Author: admin

‘सामने ईसा मसीह का जीवन चरित्र चल रहा था तो मेरे मन के चक्षु भगवान राम के चित्र देख रहे थे’- दादा साहब फालके

February 17, 2021

दादा साहब फालके का लिखा यह आलेख 1913 में तब की मशहूर पत्रिका नवयुग में छपा था. इसमें उन्होंने अपने संघर्षों की कहानी कही है 1910 में बंबई के अमरीका-इंडिया पिक्चर पैलेस में मैंने ‘द लाइफ ऑफ़ क्राइस्ट’ फिल्म देखी. इससे पहले, कई बार अपने परिवार या मित्रों के साथ फिल्में देखी होंगी, लेकिन क्रिसमस […]

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कृषि क़ानून कारपोरेट के फायदे के लिये या कोई और योजना है?

February 17, 2021

रविकान्त अटल-आडवाणी की बीजेपी पर लगे गांधीवादी समाजवाद के मुखौटे को नरेंद्र मोदी ने उतार फेंका। हिंदुत्व मोदी-शाह की बीजेपी का खुला एजेंडा बना। खुलेआम सांप्रदायिक राजनीति के दम पर एक कट्टर हिंदुत्व की छवि के रूप में नरेंद्र मोदी का उभार हुआ। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने पूँजीपतियों के साथ व्यक्तिगत दोस्ती की। […]

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यदि राजा रवि वर्मा न होते तो हम शायद किसी और रूप-रंग की सरस्वती की पूजा कर रहे होते!

February 16, 2021

चंदन शर्मा मशहूर पेंटिंग ‘देवी सरस्वती’ को 1896 में अद्भुत प्रतिभा के धनी राजा रवि वर्मा ने बनाया था आज बसंत पंचमी है. हर साल विक्रमी संवत के माघ महीने की शुक्ल पंचमी को देश में बड़े धूमधाम से विद्या की देवी मानी जाने वाली सरस्वती की आराधना की जाती है. हिंदू धर्म में इनका […]

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‘टूलकिट’ क्या है ? जिसके नाम पर लोग देशद्रोही ठहराये जा रहे हैं!

February 16, 2021

पंकज चतुर्वेदी आजकल टूलकिट बहुत चर्चा में है। टूलकिट को आम लोक रिंच और प्लास वगैरह का बक्सा समझते थे जो दोपहिया या चारपहिया जैसी चीजों को ठीक करने के लिए साथ रखा जाता था। लेकिन अब पता चला है कि टूलकिट जैसी चीज़ देशद्रोही हो सकती ही। यूएपीए लग सकता है। दिल्ली पुलिस ग्रेटा […]

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सिंघु की सीख : नफ़रत नहीं दोस्ती की दरकार

February 16, 2021

नाज़मा ख़ान जिस वक़्त देश के माहौल में प्यार करना सबसे मुश्किल बात हो गई हो वैसे में इन दोनों की दोस्ती किसी ‘क्रांति’ से कम नहीं लग रही थी। ये वो ‘बग़ावत’ कर रहे थे जिससे नफ़रत फैलाने वालों के मुंह पर तमाचा लग रहा था! इनके इस ‘गुनाह’ को मैं ‘रिपोर्ट’ करना चाहती […]

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ग़ालिब अगर शायर न होते तो उनके ख़त ही उन्हें अपने दौर का सबसे ज़हीन इंसान बना देते

February 16, 2021

अनुराग भारद्वाज अपनी मौत से एक दिन पहले ग़ालिब ने नवाब लोहारू के खत का जवाब कुछ यूं लिखवाया- मुझसे क्या पूछते हो कि कैसा हूं? एक या दो दिन ठहरो फिर पड़ोसी से पूछ लेना सौं उससे पेश-ए-आब-ए से बेदरी है (मैं झूठ बोलूं तो प्यासा मर जाऊं), शायरी को मैंने नहीं इख़्तियाया (अपनाया). […]

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बंगाल : मुसलिम वोटों की मारामारी, पार्टी की तैयारी में फुरफुरा शरीफ़ के पीरज़ादा

February 16, 2021

प्रमोद मल्लिक पश्चिम बंगाल की राजनीति कुछ साल पहले तक धर्मगुरुओं से संचालित नहीं होती थी। यहां के मुसलमान किसी इमाम के कहने पर वोट नहीं देते थे। दिल्ली की जामा मसजिद के शाही इमाम अब्दुल्ला बुखारी का जब 1980 के दशक में देश के मुसलमानों पर दबदबा था या ऐसा वे दावा करते थे, […]

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प्रोफेसर डी. एन. झाः तथ्यात्मक इतिहास लेखन से साम्प्रदायिक राष्ट्रवाद की चुनौती का मुकाबला – राम पुनियानी

February 16, 2021

दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डी. एन. झा ऐसे ही एक इतिहासविद् थे. उन्हें कई बार जान से मारने की धमकियां दी गईं. गत 4 फरवरी को प्रोफेसर झा की मृत्यु न केवल हमारे देश और दुनिया के इतिहासविदों के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है वरन् उस आंदोलन के लिए भी […]

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जन साहित्य उत्सव(PLF): नब्बे की उम्र में प्रेम कहानी नहीं लिखूंगी, तो कब लिखूंगी– उषा प्रियंवदा

February 15, 2021

हाल ही में उम्र का 90वां बसन्त मना रहीं प्रख्यात लेखिका उषा प्रियंवदा का अंदाज़ ज़िदादिली, खिलंदड़पन और दिलकशी से भरपूर है। पद्म भूषण सम्मान से अलंकृत ऊषा ने पीएलएफ में, “जिंदगी और गुलाब के फूल” सत्र में, अरविंद कुमार के सवालों का जवाब देते हुए अपनी जिंदगी के कई रंग सामने रखे।   खिलखिलाते हुए […]

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किताबख़ानाः नियति को ठेंगा

February 15, 2021

आकांक्षा पारे काशिव “अगर कहानियों में नायिकाएं विद्रोह पर उतर आएं, तो समझ जाइए कि समाज में बदलाव धीरे-धीरे दस्तक देने लगा है”,कंचन सिंह चौहान के पहले कहानी संग्रह में यह दस्तक सुनाई देती है। उनकी नायिकाएं ‘जी’ कहने से पहले ‘क्यों’ पूछती हैं।  ‘बदजात’ ऐसी ही कहानी है, जिसमें एक मां का विद्रोह है। […]

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