखते हुए अब इस बात की खोज करने की ज़रूरत है कि आख़िर इस सरकार का असली सूत्रधार कौन है ? आरएसएस ही आखिर क्या है ? हमने 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने के बाद ही आरएसएस पर एक शोध…

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फिल्म ‘मंडी’ का मजार – -अजय ब्रह्मात्मज

श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंडी’ में शबाना आज़मी और उनकी मंडली को शहर से निकलकर वीराने में अपना कोठा बनाना पड़ा था. कोठा बनने के बाद शहर के लोगों को ही आने-जाने लगते हैं और वह इलाका गुलज़ार हो जाता है. फिल्म देखी हो तो आपको याद होगा कि ‘मंडी’ में एक मजार भी था….

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क्या मज़दूर इंसान नहीं?: बरेली में मज़दूरों पर केमिकल का छिड़काव

कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लॉकडाउन होने की वजह से प्रवासी मज़दूर अपने घरों को लौट रहे हैं। रविवार को दूसरे प्रदेशों और ज़िलों से ऐसे ही मज़दूर बड़ी संख्या में बस से बरेली पहुंचे। अब आदेश था कि बाहर से आने वाली सभी बसों को सैनेटाइज़ किया जाए लेकिन कर्मचारियों ने बस…

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