विप्लव अवस्थी “जनहित याचिकाएँ सरकार के विरोधियों और सिविल सोसाइटी के लोगों का एक औज़ार बनती जा रही हैं, जिसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है।” यह कहना है देश के सर्वोच्च न्यायालय का, जिसका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट जनहित के मामलों में सर्वोच्च संस्था नहीं बन सकतीं। सुप्रीम कोर्ट […]
Read Moreशकील अख्तर भारत सरकार इन दिनों 17वीं शताब्दी के मुग़ल शहज़ादे दारा शिकोह की क़ब्र तलाश रही है.भारत में दारा शिकोह को एक उदार चरित्र माना जाता है.यह नैरेटिव बनाने की कोशिश हो रही है कि वर्तमान मुसलमानों की तुलना में दारा शिकोह भारत की मिट्टी में ज़्यादा घुल मिल गए थे. मुग़ल बादशाह शाहजहाँ […]
Read Moreअरविंद मोहन करीब पौने दो सौ साल पहले जन्मे नगेन्द्रनाथ गुप्त देश के पहले बड़े पत्रकारों में एक थे और उन्होंने 1857 के बाद से लेकर गांधी के उदय के पूर्व का काफी कुछ देखा और बताया है. वे ट्रिब्यून के यशस्वी सम्पादक थे तो रवीन्द्रनाथ के दोस्त और विवेकानन्द के क्लासमेट. उनके संस्मरणों की […]
Read Moreकैपिटल बिल्डिंग हिंसा के बाद ट्विटर, फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का एकाउंड बंद कर दिया है। ऐसा शायद पहली बार है कि किसी राष्ट्र के प्रमुख का सोशल मीडिया एकाउंट इतने बड़े स्तर पर ब्लॉक किया गया हो। सोशल मीडिया साइटों ने यह कार्रवाई इसलिए की है क्योंकि ट्रंप के ‘उकसावे’ वाले […]
Read Moreकमलेश्वर (6 जनवरी1932-27 जनवरी 2007) हिन्दी के प्रमुख लेखकों में से एक । वे ‘सारिका’ ‘धर्मयुग’, ‘जागरण’ और ‘दैनिक भास्कर’ जैसे प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रहे। उन्होंने कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में लिखा। उनके उपन्यासों `आंधी’, ‘मौसम (फिल्म)’, ‘सारा आकाश’, आदि पर फिल्में भी बनी । उन्होंने ‘रजनीगंधा’, ‘छोटी […]
Read Moreनित्यानंद गायेन भारतीय लोकतंत्र में आज के दिन का विशेष ऐतिहासिक महत्त्व है. 3 जनवरी 1976 को 42वें संविधान संशोधन के जरिये संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़े गये थे. यह संशोधन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था. संविधान के 42वें संशोधन (1976) द्वारा संशोधित यह उद्देशिका कुछ इस तरह है: […]
Read Moreकिसान आंदोलन हकीकत में आर्थिक मुद्दे पर आधारित है। किसानों को उनकी उपज के लिए पर्याप्त पारिश्रमिक नहीं मिल रहा है। यह राम मंदिर बनाने जैसे भावनात्मक और भावुक मुद्दे जैसा नहीं है। इसे भारत के लगभग 75 करोड़ किसानों का समर्थन प्राप्त है, हालांकि ज़ाहिर है कि ये सभी दिल्ली के पास इकट्ठा नहीं […]
Read Moreईशा सफ़दर हाशमी एक कम्युनिस्ट आर्टिस्ट, अभिनेता, कवि, गीतकार और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उनका जन्म 12 अप्रैल 1954 को दिल्ली में हुआ था। उनके माता-पिता भी कम्युनिस्ट विचारधारा से तालुक्क रखते थे और एक प्रगतिशील वामपंथी माहौल में ही सफ़दर की परवरिश हुई। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में अंग्रेज़ी साहित्य पढ़ने के दौरान वह […]
Read Moreहम मेहनतकश इस दुनिया से जब अपना हिस्सा मांगेगे इक बाग़ नहीं इक खेत नहीं हम सारी दुनिया मांगेंगे ( फैज़) फैज़ साहब की नज़्म आजदिल्ली की सीमाओं पर साकार होती नज़र आ रही है। हाड़ कंपाती ठंड में लगभग डेढ़ माह से दिल्ली सीमा पर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे किसानों का मोर्चा […]
Read Moreअनिल जैन विश्व हिन्दू परिषद ने पूरे देश में 1990 के दशक जैसा जहरीला और तनावभरा माहौल बनाने की योजना बनाई है। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में हो चुकी है, जहां कुछ कस्बों में सांप्रदायिक झडपें हुई हैं। सदियों से करोडों लोगों के लिए श्रद्धा और विश्वास के प्रतीक रहे मर्यादा पुरुषोत्तम राम […]
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