सम्पादकीय

फॉर्म या कंटेंट के मुक़ाबले विचार हमेशा अहमः अहमद फ़राज़

December 17, 2020

प्रेम कुमार थॉट अपने साथ कंटेंट और फॉर्म भी लाता है. बाज़औक़ात एक शेर में अपने तजुर्बे का इज़हार हो जाता है और वो इतना मुक़म्मिल होता है कि उसको मजीद बढ़ाने की ज़रूरत नहीं होती. अमूमन ये शेर ग़ज़ल की फॉर्म अख़्तियार कर लेते हैं. बाज़ मौज़ूआत ऐसे होते हैं कि जो दो मिसरों […]

Read More

कहानीः दोपहर का भोजन- अमरकांत

December 16, 2020

अमरकांत (1 जुलाई 1925-17 फ़रवरी, 2014)।  हिंदी कथा साहित्य में प्रेमचंद के बाद यथार्थवादी धारा के प्रमुख रचनाकार । यशपाल उन्हें हिन्दी का गोर्की कहा करते थे। कई कहानी संग्रह और उपन्यास । ‘सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार’, महात्मा गाँधी सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान का साहित्य पुरस्कार, यशपाल पुरस्कार, जन संस्कृति सम्मान, मध्य प्रदेश […]

Read More

पटेल को थी नेहरू के अकेले पड़ जाने की चिंता

December 15, 2020

प्रीति सिंह स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल की तिकड़ी क़रीब 30 साल तक बनी रही। महात्मा गाँधी स्वतंत्र भारत की सत्ता के भागीदार नहीं बने, लेकिन नेहरू और पटेल ने सरकार में पहले और दूसरे स्थान पर बैठकर दो वर्ष तक साथ-साथ सत्ता चलाई थी। दोनों के बीच वैचारिक टकराव की […]

Read More

कहानीः दूसरी भाषा- ख़लील जिब्रान

December 12, 2020

ख़लील जिब्रान (6 जनवरी, 1883–10 जनवरी, 1931) अरबी और अंग्रेजी के लेबनानी-अमेरिकी कलाकार, कवि तथा न्यूयॉर्क पेन लीग के लेखक थे। उन्हें अपने चिंतन के कारण समकालीन पादरियों और अधिकारी वर्ग का कोपभाजन होना पड़ा और जाति से बहिष्कृत करके देश निकाला तक दे दिया गया था। जीवन की कठिनाइयों की छाप उनकी कृतियों में […]

Read More

मंगलेश डबराल: राजनीतिक चेतना और मानवीय आभा से दीप्त कवि का जाना- प्रियदर्शन

December 10, 2020

हिंदी के प्रख्यात कवि मंगलेश डबराल का निधन हो गया। वह 72 साल के थे। कुछ हफ़्ते पहले कोरोना पॉजिटिव होने के पश्चात से उनकी तबीयत लगातार ख़राब होती गई । मंगलेश  डबराल को 2000 में उनकी कविता संग्रह ‘हम जो देखते हैं’ के लिए साहित्य अकादमी सम्मान से नवाजा गया था। वह दुनिया भर में हिंदी […]

Read More

कहानीः सीमा के पार का आदमी – रघुवीर सहाय

December 9, 2020

रघुवीर सहाय (9 दिसम्बर 1929 – 30 दिसम्बर 1990)- हिन्दी के प्रतिष्ठित साहित्यकार व पत्रकार । साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित। उनके साहित्य में पत्रकारिता का और उनकी पत्रकारिता पर साहित्य का गहरा असर रहा है। उनकी रचनाएं आज़ादी के बाद विशेष रूप से सन् ’60 के बाद के भारत की तस्वीर को समग्रता में पेश करती हैं। उनकी […]

Read More

जिद न होती तो अमृता शेरगिल वैसी जादुई हो पातीं?

December 6, 2020

अंजलि मिश्रा हर किसी को आसानी से प्रभावित करने वालीं अमृता शेरगिल का आभामंडल कभी किसी प्रभाव में नहीं आया अमृता ने एक तरफ जहां बोझिल से भारतीय आम-जनजीवन को रंगों से जीवंत किया. वहीं पहली बार आम भारतीय महिलाओं को कैनवास पर लेकर आईं सहज भारतीय सौंदर्य रचने के मामले में अमृता, राजा रवि […]

Read More

कलाकारों ने सरकार पर लगाया प्रताड़ना और अपमान का आरोप; जतिन दास, बिरजू महाराज समेत कई हस्तियां दुखी

December 5, 2020

पद्मश्री से सम्मानित भारती शिवाजी,पंडित भजन सपोरी, पंडित बिरजू महाराज, रीता गांगुली सहित कई प्रतिष्ठित कलाकारों को सरकार ने दिल्ली में आवंटित सरकारी मकान खाली करने का नोटिस भेजा है। ऐसे में कलाकारों ने कहा कि सरकार के इस रवैये से वे ‘प्रताड़ित’, ‘अपमानित’ और ‘दुखी’ महसूस कर रहे हैं। आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय […]

Read More

जब राजेंद्र बाबू को लगा था कि देश प्रेम और घर प्रेम में घर का वजन ज्यादा भारी पड़ रहा है

December 5, 2020

अनुपम मिश्र देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से जुड़ा यह किस्सा तब का है जब उनकी गोपाल कृष्ण गोखले से मुलाकात हुई थी राजेंद्र बाबू गोखलेजी से मिलने गए.इस मुलाकात ने राजेन्द्र बाबू की ज़िंदगी बदल कर रख दी. देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की स्मृति में हुई एक व्याख्यानमाला में […]

Read More

कहानीः पितृ हत्या – कृष्णा सोबती

December 1, 2020

कृष्णा सोबती (18 फ़रवरी 1925-25 जनवरी 2019) अपनी साफ-सुधरी रचनात्मकता और अभिव्यक्ति के लिए जानी जाती हैं। उन्हें १९८० में साहित्य अकादमी पुरस्कार, १९९६ में साहित्य अकादमी अध्येतावृत्ति तथा २०१७ में ५३वाँ ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनकी प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ हैं; कहानी संग्रह: बादलों के घेरे; लम्बी कहानी (आख्यायिका/उपन्यासिका): डार से बिछुड़ी, […]

Read More