सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि देश के आज़ाद होने के 75 साल बाद भी क्या राजद्रोह के क़ानून की ज़रूरत है। अदालत ने कहा कि यह क़ानून औपनिवेशिक है और ब्रिटिश काल में बना था। अदालत ने कहा है कि वह इस क़ानून की वैधता को जांचेगी और इस मामले में केंद्र सरकार का जवाब भी […]
Read Moreपिछले कुछ दशकों से ‘लव जिहाद’ के नाम पर समाज को धार्मिक आधार पर ध्रुवीकृत किया जा रहा है और महिलाओं और लड़कियों को उनकी जिंदगी के बारे में स्वयं निर्णय लेने से रोका जा रहा है. साम्प्रदायिक राजनीति अपने पितृ सत्तात्मक एजेंडे को आक्रामक ढंग से लागू कर रही है। कानपुर में एक हिन्दू […]
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