आशुतोष वार्ष्णेय स्टीवन लेवित्स्की और डैनिएल ज़िब्लाट की किताब ‘हाऊ डेमोक्रेसीज़ डाई’ में विस्तार से बताया गया है कि किस तरह लोकतांत्रिक रूप से चुने गए लोग ही लोकतंत्र को अंदर से ध्वस्त कर रहे हैं और वह भी क़ानूनी रूप से। क्या यह बात भारत के परिप्रेक्ष्य में भी प्रासंगिक है? ‘इंडियन एक्सप्रेस‘ में…
एम.ए. समीर हिंदी साहित्य में महान कथाकार अमृतलाल नागर का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है अगर यह कहा जाए कि उपन्यास-सम्राट प्रेमचंद की अमर कृति ‘गोदान’ की तुलना का कोई उपन्यास है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह उपन्यास महान साहित्यकार अमृतलाल नागर का ‘मानस का हंस’ है. हिंदी साहित्य…
नाज़मा ख़ान ”ये हमारी चॉइस नहीं है कि हमें एक्टिविस्ट बनना है, लेकिन अगर आपको जीना है, तो हर ग़लत के ख़िलाफ़ खड़ा होना होगा।” यह कहना है नौदीप की बहन राजवीर कौर का। नाज़मा ख़ान ने उनसे मुलाकात और बात की। मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं…
शुभम उपाध्याय उस मुलाकात के वक्त सैयद हैदर रज़ा साहब की सेहत बेहद नासाज थी, लेकिन चित्रकारी और उसके बहाने खुद को अभिव्यक्त करने को लेकर उनका उत्साह तब भी चरम पर था जो सैयद हैदर रज़ा के काम में गहरी दिलचस्पी रखते आए हैं उन्होंने एक बात पर गौर किया होगा. वह बात यह…
विभूति नारायण राय 1962 की शर्मनाक हार का देश के मनोबल पर क्या असर पड़ा, हमें कभी भूलना नहीं चाहिये। बजाय इतिहास को दोहराते हुए सरकार को युद्ध के लिए कूद पड़ने को मजबूर करने के हमें उसे याद दिलाते रहना होगा कि उसके लिये जितना ज़रूरी सीमाओं की हिफ़ाज़त करना है उससे कम ज़रूरी…
कृषि क़ानूनों को ख़ारिज करने का मतलब यह भी होगा कि भाजपा सरकार को कुछ महत्वपूर्ण नव-उदारवादी क़दमों को वापस लेना होगा।नरेंद्र मोदी सरकार ने पहले तो छोटे उत्पादन क्षेत्र की लाभप्रदता पर खुला हमला बोला जिसमें पहले नोटबंदी की गई, फिर इस क्षेत्र पर असमान जीएसटी लगा दिया, और अब अंत में इसके माध्यम…
कांग्रेस को उम्मीद है कि इसके जरिये वह बीजेपी और उसकी आईटी सेल द्वारा उसे पाकिस्तान परस्त बताए जाने के आरोपों का जोरदार जवाब दे सकेगी। साथ ही वह यह भी बताएगी कि बीजेपी के राज में राष्ट्रीय सुरक्षा किस तरह कमजोर हुई है। 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही बीजेपी ने…
अरविंद कुमार आज दुनिया में किसानों की छवि खराब करने की साजिश के हल्ले के बीच यह जानना दिलचस्प है कि करीब 60 साल पहले एक अमेरिकी शोधार्थी वाल्टर हाउजर ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय अकादमिक जगत में भारत के किसान आंदोलन की आवाज उठाई थी। उसके बाद से सत्तर के दशक में अकादमिक जगत में…
सुनील मिश्र “कुलभूषण खरबंदा ऐसे कलाकार हैं, जिनके लिए भूमिकाएं लिखी नहीं जा सकतीं, क्योंकि वे किसी किरदार को निभाते नहीं, बल्कि जीते हैं” मिर्जापुर के दो सीजन देखते हुए ध्यान कुलभूषण खरबंदा पर एकाग्र हो जाता है। सामने एक किरदार बैठा है जिसका नाम है, सत्यानंद त्रिपाठी। उसका बेटा अखंडानंद त्रिपाठी मिर्जापुर का बाहुबली…
हरजिंदर कभी दुनिया की क्रिकेट का चेहरा बदल देने वाले आस्ट्रेलियाई मीडिया मुगल कैरी पैकर और टेलीविजन की दुनिया बदल देने वाले रपर्ट मर्डाक अब सोशल मीडिया का चेहरा बदलने पर तुल गए हैं। हम अभी तक सोशल मीडिया पर ख़बरों को जिस तरह देखते, पढ़ते और सुनते हैं वह अब पूरी तरह से बदलने वाला…
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