पुलिस ने अभी तक पेश होने का कोई नोटिस नहीं दिया-मौलाना साद

गैर राजनीतिक और सामाजिक-धार्मिक संगठन तबलीगी जमात कोरोना संकट के दौरान अनायास चर्चाओं में आ गया, क्योंकि कई जमाती कोरोना संक्रमण से पीड़ित पाए गए। नई दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित जमात का मुख्यालय (मरकज) भी पिछले एक महीने से विवादों में फंसा है। तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना मुहम्मद साद आमतौर पर सार्वजनिक रूप से नहीं बोलते हैं। लेकिन आउटलुक के कैसर मोहम्मद अली के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने संगठन का बचाव किया और मरकज से जुड़ी गतिविधियों की किसी भी जांच में पुलिस को पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के संपादित अंश –

दिल्ली में मार्च के दौरान आयोजित हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम के बारे में बताएं।

मरकज निजामुद्दीन के कार्यक्रम पूरे साल चलते रहते हैं। पूरी दुनिया से लोग यहां आते हैं और अपने यात्रा कार्यक्रम के अनुसार मरकज में कुछ दिन ठहरते हैं। किसी भी समय में मरकज में करीब 2000 जमाती और कार्यकर्ता मौजूद होते हैं। लेकिन यह संख्या विशेष कार्यक्रमों के दौरान बढ़ सकती है। मार्च के लास्ट हफ्ते (21-22 मार्च) में अधिकांश भागीदार तमिलनाडु के थे, जिन्होंने 20 मार्च से शुरू हुए विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लिया था और यह कार्यक्रम 24 मार्च को खत्म होने वाला था। भारत के दूसरे राज्यों के अलावा अन्य देशों के भी जमातियों ने इसमें शिरकत की थी। इनमें से अधिकांश लोगों को 24 मार्च के बाद वापस अथवा आगे की यात्रा पर जाना था। लेकिन ‘जनता कर्फ्यू’ लागू होने पर हमने अपने कार्यक्रम को तत्काल खत्म कर दिया और लोगों से घर जाने को कहा।

इस तरह लॉकडाउन की घोषणा होने से पहले हमने अपनी गतिविधियां पूरी तरह बंद कर दीं। हमारे सभी कार्यक्रम 23 मार्च को ही खत्म हो गए, लेकिन पहले दिल्ली सरकार और बाद में प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन की घोषणा किए जाने के कारण बाहर के लोगों के लिए परिवहन सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं। इसलिए वे मरकज में ही फंसे रह गए। हमने 17 वाहनों की व्यवस्था की और स्थानीय अधिकारियों से लोगों को उनके घर पहुंचाने के लिए विशेष अनुमति देने का अनुरोध किया। लेकिन हमें अनुमति नहीं दी गई। रेल सेवाएं बंद थीं। घरेलू फ्लाइट भी 26 मार्च को स्थगित कर दी गईं। इस तरह उनके घर लौटने की कोई भी संभावना नहीं बची।

क्या मरकज ने कार्यक्रम के बारे में पुलिस को सूचना दी?

हम लगातार पुलिस और स्थानीय प्रशासन के संपर्क में थे और उन्हें मरकज में मौजूद जमातियों के बारे में जानकारी दे रहे थे। 24 मार्च को हमारे कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की और जमातियों को वापस भेजने की योजना दी। हमने अधिकारियों को इसके संबंध में औपचारिक पत्र भी सौंपा। यह हमारे रिकॉर्ड में है।

क्या मरकज ने मार्च में आयोजित हुए कार्यक्रम में आने वाले जमातियों की संख्या के बारे में जानकारी दी थी?

हमने जो भी कदम उठाए थे, उनकी जानकारी एक अप्रैल 2020 को प्रेस रिलीज के जरिए दे दी थी।

आरोप लगाए जा रहे हैं कि पुलिस आप तक पहुंच नहीं पा रही है।

अभी तक पुलिस ने हमें दो नोटिस दिए। हमने उनके जवाब दे दिए हैं। पुलिस को जब भी हमें या हमारे किसी भी कार्यकर्ता को बुलाने की आवश्यकता होगी, हम बिना किसी देरी के प्रस्तुत हो जाएंगे। अभी तक पुलिस ने ऐसी कोई सूचना नहीं भेजी है।

क्या आप सेल्फ-क्वारेंटाइन में हैं?

हां, डॉक्टरों की सलाह पर मैं दिल्ली में सेल्फ-क्वारेंक्वारेंटाइन में हूं।

तबलीगी जमात को पैसा कहां से मिलता है?

मरकज किसी सरकार या किसी पब्लिक अथवा प्राइवेट संगठन से वित्तीय मदद नहीं मांगती है। हम किसी व्यावसायिक समूह से कोई संबंध नहीं रखते हैं। सभी जमाती अपने खर्च की व्यवस्था खुद करते हैं। शिक्षा और आध्यात्मिक प्रयासों के लिए व्यक्ति को खुद ही अपना समय और पैसा लगाना होता है। इसके बिना कोई मतलब नहीं है। हम तबलीगी किसी और के पैसे से यात्राएं कराने पर विश्वास नहीं करते हैं। मरकज और स्थानीय तबलीग केंद्रों के खर्चों का इंतजाम आवश्यकता के अनुसार कार्यकर्ताओं और स्थानीय समुदाय द्वारा किया जाता है। इसके लिए पैसा जुटाने की कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं है। मरकज किसी यात्री से कोई चार्ज नहीं लेता है। सभी की भागीदारी स्वेच्छा से होती है।

यह कैसर मोहम्मद अली के साथ आउटलुक के लिए एक्सक्लूसिव बातचीत के संपादित अंश हैं । आप पूरी बातचीत नीचे दीगई लिंक पर पढ़ सकते  हैं । सौ आउटलुक ( संपादक)

https://www.outlookhindi.com/face/general/no-request-so-far-from-police-to-appear-before-them-tablighi-jamat-chief-maulana-muhammad-saad-47830

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