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Month: May 2020

भारत भी श्रम कानून सुधारों में सुरक्षा की जगह आय को प्रमुखता दे रहा है

अमेय प्रताप सिंह भारत की बिगड़ती व्यापक आर्थिक स्थिति के मद्देनज़र देश के तीन राज्यों ने श्रम कानूनों में अनेक तात्कालिक परिवर्तनों की घोषणा की है, और उम्मीद है कि अन्य राज्य भी ऐसा ही करेंगे. उदाहरण के लिए, कोविड-19 से बाधित औद्योगिक विकास में जान फूंकने के लिए योगी आदित्यनाथ और विजय रूपानी के…

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कोरोना संकट से मध्यम वर्ग पर भारी चोट

By- मनु गौड़ कोविड-19 के संकट का देश पर गंभीर असर हो रहा है। इसका खामियाजा सरकार से लेकर देश के हर नागरिक को उठाना पड़ा है। बढ़ते संकट के कारण सरकार की कमाई पर सीधा असर पड़ा है। इस कारण मार्च से जून तक केंद्र सरकार का टैक्स कलेक्शन भी बुरी तरह प्रभावित होगा।…

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कहानी: चलन – राजनारायण बोहरे

तुलसा खरे साहब के बंगले के लॉन की देखभाल करता है । आज भी रोज की तरह अपना काम काज निपटाकर आया तो उनके सामने जमीन पर ही बैठ गया । बोला  ‘साहब , मैं परसों-तरसों तक काम करने नहीं आ सकूंगा  ।’ ‘ क्यों ऐसा क्या काम आ गया । तुम तो कभी छुट्टी…

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तालाबंदी को लेकर राज्यों की अलग अलग नीतियां

तालाबंदी को बढ़ाने को लेकर सभी राज्यों में सर्वसम्मति नहीं है. कुछ राज्य संक्रमण के कम मामलों के बावजूद तालाबंदी जारी रखना चाहते हैं तो कुछ अधिकतर गतिविधियां शुरू करना चाहते हैं. क्या निर्णय लेगी केंद्र सरकार? तालाबंदी का तीसरा चरण 17 मई को समाप्त हो जाएगा. इस बीच केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए सभी कदमों से संकेत मिल…

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कोरोना: समाज अधिक डरपोक, हिंसक और क्रूर क्यों हो गया? -अपूर्वानंद

हम उनकी बात न करें जो इस घड़ी इंसानियत की याद को ज़िंदा रखने के लिए भाग-भाग कर भूखे प्यासे लोगों तक किसी भी तरह कुछ राहत पहुँचाने के जतन में लगे हैं। यह डरा हुआ समाज इनकी बहादुरी को अपनी शर्म ढँकने के लिए आड़ बनाएगा। लेकिन यह चतुराई है। क्योंकि यह मानवीयता इस…

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बंटवारे से आखिर, उन्हें क्या हासिल हुआ ? -जाहिद खान

11 मई -अफसानानिगार सआदत हसन मंटो की जयंती  सआदत हसन मंटो, हिंद उपमहाद्वीप के बेमिसाल अफसानानिगार थे। प्रेमचंद के बाद मंटो ही ऐसे दूसरे रचनाकार हैं, जिनकी रचनाएं आज भी पाठकों को ध्यान अपनी ओर खींचती हैं। क्या आम, क्या खास वे सबके हर दिल अजीज हैं। सच बात तो यह है कि मंटो की मौत के आधी…

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घर लौटने की जिद्दी धुन – जीवेश चौबे

कौन जानता था कि बचपन में खेला गया छुक छुक गाड़ी का खेल एक दिन सचमुच उनकी रेल बनकर उन्हें घर पहुंचाने का सबब बन जाएगा । यदि सुरक्षित घर पहुंचा ही देता तो भी कम से कम खेल खेलने का लुफ्त आया समझ लेते, मगर रास्ते में यूं डब्बों का बिखर जाना एक उम्मीद…

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कहानी: टीला- आनंद हर्षुल

वह टीले पर बैठा था-चुप और गुमसुम। पैर पेट की ओर मुड़े हुए थे और घुटनों पर कोहनियाँ थीं । अपनी हथेलियों में वह अपना चेहरा थामे था । हथेलियों के बीच काला चेहरा था-ठेठ काला और चेचक के गहरे दागों से भरा । सबसे अधिक दिखती नाक थी- पीछे दबी और सामने को पसरी…

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बहार आये तो मेरा सलाम कह देना… -जाहिद खान

-10 मई, शायर-गीतकार कैफी आजमी की पुण्यतिथि पर – क़ैफी आज़मी, तरक्कीपसंद तहरीक के अगुआ और उर्दू अदब के अज़ीम शायर थे। तरक्कीपसंद तहरीक को आगे बढ़ाने और उर्दू अदब को आबाद करने में उनका बड़ा योगदान है। वे इंसान-इंसान के बीच समानता और भाईचारे के बड़े हामी थे। उन्होंने अपने अदब के जरिए इंसान…

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नफरत का ज़हर नहीं, प्रेम की खुशबू की ज़रुरत है हमें -राम पुनियानी

हमारी दुनिया पर कोरोना वायरस के हमले के बाद सभी को उम्मीद थी कि इस अदृश्य शत्रु से लडाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी और इस लडाई को नस्ल, धर्म आदि की दीवारों से ऊपर उठ कर लड़ा जायेगा. परन्तु यह दुखद है कि भारत में स्थितियां इतनी बदतर हो गईं कि संयुक्त राष्ट्रसंघ तक को…

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