कहानीः दूसरी भाषा- ख़लील जिब्रान

ख़लील जिब्रान (6 जनवरी, 1883–10 जनवरी, 1931) अरबी और अंग्रेजी के लेबनानी-अमेरिकी कलाकार, कवि तथा न्यूयॉर्क पेन लीग के लेखक थे। उन्हें अपने चिंतन के कारण समकालीन पादरियों और अधिकारी वर्ग का कोपभाजन होना पड़ा और जाति से बहिष्कृत करके देश निकाला तक दे दिया गया था। जीवन की कठिनाइयों की छाप उनकी कृतियों में भी है जिनमें उन्होंने प्राय: अपने प्राकृतिक एवं सामाजिक वातावरण का चित्रण किया है। आधुनिक अरबी साहित्य में उन्हें प्रेम का संदेशवाहक माना जाता है। उनकी मुख्य कृतियाँ: द निम्फ्स ऑव द वैली, स्प्रिट्स रिबेलिअस, ब्रोकन विंग्स, अ टीअर एंड अ स्माइल, द प्रोसेशन्स, द टेम्पेस्ट्स, द स्टॉर्म, द मैडमैन, ट्वेंटी ड्रॉइंग्स, द फोररनर, द प्रोफेट, सैंड एंड फोम, किंगडम ऑव द इमेजिनेशन, जीसस : द सन ऑव मैन, द अर्थ, गॉड्स, द वाण्डरर, द गार्डन ऑव द प्रोफेट, लज़ारस एंड हिज़ बिलवेड । आज पढ़ें उनकी कहानी-

दूसरी भाषा

मुझे पैदा हुए अभी तीन ही दिन हुए थे और मैं रेशमी झूले में पड़ा अपने आसपास के संसार को बड़ी अचरज भरी निगाहों से देख रहा था । तभी मेरी माँ ने आया से पूछा, “कैसा है मेरा बच्चा ?”
आया ने उत्तर दिया, “वह ख़ूब मज़े में है । मैं उसे अब तक तीन बार दूध पिला चुकी हूँ । मैंने इतना ख़ुशदिल बच्चा आज तक नहीं देखा ।” 
मुझे उसकी बात पर बहुत गुस्सा आया और मैं चिल्लाने लगा, “माँ यह सच नहीं कह रही । मेरा बिस्तर बहुत सख़्त है और, जो दूध इसने मुझे पिलाया है वह बहुत ही कड़वा था और इसके स्तनों से भयंकर दुर्गंध आ रही है । मैं बहुत दुखी हूँ ।” 
परंतु न तो मेरी माँ को ही मेरी बात समझ में आई और न ही उस आया को ; क्योंकि मैं जिस भाषा में बात कर रहा था वह तो उस दुनिया की भाषा थी जिस दुनिया से मैं आया था । 
और फिर जब मैं इक्कीस दिन का हुआ और मेरा नामकरण किया गया, तो पादरी ने मेरी माँ से कहा, “आपको तो बहुत ख़ुश होना चाहिए; क्योंकि आपके बेटे का तो जन्म ही एक ईसाई के रूप में हुआ है ।” 

मैं इस बात पर बहुत आश्चर्यचकित हुआ । मैंने उस पादरी से कहा, “तब तो स्वर्ग में तुम्हारी माँ को बहुत दुखी होना चाहिए ; क्योंकि तुम्हारा जन्म एक ईसाई के रुप में नहीं हुआ था ।” 
किंतु पादरी भी मेरी भाषा नहीं समझ सका । 
फिर सात साल के बाद एक ज्योतिषी ने मुझे देखकर मेरी माँ को बताया, “तुम्हारा पुत्र एक राजनेता बनेगा और लोगों का नेतृत्व करेगा ।” 
परंतु मैं चिल्ला उठा, “यह भविष्यवाणी गलत है; क्योंकि मैं तो एक संगीतकार बनूंगा । कुछ और नहीं, केवल एक संगीतकार ।” 
किंतु मेरी उम्र में किसी ने मेरी बात को गंभीरता से नहीं लिया । मुझे इस बात पर बहुत हैरानी हुई। 

तैंतीस वर्ष बाद मेरी माँ, मेरी आया और वह पादरी सबका स्वर्गवास हो चुका है , (ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे), किंतु वह ज्योतिषी अभी जीवित है । कल मैं उस ज्योतिषी से मंदिर के द्वार पर मिला । जब हम बातचीत कर रहे थे, तो उसने कहा, “मैं शुरु से ही जानता था कि तुम एक महान संगीतकार बनोगे । मैंने तुम्हारे बचपन में ही यह भविष्यवाणी कर दी थी । तुम्हारी माँ को भी तुम्हारे भविष्य के बारे में उसी समय बता दिया था ।” 
और मैंने उसकी बात का विश्वास कर लिया क्योंकि अब तक तो मैं स्वयं भी उस दुनिया की भाषा भूल चुका था ।

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