विकास नारायण राय किसान आन्दोलन से निपटती या उसे निपटाती अमित शाह की पुलिस के पक्ष में इतना ही कहा जायेगा कि उसने अभी तक गोली न चलाने का संयम दिखाया है। यह केन्द्रीय गृह मंत्री की राजनीतिक विवशता हो तो भी और पुलिस की पेशेवर रणनीति हो तो भी, स्वागत योग्य है। लेकिन कुल…
उर्मिलेश आमतौर पर दलीय-राजनीतिज्ञ इस तरह से सच नहीं बोला करते! लेकिन भाजपा वाले उनके सच बोलने से भी नाराज़ हैं। …लेकिन इतना ही नहीं अपने कहे का जवाब तलाशने के लिए राहुल गांधी को अपने उत्तर-भारतीय समाज और स्वयं अपने दलीय राजनीतिक इतिहास में झांकने की ज़रूरत है। वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का आलेख केरल…
दिशा रवि की जमानत पर रिहाई जितनी महत्वपूर्ण घटना है, उससे कम महत्वपूर्ण नही है दिल्ली की अदालत के जज धर्मेन्द्र राणा का ऐतिहासिक जजमेन्ट. इन दोनों घटनाओं से कहीं कम नही है दिशा रवि की मां मंजुला का अपनी बेटी का साथ देता बहादुराना बयान! किसान आंदोलन के समर्थन पर मां-बेटी आज भी अडिग…
आशुतोष वार्ष्णेय स्टीवन लेवित्स्की और डैनिएल ज़िब्लाट की किताब ‘हाऊ डेमोक्रेसीज़ डाई’ में विस्तार से बताया गया है कि किस तरह लोकतांत्रिक रूप से चुने गए लोग ही लोकतंत्र को अंदर से ध्वस्त कर रहे हैं और वह भी क़ानूनी रूप से। क्या यह बात भारत के परिप्रेक्ष्य में भी प्रासंगिक है? ‘इंडियन एक्सप्रेस‘ में…
एम.ए. समीर हिंदी साहित्य में महान कथाकार अमृतलाल नागर का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है अगर यह कहा जाए कि उपन्यास-सम्राट प्रेमचंद की अमर कृति ‘गोदान’ की तुलना का कोई उपन्यास है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह उपन्यास महान साहित्यकार अमृतलाल नागर का ‘मानस का हंस’ है. हिंदी साहित्य…
नाज़मा ख़ान ”ये हमारी चॉइस नहीं है कि हमें एक्टिविस्ट बनना है, लेकिन अगर आपको जीना है, तो हर ग़लत के ख़िलाफ़ खड़ा होना होगा।” यह कहना है नौदीप की बहन राजवीर कौर का। नाज़मा ख़ान ने उनसे मुलाकात और बात की। मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं…
शुभम उपाध्याय उस मुलाकात के वक्त सैयद हैदर रज़ा साहब की सेहत बेहद नासाज थी, लेकिन चित्रकारी और उसके बहाने खुद को अभिव्यक्त करने को लेकर उनका उत्साह तब भी चरम पर था जो सैयद हैदर रज़ा के काम में गहरी दिलचस्पी रखते आए हैं उन्होंने एक बात पर गौर किया होगा. वह बात यह…
विभूति नारायण राय 1962 की शर्मनाक हार का देश के मनोबल पर क्या असर पड़ा, हमें कभी भूलना नहीं चाहिये। बजाय इतिहास को दोहराते हुए सरकार को युद्ध के लिए कूद पड़ने को मजबूर करने के हमें उसे याद दिलाते रहना होगा कि उसके लिये जितना ज़रूरी सीमाओं की हिफ़ाज़त करना है उससे कम ज़रूरी…
कृषि क़ानूनों को ख़ारिज करने का मतलब यह भी होगा कि भाजपा सरकार को कुछ महत्वपूर्ण नव-उदारवादी क़दमों को वापस लेना होगा।नरेंद्र मोदी सरकार ने पहले तो छोटे उत्पादन क्षेत्र की लाभप्रदता पर खुला हमला बोला जिसमें पहले नोटबंदी की गई, फिर इस क्षेत्र पर असमान जीएसटी लगा दिया, और अब अंत में इसके माध्यम…
कांग्रेस को उम्मीद है कि इसके जरिये वह बीजेपी और उसकी आईटी सेल द्वारा उसे पाकिस्तान परस्त बताए जाने के आरोपों का जोरदार जवाब दे सकेगी। साथ ही वह यह भी बताएगी कि बीजेपी के राज में राष्ट्रीय सुरक्षा किस तरह कमजोर हुई है। 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही बीजेपी ने…
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