चित्तौड़गढ़। ‘स्वयं प्रकाश की आस्था अंध आस्था नहीं है अपितु उनकी आस्था भविष्यवादी दृष्टि से निर्मित हुई है जो पाठकों को कभी निराश नहीं होने देती।’ उक्त विचार सुप्रसिद्ध आलोचक एवं उदयपुर विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो नवलकिशोर ने संभावना संस्थान द्वारा आयोजित वेबिनार ‘यादों में स्वयं प्रकाश’ में व्यक्त किए।
हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार स्वयं प्रकाश की प्रथाम पुण्यतिथि पर आयोजित इस वेबिनार में उन्होंने कहा कि स्वयं प्रकाश का कथा लेखन अपने को न दोहराने के लिए भी याद किया जाएगा। वे नए प्रयोगों और शिल्प सजगता के लिए भी जाने जाएंगे। प्रो नवलकिशोर ने उनकी प्रसिद्ध कहानियों ‘पार्टीशन’ और ‘प्रतीक्षा’ का विस्तार से उल्लेख कर बताया कि स्वयं प्रकाश जीवन और परिस्थितियों में बदलावों को लक्षित कर निकट से देखने वाले सूक्ष्मदर्शी कथाकार हैं। उन्होंने ‘पार्टीशन’ को अन्यता के विरुद्ध रचना बताया और ‘प्रतीक्षा’ को अकेलेपन से आगे प्रेम-विवाह और रोजगार अर्थात जीवन के मूलभूत सवालों से टकराने वाली कृति कहा।
प्रो नवलकिशोर ने लघु पत्रिकाओं के लिए लेखन करने को स्वयं प्रकाश की जनवादिता और प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया वहीं कथा लेखन में उनकी भाषा के लिए कहा कि हिंदी में ऐसा हँसता -खिलखिलाता गद्य लिखने के लिए स्वयं प्रकाश को याद किया जाता रहेगा। इससे पहले उन्होंने स्वयं प्रकाश के कहानी पाठ की निजी शैली को भी याद किया और उनसे हुई मुलाकातों का भी उल्लेख किया। उनसे संवाद कर रहे डॉ बालमुकुन्द नन्दवाना ने वेबिनार के प्रारम्भ में स्वयं प्रकाश को श्रद्धांजलि दी तथा प्रो नवलकिशोर का परिचय दिया। इससे पहले संभावना के अध्यक्ष डॉ के सी शर्मा ने स्वागत किया।
अंत में डॉ कनक जैन ने आभार वयक्त किया। वेबिनार में उदयपुर से डॉ सदाशिव श्रोत्रिय, अलवर से डॉ जीवन सिंह, दिल्ली से डॉ पल्लव, इलाहबाद से प्रो सूर्यनारायण , कादम्बिनी के पूर्व सम्पादक विष्णु नागर, चौपाल के सम्पादक डॉ कामेश्वर प्रसाद सिंह सहित स्वयं प्रकाश के परिवारजनों ने भी संवाद में सहभागिता की।
चित्तौड़गढ़ में हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड में सतर्कता अधिकारी रहे स्वयं प्रकाश नगर की साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़े रहते थे। पिछले साल कैंसर के कारण उनका आकस्मिक निधन हो गया था।