गौतम नवलखा का चश्माः बंबई हाईकोर्ट ने कहा- इंसानियत से बड़ी चीज़ कुछ भी नहीं है!

भीमा कोरेगांव केस के सिलसिले में मुंबई की तलोजा जेल में बंद वरिष्‍ठ पत्रकार गौतम नवलखा को उनके परिवार की ओर से भेजा गया चश्‍मा जेल अधिकारियों द्वारा न दिए जाने पर बंबई उच्‍च न्‍यायालय ने कड़ा रुख़ अपनाते हुए कहा है कि ऐसा लगता है कि अब जेल अधिकारियों को मानवता सिखाने के लिए कार्यशाला चलानी पड़ेगी। विदित हो कि गौतम का चश्‍मा जेल में 27 नवंबर को चोरी हो गया था।

गौतम का चश्‍मा जेल में 27 नवंबर को चोरी हो गया था। उसके बाद तीन दिन तक उन्‍हें अपने परिवार फोन नहीं करने दिया गया। उनकी पत्‍नी ने बाद में जब चश्‍मा डाक से भेजा, तो जेल अधिकारियों ने उसे लेने से इनकार कर दिया। इसी घटना पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा, ‘’मानवता सबसे बड़ी चीज़ है।‘’

कोर्ट मंगलवार को भीमा कोरेगांव के दो अन्‍य आरोपियों सागर गोरखे और रमेश गायचोर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एमएस कार्णिक ने गौतम के केस पर टिप्‍पणी की, ‘’मानवता सबसे ज़रूरी चीज़ है, बाकी सब उसके बाद आता है। आज हमें नवलखा के चश्‍मे का मामला पता चला। लगता है अब जेल के अधिकरि‍यों के लिए कार्यशाला चलानी पड़ेगी।‘’

गौतम की पत्नी ने उन्हें 3 दिसंबर को स्पीड पोस्ट से चश्‍मा भेजा था जो 5 दिसंबर को जेल पहुंचा लेकिन जेल अधिकारियों ने उसे लेने से मना कर दिया। इसी का संदर्भ लेते हुए जस्टिस शिंदे ने पूछा, ‘’इन छोटी छोटी चीजों के लिए आप कैसे मना कर सकते हैं? ये सब तो इंसानियत के दायरे में आता है।‘’ इससे पहले इसी मामले में जेल में बंद फादर स्‍टेन स्‍वामी को सिपर और स्‍ट्रॉ के लिए मना किया गया था। इसके बाद सोशल मीडिया पर अच्‍छा खासा अभियान चला था।

सौज- जनपथ 

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