मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा राजीव गांधी की पुण्यतिथि 21 मई के दिन प्रदेश में किसानों के लिए ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ लांच की गई है, जो राहुल गांधी की महत्वाकांक्षी ‘न्याय’ योजना का ही परिवर्तित रूप है। इस योजना का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि ‘ न्याय ’ योजना के अनुरूप राशि सीधे किसानो के खातों में डाली जाएगी । उल्लेखनीय है कि विगत लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने पूरे देश के गरीबों के ‘ न्याय ’ योजना का मसौदा सामने लाया था । कोरोना संकट के दौरान भी राहुल गांधी कई बार केंद्र से गरीबों और मजदूरों के खातों में सीधे पैसा डालने पर जोर देते रहे हैं। इस मुद्दे पर हाल के दिनों में राहुल गांधी प्रख्यात अर्थशास्त्री रघुराम राजन और नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से भी चर्चा कर चुके हैं। सवाल ये है कि क्या यह योजना राष्ट्रीय स्तर पर कॉंग्रेस के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है ?
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा राजीव गांधी की पुण्यतिथि 21 मई के दिन प्रदेश में किसानों के लिए ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ लांच की गई है । उल्लेखनीय है कि विगत लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने पूरे देश के गरीबों के लिए ‘ न्यूनतम आय सहायता योजना’ यानि ‘ न्याय ’ योजना का मसौदा सामने लाया था जिसके तहत देश के 5 करोड़ गरीब परिवार यानि तकरीबन 20 फीसदी गरीब जनता को सालाना 72 हजार रुपये दिए जाने की योजना थी। महत्वपूर्ण बात यह थी कि इस योजना के अंतर्गत पैसे सीधे लाभान्वितों के खाते में डाले जाने का प्रावधान किया गया था। गौरतलब है कि कोरोना संकट के दौरान भी राहुल कई बार केंद्र से गरीबों और मजदूरों के खाते में सीधे पैसा डालने की बात कर चुके हैं। इस मुद्दे पर हाल के दिनों में राहुल गांधी प्रख्यात अर्थशास्त्री रघुराम राजन और नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से भी चर्चा कर चुके हैं।
राहुल गांधी अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर काफी उत्साहित थे मगर चुनाव में हार की वजह से यह महत्वाकांक्षी योजना ठंडे बस्ते में चली गई थी । अब छत्तीसगढ़ में मुख्य मंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में इस योजना को नए फॉर्मेट में ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के नाम से किसानों के लिए लागू किया है । इस योजना के प्रति कॉंग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि योजना के उदघाटन कार्यक्रम में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए कॉंग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी खुद शामिल हुए । मुख्य मंत्री भूपेश बघेल ने इस योजना को छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए क्रियान्वयित कर राहुल गांधी की स्वप्निल परियोजना को साकार करने की दिशा में पहल की है।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना किसानों को खेती-किसानी के लिए प्रोत्साहित करने की देश में अपने तरह की एक बड़ी योजना है। इस योजना के तहत सरकार किसानों को अधिकतम 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि देगी। इस योजना के पहले चरण में राज्य के लगभग 19 लाख किसानों को चार किश्तों में तकरीबन 5700 करोड़ रुपए का लाभ मिलेगा । इस योजना का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह राशि सीधे उनके खातों में हस्तांतरित की जाएगी ।
भूपेश बघेल द्वारा किसानो को सीधे लाभ पहुंचाना राहुल गांधी की न्याय योदना की सोच के तहत उठाया गया एक क्रांतिकारी कदम है। इससे न सिर्फ किसानो को बल्कि उनके जरिए कोरोना संक्रमण के दौर में दम तोड़ते बाज़ार को भी राहत मिलेगी। खाते में पैसा होने से पूंजी प्रवाह में तेजी आएगी और बाजार को गति मिलेगी। इस योजना की दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आश्वस्त किया है कि आगे इस योजना में सभी तरह की फसल लेने वाले किसानों के साथ ही योजना के द्वितीय चरण में राज्य के लाखों भूमिहीन कृषि मजदूरों को भी इस योजना का लाभ दिलाने योजना के अंतर्गत शामिल किया जाएगा । मुख्यमंत्री बघेल ने इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति भी गठित कर दी है। यह समिति दो माह में विस्तृत कार्ययोजना का प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करेगी।
भूमिहीन किसानो को शामिल करना एक महत्वपूर्ण पहल है । आज तक खेतिहर मजदूरों को किसी भी प्रकार की कृषि संबंधित योजना का लाभ नहीं मिलता रहा । भूमिहीन होकर मजदूर बना किसान बहुत ही बदतर परस्थितियों में जीने को मजबूर होता है । इन्हीं परिस्थितियों के चलते अधिकांश खेतिहर मजदूर पलायन का रास्ता अपनाते हैं । इस योजना में उनके लिए भी प्रावधान किया जाना निश्चित रूप से खेतिहर मजदूरों की आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है और अगर इस योजना का सही क्रियान्वयन किया गया तो यह योजना छत्तीसगढ़ से श्रमिकों का पलायन रोकने में भी कारगर साबित हो सकती है ।
सवाल यह है कि क्या भूपेश बघेल द्वारा लागू की गई राहुल गांधी की न्याय योजना कांग्रेस के लिए मनरेगा की तरह लाभकारी साबित हो सकेगी ? गौरतलब है कि यूपीए शासनकाल के दौरान शुरू की गई मनरेगा योजना से कॉंग्रेस पार्टी को काफी लाभ हुआ था। मनरेगा आज भी जारी है और कोरोना के कारण शहरों से गांव वापस लौटने वाले मजदूरों के लिए काफी मददगार साबित हो रही है और इसीलिए एक समय मनरेगा की कटु आलोचना करने वाले मोदी जी कोरोना संकट से निजात पाने मनरेगा के बजट में बढ़ोतरी करने को बाध्य हुए हैं ।
राहुल गांधी कोरोना काल के पहले से ही मोदी सरकार को किसानों के मुद्दे पर लगातार घेरते रहे हैं । इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि यदि छत्तीसगढ़ में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं तो निश्चित रूप से राहुल गांधी कांग्रेस शासित अन्य राज्यों को भी यह योजना लागू करने कह सकते हैं। किसानो का बड़ा वर्ग पहले से ही कांग्रेस का समर्थक माना जाता है। एक तरह से कांग्रेस का वोट बैंक गरीब किसान ही रहे हैं तो निश्चित तौर पर किसान न्याय योजना की सफलता पार्टी के लिए एक ठोस व महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है और कॉंग्रेस पार्टी के लिए संजीवनी का काम कर सकती है । भूपेश बघेल की पहल यदि कामयाब हो जाती है तो राहुल गांधी इस योजना की सफलता प्रचारित प्रसारित कर केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास कर सकते हैं ।
सब कुछ मगर इस पर निर्भर करता है कि मुख्य मंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की लालफीताशाही और नौकरशाही को नियंत्रित कर वास्तविक धरातल पर इस महत्वाकांक्षी राजीव गांधी किसान न्याय योजना का कितना लाभ किसानो तक पहुंचाने में कामयाब हो पाते हैं।