किसान आंदोलनः 5 बड़े चेहरे जो सरकार के सामने डटकर खड़े हैं

किसान आंदोलन के बीच कुछ किसान नेता सरकार के सामने अपनी मांगों को पूरी हिम्मत और जज्बे के साथ रखते नजर आए जिन्होंने सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. दरअसल, धरना और प्रदर्शन में हजारों की भीड़ होती है लेकिन कुछ चेहरे होते हैं जो बागडोर संभालते हैं या कहें सबको एक साथ लेकर चलते हैं. इस किसान आंदोलन में भी ऐसे ही कुछ चेहरे हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं.

दो हफ्तों का वक्त बीत चुका है और हजारों किसान दिल्ली की सरहद पर डटे हुए हैं. मांग है कि सरकार 3 नए कृषि कानूनों को वापस ले. सरकार ने भी बीच का रास्ता निकालने के लिए एक 19 पन्नों का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन किसानों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए उसे नकार दिया. इस आंदोलन के बीच कुछ किसान नेता सरकार के सामने अपनी मांगों को पूरी हिम्मत और जज्बे के साथ रखते नजर आए. साथ ही सरकार के सामने इन किसान नेताओं ने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ किसान नेताओं के बारे में.

1. डॉक्टर दर्शन पाल

क्रांतिकारी किसान यूनियन से जुड़े दर्शन पाल पेशे से डॉक्टर थे. लेकिन अब किसानी खेती के साथ-साथ किसानों के हक की आवाज उठाने का काम भी करते हैं. माना जाता है कि क्रांतिकारी संगठन वामपंथी विचारधारा से जुड़ा है. भले ही इस आंदोलन में पटियाला के रहने वाले दर्शन पाल मीडिया के सामने एक्टिव नजर आते हों, लेकिन पंजाब में इनके संगठन की पकड़ बाकी किसान संगठन के मुकाबले थोड़ी कम है.

दर्शन पाल मीडिया में पंजाबी, हिंदी, अंग्रेजी तीनों ही भाषाओं में अपनी बात रखते हैं, साथ ही उन्हें किसानों के मुद्दों की समझ है. 2002 में अपनी नौकरी छोड़ने के बाद से दर्शन पाल किसान संगठन के साथ काम कर रहे हैं. साथ ही किसान संगठनों के बीच तालमेल बनाने में डॉक्टर दर्शन पाल ने अहम भूमिका निभाई है.

2. जोगिंदर सिंह उगराहां

9 दिसंबर 2020 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को मिलने के लिए बुलाया था. जिसमें 13 संगठन के किसानों को जाना था, लेकिन इस बैठक में किसानों के जननेता और भारत में किसान आंदोलन के बड़े चेहरे जोगिंदर सिंह उगराहां नहीं गएं, क्योंकि उन्हें इस बैठक के लिए बुलाया नहीं था.

75 साल के जोगिंदर पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठन ‘भारतीय किसान यूनियन उगराहां’ के अध्यक्ष हैं. जोगिंदर सिंह भारतीय सेना में भी रह चुके हैं. संगरूर में एक जगह हैं उगराहां, वहीं के रहने वाले हैं जोगिंदर और इसी वजह से इनके नाम में उगराहां लगा हुआ है. नौकरी छोड़ने के बाद जोगिंदर अपने गांव चले गए और वहां खेती करने लगे. जोगिंदर एक छोटे किसान हैं, उनके पास 5 एकड़ ही जमीन है.

छोटे किसानों की दिक्कतों को समझने वाले जोगिंदर ने साल 2002 में भारतीय किसान यूनियन उगराहां की स्थापना की. ये भारतीय किसान यूनियन (BKU) से अलग संगठन है. जोगिंदर सिंह की छवि ईमानदार किसान नेता की है. इसी की वजह से किसान इनके संगठन से जुड़ते चले गए और आज ये पंजाब का सबसे प्रमुख किसान यूनियन बन चुका है. खास बात ये है कि इस यूनियन में बड़ी तादाद में महिलाएं भी शामिल हैं.

3. सरवन सिंह पंधेर

बीबीसी के मुताबिक सरवन सिंह पंधेर पंजाब के माझा क्षेत्र के एक प्रमुख युवा किसान नेता हैं. 3 नए कृषि कानून के पास होने के बाद किसान मजदूर संघर्ष समिति पंजाब के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने 24 से 26 सितंबर तक ‘रेल रोको’ आंदोलन करने का फैसला किया था. वो युवा किसान हैं और इस आंदोलन में अहम रोल निभा रहे हैं.

4. जगजीत सिंह डल्लेवाल

गृहमंत्री अमित शाह ने मिलने के लिए भारतीय किसान यूनियन (एकता-सिद्धूपुर) के अध्यक्ष जगजीत सिंह डल्लेवाल को भी बुलाया था. 62 साल के जगजीत सिंह पंजाब के फरीदकोट जिले के डल्लेवाल गांव से हैं. माना जाता है कि भारतीय किसान यूनियन-उग्राहां के बाद जगजीत सिंह का संगठन पंजाब का दूसरा सबसे बड़ा किसान संगठन है.

जगजीत सिंह ने पटियाला की पंजाबी यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में MA किया है. ABP न्यूज के मुताबिक जगजीत सिंह के पास 15 एकड़ जमीन है और पंजाब के 14 जिलों में इनके संगठन का काम है और इन्होंने अपने संगठन को गैर राजनैतिक संगठन बनाए रखा है.

5. राकेश टिकैत

किसानों के सबसे बड़े नेता रहे महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. इस आंदोलन में वो उन दावों को भी झुठला रहे हैं जिसमें कहा जाता है कि सिर्फ पंजाब के किसान ही आंदोलन में शामिल हैं, क्योंकि राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश से आते हैं. गृहमंत्री ने किसान संगठनों को मिलने बुलाया था तब राकेश टिकैत को भी बैठक में बुलाया गया था.

सौज- द क्विंट

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