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Month: June 2020

बड़े गुलाम अली खान की यह प्रस्तुति बताती है कि भारतीय संस्कृति है क्या और वह क्या नहीं हो सकती है- रामचंद्र गुहा

बड़े गुलाम अली खान की यह प्रस्तुति एक अद्भुत गायन होने के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक विविधता और सभ्यता को एक शानदार श्रद्धांजलि भी है- https://www.youtube.com/watch?v=VWXVj2Xus7E&feature=youtu.be अक्सर ही ऐसा होता है कि मैं काम से फारिग होकर शाम के खाने से पहले करीब एक घंटे तक भारतीय शास्त्रीय संगीत सुनता हूं. पहले मेरा सहारा वे कैसेट…

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कालों के रोष प्रदर्शन की प्रतिक्रिया में गोरों का जवाबी प्रदर्शन क्यों नहीं? -अपूर्वानंद

एक गोरा पुलिस अधिकारी एक ग़रीब काले की गर्दन को अपने घुटने से दबाता चला जाता है, अपने पेशे का अधिकार मानकर, उसकी घुटी चीख़ों को अनसुना करते हुए और उसके साथी अधिकारी ऐसा करने में उसे बाधा न हो, इसलिए घेरा देकर खड़े रहते हैं, यह चित्र अमेरिका की आत्मछवि पर एक कलंक है।…

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सबके हबीब – जीवेश चौबे

अलग राज्य बनने के बाद भी छत्तीसगढ़ में उपेक्षा व अनदेखी से वे खून का घूंट पीकर मध्यप्रदेश के भोपाल मे विस्थापित हो गए । आज भी सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ मे इस महान रंगकर्मी को वो सम्मान व स्थान नही दिया जा रहा है जिसके वे हकदार हैं । हालांकि रंगकर्म से जुड़े लोग, संस्थाएं…

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सावरकर, द्विराष्ट्र सिद्धांत और हिंदुत्व -राम पुनियानी

 गत 28 मई, 2020 को विष्णु दामोदर सावरकर चर्चा में थे. उस दिन जहां कर्नाटक में विपक्षी दलों ने येलाहंका फ्लाईओवर का नामकरण सावरकर के नाम पर करने का विरोध किया वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सावरकर को  श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने अनेक व्यक्तियों को स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने की…

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द हैप्पी बड्डे ऑफ़ सुमन चौधरी- अंजू शर्मा

अंजू शर्मा की  कहानियां पिछले कई वर्षों से प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं. सुंदर कथा शिल्प और अलग-अलग पृष्ठभूमि और भाषाई प्रयोगों के माध्यम से लिखी गईं इन सभी कहानियों में अपने समय की अनुगूंज है . कहानी संग्रह ‘एक नींद हज़ार सपने’ है और हाल ही में उनका कहनी संग्रह ‘सुबह ऐसे…

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ऐसे थे अपने बासुदा : अशोक मिश्र

 ‘बसु’ का अर्थ होता है, प्रतिभा, प्रकाश, समृद्ध! अपने बासुचटर्जीदा तीनों थे ! उनकी फिल्मों के बारे में सब जानते हैं लेकिन उनके व्यक्तित्व के बारे में जितना जानो उतना कम. सामान्य सी बुश्शर्ट जो ज्यादातर सफ़ेद होती और फुलपेंट. आप उनके घर पहुंच जाओ तो लुंगी और सफ़ेद कुरते में नज़र आते. जूता शायद…

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आज भी अधूरे हैं मार्टिन लूथर किंग के सपने

एल. एस. हरदेनिया वर्ष 1963 में अगस्त 29 को अमरीका की राजधानी वाशिंगटन में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन का नेतृत्व मार्टिन लूथर किंग जूनियर कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों की मांग थी ‘हमें सम्मान और काम चाहिए’। इस प्रदर्शन में दो लाख लोग शामिल थे। प्रदर्शनकारियों में अश्वेत और श्वेत दोनों शामिल थे। अश्वेत90 प्रतिशत और श्वेत 10 प्रतिशत थे। प्रदर्शनकारियों…

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‘मैं सांस नहीं ले पा रहा हूँ’

नथमल शर्मा      ये आख़िरी शब्द है जार्ज फ्लायड के । 46 बरस के इस अश्वेत की गर्दन एक गोरे पुलिस अफ़सर ने अपने घुटनों से दबाई है । जार्ज अपना जीवन बचाने गुहार लगा रहा है । पर उसका अपराध शायद काला होना था और वह वहीं मर गया । उसकी मौत के…

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कम्युनिस्ट आंदोलन: व्यंग्य कथाएं- असग़र वजाहत

कोई 10-15 साल पहले मैंने कम्युनिस्ट आंदोलन पर कुछ व्यंग्य कथाएं लिखी थीं।  वे बहुत कम  छपी है। उनमें से एक कथा भाषा पर भी है।उस कथा को फेसबुक पर लगाने की बात सोच रहा था कि ध्यान आया दरअसल वह एक पूरी सीरीज़ है और उस पर समग्रता में ही बात हो सकती है।…

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अमरिंदर ने केंद्र की नई कृषि नीति को किया खारिजः पंजाब में पुरजोर विरोध

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केन्द्र लरकार की नई कृषि नीति को सिरे से खारिज कर दिया है। मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रेस से बात करते हुए केंद्र सरकार की जोरदार मुखालफत की। उन्होंने कहा, ‘केंद्र, राज्यों को विश्वास में लिए बगैर फैसले कर और उन्हें थोप रहा है। यह…

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