किसान आंदोलन की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यों की एक कमिटी बनाई थी. इन चार में से एक सदस्य यानी भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमिटी से अलग कर लिया है. सरकार के लिए यह एक बहुत बड़ा झटका है. उल्लेखनीय है कि भूपिंदर सिंह मान के नाम पर शुरू से बवाल हो रहा है. आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि भूपिंदर सिंह मान पहले ही तीनों कृषि कानून का समर्थन कर चुके हैं. सिर्फ मान ही नहीं कमेटी के बाकी तीन सदस्यों को भी सरकार समर्थक बताकर किसान कमिटी को खारिज कर चुके हैं.
भूपिंदर सिंह मान ने कमेटी से खुद को अलग रखने के पीछे किसानों की भावनाओं को कारण बताया है. उन्होंने कारण बताते हुए एक चिट्ठी लिखी है. इसमें उन्होंने लिखा, “मैं सुप्रीम कोर्ट का आभार जताता हूं, लेकिन एक किसान और संगठन का नेता होने के नाते मैं किसानों की भावना जानता हूं. मैं अपने किसानों और पंजाब के प्रति वफादार हूं. इनके हितों से कभी कोई समझौता नहीं कर सकता. मैं इसके लिए कितने भी बड़े पद या सम्मान की बलि चढ़ा सकता हूं. मैं कोर्ट की ओर से दी गई जिम्मेदारी नहीं निभा सकता. मैं खुद को इस कमेटी से अलग करता हूं.”
गौरतलब है कि कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. हालांकि, 50 दिन से प्रदर्शन पर बैठे किसान चाहते हैं कि इन कानूनों को रद्द किया जाए. इसलिए रोक लगने के बाद भी वो हटने को तैयार नहीं हैं. वहीं सरकार भी इस बात पर अड़ी हुई है कि ये कानून किसानों की भलाई के लिए हैं .