आलेख

2020: व्यक्ति ने ख़ुद को साबित किया, संस्थाओं ने घुटने टेक दिए! -अपूर्वानंद

December 28, 2020

साल का अंत एक बड़ी कूच के साथ हुआ है। दिल्ली चलो, उस नारे के साथ। यह नारा एक याद है। किसी और ने दिया था। सरकार अपनी तरह के लोगों की न थी। लेकिन क्या उस ‘दिल्ली चलो’ का मतलब सिर्फ़ यह था कि दूसरे दीखनेवालों को खदेड़ दिया जाए? या यह कि जिस […]

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रावण को नायक क्यों मानते थे दलित नेता पेरियार!

December 26, 2020

रविकान्त पेरियार की पुण्यतिथि 24 दिसंबर को थी। पेरियार दूरदर्शी थे। उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन में उपजे राष्ट्रवाद के ख़तरे को भाँपते हुए उन्होंने हिंदुत्व के साथ इसके गठजोड़ की संभावनाओं को देख लिया था। 1937 के चुनाव में मद्रास प्रांत में कांग्रेस की सरकार बनी। सी. राजगोपालाचारी प्रधानमंत्री (वर्तमान के हिसाब से मुख्यमंत्री) बने। उन्होंने स्कूलों में […]

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अन्ना आंदोलन की तरह सरकार की नींव हिला पायेगा किसान आंदोलन? -प्रियदर्शन

December 23, 2020

क्या दिल्ली की सरहदों पर चल रहा किसानों का आंदोलन मोदी सरकार की ‘अन्ना घड़ी’ है? मूलतः गैर राजनीतिक बने रहने की ज़िद के बावजूद मोदी सरकार पर किसान आंदोलन के क्या वैसे ही प्रभाव होंगे जैसे अन्ना आंदोलन के मनमोहन सरकार पर पड़े थे जो ख़ुद को गैर राजनीतिक ही मानता था? या किसी लोकतांत्रिक देश में कोई […]

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क्यों कृषि क्षेत्र का मतलब केवल अनाज उपजाना नहीं होता?

December 22, 2020

अजय कुमार नए कृषि कानूनों पर ढेर सारी बातचीत हुई है लेकिन पूरा कृषि परितंत्र क्या है? यह विषय अछूता रह गया है, तो चलिए भारतीय कृषि क्षेत्र के सभी हिस्सों को समझते हैं ताकि यह समझा जा सके कि क्यों कृषि क्षेत्र की चुनौतियां बहुत अधिक जटिल है? अपने खाने की प्लेट में रखे […]

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इन्साफ़ और सरकार में से अदालत किसको चुनेगी? – अपूर्वानंद

December 21, 2020

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रास्ता किसानों ने नहीं आपने, यानी आपकी पुलिस ने रोका है। कहा कि सरकार किसानों पर कोई ज़बर्दस्ती नहीं करेगी। आंदोलनकारियों के प्रति अदालत की यह नरमी और सहानुभूति उसके पिछले व्यवहार से इतनी असंगत है कि अविश्वसनीय जान पड़ती है। कविता और साहित्य में तो असंगति चल सकती है […]

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किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट के सुझाव स्वीकार करे सरकार- जस्टिस मार्कंडेय काटजू

December 18, 2020

सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को 3 क़ानूनों को निरस्त करने के लिए नहीं कहा है, केवल उनके कार्यान्वयन पर रोक लगाने की सलाह दी है। यह अध्यादेश बनाकर सरकार द्वारा किया जा सकता है। इसके बाद एक किसान आयोग का गठन किया जा सकता है, जिसके सदस्य किसान संगठनों के प्रतिनिधि, सरकार के प्रतिनिधि और […]

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अगर संसद भवन पूरे देश का है तो सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में जनता की भागीदारी क्यों नहीं?

December 17, 2020

अजय कुमार  संसद भवन और सरकार के मंत्रालय भारतीय लोकतंत्र की विरासत हैं। इनके नवीनीकरण पर जिस तरह से जनता को दूर रखा गया है वह पूरी तरह से निराश करने वाला है।आने वाला इतिहास यह तय करेगा कि एक लोकतांत्रिक समाज में एक नेता को एक महामारी के दौर में लोगों की तंगहाली […]

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भविष्य में किसानों के विरोध से कैसे बच सकती है मोदी सरकार, सुधार से पहले परामर्श बेहतर उपाय

December 15, 2020

इला पटनायक – राधिका पांडेय  परामर्श और भागीदारी की प्रक्रिया के ज़रिए बदलाव किए जाने पर लोग बगैर टकराव के नए विचारों के अभ्यस्त हो सकते हैं. बुरे प्रस्तावों को छोड़ा जा सकता है जबकि अच्छे को बेहतर बनाया जा सकता है. ये विडंबना ही है कि किसानों के फायदे के लिए कृषि बाज़ार व्यवस्था में उदारीकरण […]

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किसान आंदोलन: इन्साफ़ का ख़याल ज़िंदा रखने का सफ़र – अपूर्वानंद

December 14, 2020

क्या यह सफ़र मंज़िल तक पहुँचेगा? यह क्या सिर्फ़ इन्साफ़ के इन मुसाफ़िरों पर निर्भर है? पिछले साल एक और सफ़र शुरू हुआ था। वह मंज़िल तक नहीं पहुँच सका तो क्या वह निरर्थक हो गया? उस सफ़र से जो अलग रहे, जिन्होंने रास्ते में रोड़े डाले, जिन्होंने मुसाफ़िरों का क़त्ल किया, क्या वे विजयी […]

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बाबरी मस्जिद से राम मंदिर तक -राम पुनियानी

December 12, 2020

सन 2020 का छह दिसंबर, सन 1992 से अब तक के छह दिसंबरों से कई अर्थों में भिन्न था. आज से 28 साल पहले, 20 दिसंबर को बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी. तब से लेकर पिछले साल तक अयोध्या में इस दिन दो अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम हुआ करते थे. हिंदुत्व संगठन इस दिन […]

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