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Month: February 2021

व्यवहार और आदतों में अपने पिता जैसा ही था हिटलर

जर्मन तानाशाह अडोल्फ हिटलर एक तिरस्कारी और आत्म-मुग्ध व्यक्ति था. यह बात तो सब जानते हैं लेकिन लोगों को शायद ही यह पता होगा कि ये दुर्गुण उसे अपने पिता से विरासत में मिले थे. एक जैसी ही थी बाप-बेटे की आदतें. ऑस्ट्रिया के मशहूर इतिहासकार रोमान सैंडब्रुगेर ने अपनी नई किताब में हिटलर के…

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डिजिटल मीडिया का गला घोंट देगी यह गाइडलाइन

क़मर वहीद नक़वी सरकार की नीयत पर सबसे पहला सवाल इसी तथ्य से उठ खड़ा होता है कि देश की आधी से ज़्यादा आबादी को प्रभावित करने वाले सोशल और डिजिटल मीडिया के नियमन को लाने के पहले इस पर देश भर में व्यापक चर्चा क्यों नहीं हुई? सरकार इसे चुपचाप क्यों ले आई? आख़िर…

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इंटरव्यू : “रिहाना या ग्रेटा का किसानों का समर्थन करना गलत नहीं”- विनोद के. जोस

ज्योतिका सूद “गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में लाल किले की घटना के बाद जो 257 टि्वटर हैंडल सस्पेंड किए गए थे, उनमें ‘द कारवां’ पत्रिका का टि्वटर हैंडल भी शामिल था। ज्योतिका सूद के साथ बातचीत में पत्रिका के कार्यकारी संपादक विनोद के. जोस ने बताया कि सोशल मीडिया, पत्रकार और सरकार कैसे काम कर…

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रज़ा शताब्दी वर्षः सैय्यद हैदर रज़ा साहब के चित्रों को देखते हुए

मुकेश बिजौले भारतीय दर्शन में रज़ा साहब का गहरा विश्वास रहा है यही कारण है कि वे आंतरिक स्तर पर  आध्यात्मिक यात्रा करते हुए विंदु पर एकाग्र हो जाते हैं जो उनकी कला यात्रा का महत्वपूर्ण केंद्रीय रूपाकार है, बल्कि रंग और रूपों के माध्यम से भारतीयता को महसूस कराते हैं। रज़ा साहब भारतीय कला परम्परा…

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Farm laws and the corporate salt

– By Manjunath If the Indian agriculture is the gamble of monsoon, ‘Sarna’ is the choicest bet for the farmers of Chhattisgarh. The Chhattisgarh farmers opt growing this thick rice variety abundantly not to sell in the open market but to the government at the Minimum Support Price (MSP). This high yielding variety but least…

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राजद्रोह का क़ानूनः सिमटे तो दिले आशिक़ फैले तो ज़माना है

अरुण कुमार त्रिपाठी  “आज देश और दुनिया की भलाई इसी में है कि लफ़्ज़े मोहब्बत का दायरा निरंतर फैले और सारे ज़माने को अपने में समेट ले। जबकि राजद्रोह का दायरा निरंतर संकुचित हो…।”जिगर मुरादाबादी से माफ़ी मांगते हुए लफ़्ज़े मोहब्बत के बारे में कही गई उनकी प्रसिद्ध पंक्तियों की विरोधाभासी तुलना राजद्रोह के कानून…

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गाय हमारी माता है लेकिन भैंस नहीं, क्यों?

अंजलि मिश्रा भारत जैसे देश में गाय को महत्व मिलना स्वाभाविक है, लेकिन इस मामले में भैंस, बकरी, ऊंट और भेड़ जैसे पशु उससे इतने पीछे कैसे रह गए? नोएडा के एक प्रतिष्ठित स्कूल में हिंदी के शिक्षक हर्षित रवि को जब ‘कामधेनु गोविज्ञान प्रचार प्रसार परीक्षा’ के बारे में पता चला तो उनका कहना…

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सूरत नतीजे पर आप और बीजेपी में वाकयुद्ध

सूरत में जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल 26 फ़रवरी को ख़ुद सूरत पहुंचे और रोड शो किया। रोड शो में उमड़ी भीड़ से केजरीवाल और पूरी पार्टी गदगद दिखाई दी। लेकिन गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल ने कुछ आंकड़े देकर आप पर तंज कसा तो केजरीवाल ने…

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बंगाल में आठ चरण में चुनाव कराने पर फिर कठघरे में आयोग

अनिल जैन चुनाव आयोग ने चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के विधानसभा चुनाव का जो कार्यक्रम घोषित किया है, उससे एक बार फिर जाहिर हुआ है कि केंद्र सरकार ने अन्य संवैधानिक संस्थाओं की तरह चुनाव आयोग की स्वायत्तता का भी अपहरण कर लिया है। इसलिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा…

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गोलवलकर और हमारा सत्ताधारी दल – राम पुनियानी

भारत के वर्तमान सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भले ही हमारे धर्मनिरपेक्ष-बहुवादी और संघात्मक संविधान के नाम पर शपथ लेते हों परन्तु सच यह है कि यह पार्टी देश को आरएसएस के एजेंडे में निर्धारित दिशा में ले जा रही है. हमारे धर्मनिरपेक्ष-बहुवादी संविधान और आरएसएस के हिन्दू राष्ट्रवाद के बीच जो…

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