शाहीन बाग़ में पहले आतंकवादियों की शह देखी गई, फिर नक्सलवादी होने का इल्ज़ाम लगा, फिर शांति भंग करने का आरोप लगा और अंततः उसके तार दिल्ली के दंगों से जोड़ दिए गए। किसान आंदोलन में भी खालिस्तानी तत्व खोज लिए गए, नक्सली हाथ देख लिया गया और यह सवाल भी पूछा गया कि इनकी…
मुकेश कुमार कोई पूछे कि क्या पिछले चार साल अमेरिका में लोकतंत्र था और अगर था तो वह कैसा लोकतंत्र था? वहाँ की तमाम लोकतांत्रिक संस्थाएं ट्रंप को रोकने में नाकाम रहीं। मीडिया अगर अपनी भूमिका निभा भी रहा था तो उससे ट्रंप की राजनीति पर क्या असर पड़ा, वह तो और भी मज़बूत होती…
केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर बीते 43 दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों ने गुरुवार को दिल्ली की चारों सीमाओं पर पूर्वघोषित कार्यक्रम के अनुसार ट्रैक्टर मार्च निकाला. किसानों ने कहा है कि यह 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर आयोजित किए जाने वाले ट्रैक्टर मार्च का पूर्वाभ्यास है….
शुभम उपाध्याय आरडी बर्मन यानी पंचम दा को ऐसा संगीतकार कहा जा सकता है जिन्होंने फिल्म संगीत के मिजाज और व्याकरण को बदलकर एक नया दौर शुरू किया था राहुल देव बर्मन को आप संगीतकारों की दुनिया का गुलजार भी कह सकते हैं. राहुल देव बर्मन को आप संगीतकारों की दुनिया का गुलजार भी कह…
राकेश वेदा नए कृषि कानून वापस होने की उम्मीद के साथ इप्टा और प्रलेस के कलाकारों और लेखकों ने वहां अपनी कला,गीत और कविताओं से जितना दिया उससे ज्यादा लिया।वहां से लिया लड़ने का हौसला,आंदोलन को उत्सव में बदलने का सलीका।दिल्ली की सीमाओं पर किसान इंसानियत की पाठशाला चला रहे हैं,संविधान का पुनर्पाठ कर रहे…
विप्लव अवस्थी “जनहित याचिकाएँ सरकार के विरोधियों और सिविल सोसाइटी के लोगों का एक औज़ार बनती जा रही हैं, जिसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है।” यह कहना है देश के सर्वोच्च न्यायालय का, जिसका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट जनहित के मामलों में सर्वोच्च संस्था नहीं बन सकतीं। सुप्रीम कोर्ट…
शकील अख्तर भारत सरकार इन दिनों 17वीं शताब्दी के मुग़ल शहज़ादे दारा शिकोह की क़ब्र तलाश रही है.भारत में दारा शिकोह को एक उदार चरित्र माना जाता है.यह नैरेटिव बनाने की कोशिश हो रही है कि वर्तमान मुसलमानों की तुलना में दारा शिकोह भारत की मिट्टी में ज़्यादा घुल मिल गए थे. मुग़ल बादशाह शाहजहाँ…
अरविंद मोहन करीब पौने दो सौ साल पहले जन्मे नगेन्द्रनाथ गुप्त देश के पहले बड़े पत्रकारों में एक थे और उन्होंने 1857 के बाद से लेकर गांधी के उदय के पूर्व का काफी कुछ देखा और बताया है. वे ट्रिब्यून के यशस्वी सम्पादक थे तो रवीन्द्रनाथ के दोस्त और विवेकानन्द के क्लासमेट. उनके संस्मरणों की…
कैपिटल बिल्डिंग हिंसा के बाद ट्विटर, फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का एकाउंड बंद कर दिया है। ऐसा शायद पहली बार है कि किसी राष्ट्र के प्रमुख का सोशल मीडिया एकाउंट इतने बड़े स्तर पर ब्लॉक किया गया हो। सोशल मीडिया साइटों ने यह कार्रवाई इसलिए की है क्योंकि ट्रंप के ‘उकसावे’ वाले…
कमलेश्वर (6 जनवरी1932-27 जनवरी 2007) हिन्दी के प्रमुख लेखकों में से एक । वे ‘सारिका’ ‘धर्मयुग’, ‘जागरण’ और ‘दैनिक भास्कर’ जैसे प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रहे। उन्होंने कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में लिखा। उनके उपन्यासों `आंधी’, ‘मौसम (फिल्म)’, ‘सारा आकाश’, आदि पर फिल्में भी बनी । उन्होंने ‘रजनीगंधा’, ‘छोटी…
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