सम्पादकीय

साथी सरोज छंद की स्मृति में – गोपाल नायडू

May 26, 2020

दुनिया, गज़ब के सांस्कृतिक आक्रमण और आतंक से जूझ रही है और संकट अत्याधिक सघन होते जा रहा है क्योंकि संस्कृति के सवाल पर मौन, निस्तब्धता और बिखराव का आलम है। हर रोज जिस दुनिया को लोकतांत्रिक और प्रगतिशीलता की ओर अगला कदम उठाना था, वह ठिठकी हुई सी खड़ी है।  लगातार बढ़ते इस दमन […]

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घर लौटने की जिद्दी धुन- जीवेश चौबे

May 24, 2020

कौन जानता था कि बचपन में खेला गया छुक छुक गाड़ी का खेल एक दिन सचमुच उनकी रेल बनकर उन्हें घर पहुंचाने का सबब बन जाएगा । यदि सुरक्षित घर पहुंचा ही देता तो भी कम से कम खेल खेलने का लुफ्त आया समझ लेते, मगर रास्ते में यूं डब्बों का बिखर जाना एक उम्मीद […]

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कहानी- काले लिबास वाली महिला- गोपाल नायडू

May 23, 2020

किसी महिला ने फेसबुक में एक पोस्ट डाला कि पिछले कई दिनों से अटलांटा शहरके  पीच ट्री सिटी के हाइवे-74 से सटकर कार्ट पथ पर एक महिला  उसके गोल्फ कार्ट गाड़ी परघूमती  या  बैठीदिखती है। यह कार्ट पथ केवल पैदल चलने वाले और गोल्फ कार्ट गाड़ी के लिए है। इस तरह यह कार्ट पथ पूरे […]

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भूपेश बघेल की किसान न्याय योजना क्या कॉंग्रेस के लिए गेम चेंजर साबित होगी ? – जीवेश चौबे

May 22, 2020

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा राजीव गांधी की पुण्यतिथि 21 मई के दिन प्रदेश में किसानों के लिए ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’  लांच की गई है, जो राहुल गांधी की महत्वाकांक्षी ‘न्याय’ योजना का ही परिवर्तित रूप है। इस योजना का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि ‘ न्याय ’ योजना के अनुरूप राशि सीधे किसानो […]

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गिरीश कर्नाड | रचना से आगे बड़े सरोकार वाला इंसान

May 20, 2020

अमितेश कुमार गिरीश कर्नाड, नाम जेहन में आते ही वो बेधने वाली तस्वीरें सामने आ जाती है जिसमें एक शख्स नाक में ड्रिप लगाए ‘नॉट इन माई नेम’ की तख्ती लिए हुआ खड़ा है, जो अपने समय में अपनी उपस्थिति को भौतिक रूप से भी दर्ज कराना चाहता है. जिसके सरोकार का दायरा केवल रचनाओं […]

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घर लौटने की जिद्दी धुन – जीवेश चौबे

May 10, 2020

कौन जानता था कि बचपन में खेला गया छुक छुक गाड़ी का खेल एक दिन सचमुच उनकी रेल बनकर उन्हें घर पहुंचाने का सबब बन जाएगा । यदि सुरक्षित घर पहुंचा ही देता तो भी कम से कम खेल खेलने का लुफ्त आया समझ लेते, मगर रास्ते में यूं डब्बों का बिखर जाना एक उम्मीद […]

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कहानी: टीला- आनंद हर्षुल

May 10, 2020

वह टीले पर बैठा था-चुप और गुमसुम। पैर पेट की ओर मुड़े हुए थे और घुटनों पर कोहनियाँ थीं । अपनी हथेलियों में वह अपना चेहरा थामे था । हथेलियों के बीच काला चेहरा था-ठेठ काला और चेचक के गहरे दागों से भरा । सबसे अधिक दिखती नाक थी- पीछे दबी और सामने को पसरी […]

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कहानीः शर्त – चेखव

May 8, 2020

अन्तॉन पावलेविच चेखव (1860-1904)    रूसी कथाकार और नाटककार अन्तॉन पावलेविच चेखव  विश्व के सबसे महत्वपूर्ण लेखकों में से एक हैं।  चेखव के लेखन में अपने समय का जैसा गहन और मार्मिक वर्णन मिलता है।   चेखव की संवेदना में मानवीयता का तत्व इतना गहरा है कि वे बहुत त्रासद स्थितियों में भी सूरज की […]

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कहानीः एक बूढ़े की मौत– शशिभूषण द्विवेदी

May 8, 2020

शशिभूषण द्विवेदी ( 26 जुलाई 1975-7 मई 2020) 26 जुलाई 1975 को उत्तर प्रदेश के  सुल्तानपुर में जन्मे शशिभूषण द्विवेदी का 7 मई 2020 को आकस्मिक निधन हो गया । वे 45 वर्ष के थे।  ‘एक बूढ़े की मौत’, ‘कहीं कुछ नहीं’, ‘खेल’,  ‘खिड़की’, ‘छुट्टी का दिन’ और ‘ब्रह्महत्या’ जैसी कहानियों से हिंदी कथा साहित्य को […]

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दूसरे देश में- अर्नेस्ट हेमिंग्वे

May 7, 2020

शरत् ऋतु में भी वहाँ युद्ध चल रहा था, पर हम वहाँ फिर नहीं गए। शरत् ऋतु में मिलान बेहद ठंडा था और अँधेरा बहुत जल्दी घिर आया था। फिर बिजली के बल्ब जल गए और सड़कों के किनारे की खिड़कियों में देखना सुखद था। बहुत सारा शिकार खिड़कियों के बाहर लटका था और लोमड़ियों […]

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