कोरोना के चलते मुंबई में फिल्मों की शूटिंग बंद है जिससे लाइटमैन, कैमरा, मेकअप आर्टिस्ट जैसे तमाम डेली वेजर्स की मदद के लिए हाथ उठे. लेकिन उनका क्या जो नए नए यहां हीरो-हीरोइन बनने आए थे?ये कलाकार ना तो डेली वेजर्स में गिने जाते हैं और ना ही फिलहाल किसी यूनिट के सदस्य हैं. इसलिए उन्हें कोई आर्थिक मदद नहीं मिल रही ये न तो ये लोग अब वापस लौटने को मजबूर हैं.
कोरोना ने बहुत से नए कलाकारों के करियर पर ब्रेक लगा दिया है. उन्हें डर है कि कहीं कास्टिंग डायरेक्टरों के जहन से वे उतर ना जाएं. ये कलाकार ना तो डेली वेजर्स में गिने जाते हैं और ना ही फिलहाल किसी यूनिट के सदस्य हैं. इसलिए उन्हें कोई आर्थिक मदद नहीं मिल रही.नए कलाकारों का कहना है कि , “न्यूकमर्स को आज से तीन साल पहले तक छोटे-मोटे रोल के लिए पांच हजार रुपये रोजाना मिल जाते थे. लेकिन वेब प्लेटफार्म के चलते रेट कम हुए और अब नए कलाकारों को बमुश्किल तीन हजार रुपये रोजाना ही मिल पाते हैं.”
समस्या सिर्फ काम की ही नहीं है. एक एक्टर के लिए जिम, वर्कआउट और फिटनेस भी बहुत अहम है. लेकिन कोरोना के चलते जिम बंद हो गए हैं, फल और खाने-पीने के सामान की किल्लत होने लगी है. शरीर में सुस्ती आने लगी है. ऐसे में अपनी फिटनेस को बनाए रखना भी चैलेजिंग हो गया है. चिंता यह भी है कि कोरोना के बाद जब शूटिंग शुरू होगी तब भी कम ही लोग सेट पर आएंगे, ऐसे में स्ट्रगलों के लिए नेटवर्किंग के मौके कम हो जाएंगे.
कुछ ऐसी ही परेशानियां से जूझ रहे हैं पंजाब से आए एक्टर गुणराज सिंह, बिहार के राहुल जैसे कलाकार . 24 साल के गुणराज पंजाब में रीजनल फिल्मों और थियेटर से जुड़े रहे हैं. गुणराज हिंदी फिल्मों में किस्मत आजमाने छह महीने पहले मुंबई आए लेकिन कोरोना की वजह से उनकी जिंदगी ठहर सी गई है. उन्होंने बताया, “मुंबई आने के बाद कई ऑडिशन दिए, अभी कुछ-कुछ जगह बात बन ही रही थी कि कोरोना आ गया. घर से कुछ मदद ले रहे थे लेकिन अब जालंधर में उनके घर का भी बिजनेस ठप्प पड़ा है.”
बिहार के मोतीहारी से आने वाले राहुल सोनी तीन साल पहले मुंबई आए थे. असम से इंजीनियरिंग करने के बाद राहुल ने कुछ समय गुवाहाटी में नौकरी की और फिर थियेटर से जुड़ गए. एक्टिंग से लगाव और हीरो बनने की तमन्ना राहुल को मुंबई ले आई. मुंबई में शुरुआती दो-तीन महीने के भीतर ही 27 साल के राहुल को स्टार टीवी के लोकप्रिय डेलीसोप “इश्कबाज” में एक रोल मिल गया. रोल छोटा था लेकिन उनके चेहरे और कद-काठी से कास्टिंग डायरेक्टर वाकिफ हो गए. उनके कान्टैक्ट बनने लगे. जल्द ही उन्हें सनी देओल के साथ फिल्म “ब्लैंक” में काम करने का मौका मिल गया.
ऐसी स्थिति में गुणराज और राहुल जैसे कई लोग वापस लौटने की योजना बनाने लगे हैं. गुणराज कहते हैं, “अगर कोरोना संक्रमण के चलते चीजें ऐसी ही रहीं तो फिर सब कुछ शून्य से शुरू से करना होगा. पहले जो थोड़ा बहुत डबिंग का काम मिल जाता था वो भी खत्म हो जाएगा.”
इतना ही नहीं एक्टरों को अपने हेल्थ और लुक की चिंता भी सता रही है. उन्हें ये भी लग रहा है कि घर पर बैठे-बैठे खाते रहे तो फेस-फैट बढ़ जाएगा और मॉडलिंग और एड फिल्में भी हाथ से निकल जाएंगी. कुछ एक्टर्स ऐसे भी हैं जिनके पेमेंट चेक भी प्रोडक्शन कंपनियों के पास पड़े हैं, लेकिन ऑफिस ही नहीं खुल रहे. फिलहाल तो मदद की कोई उम्मीद इन नए एक्टरों को नहीं दिख रही. लेकिन तमाम परेशानियों के बावजूद सब एक्टर ये तो मानते हैं कि उन्हें अपनी कला को निखारने और अपने अभिनय पर काम करने का अच्छा मौका मिल गया है.
एजेंसियों से इनपुट के आधार पर