Author: admin

कहानी : एक औरत- राजेन्द्र सिंह बेदी

November 11, 2020

 तरक्की पसंद उर्दू कथाकारों में राजिंदर सिंह बेदी का नाम अत्यंत आदर के साथ लिया जाता है. कहानियों के साथ ही फिल्मों से भी उनका काफी गहरा संबंध रहा। उनकी कहानिया जमीन से जुड़ी होती हैं। उनकी कहानियों से गुजरते हुए हमारी अपनी संजीदगी बेदी की संजीदगी से एकमेक हो उठती है. उनकी शैली तथा […]

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क्या ज़ोर्ज ओर्वेल की ओशीनिया ही हमारी नयी दुनिया है?

November 11, 2020

 भद्रसेन ‘नाइनटीन एट्टी-फोर’ के बाद राजनीति दर्शन के क्षेत्र में लोगों के जीवन पर सर्वत्र निगाह रखने वाले राज्य को ‘ओर्वेलियन’ नाम से जाना जाने लगा. आज जब हुक़ूमतें ‘सर्विलांस’ के बिना चल ही नहीं सकतीं, ‘ओर्वेलियन’ शब्द में अंतर्निहित अर्थ को समझना सबसे अधिक अनिवार्य हो गया है. अपनी मृत्यु से ठीक एक साल […]

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बाइडन की जीत, क्या अमेरिका ने खुद को बचा लिया? – अपूर्वानंद

November 11, 2020

अमेरिका के प्रतिष्ठित टेलीविज़न चैनलों पर हमने श्वेत और अश्वेत पत्रकारों और विश्लेषकों को निःसंकोच रोते हुए देखा। उन्होंने निष्पक्षता का ढोंग  नहीं रचा जो हमारे पत्रकार और बौद्धिक पालते हैं और खुद को “अंपायर” समझकर दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखने की कवायद करते हैं। अमेरिकियों ने साफ कहा कि पक्ष तो एक […]

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क्या कश्मीरी पंडित इस बात से खुश हैं कि अब जम्मू-कश्मीर में कोई भी व्यक्ति ज़मीन खरीद सकता है?

November 11, 2020

सुहैल ए शाह  ‘कश्मीर फॉर कश्मीरीज़’ का नारा सबसे पहले कश्मीरी पंडितों ने ही लगाया था. लेकिन राज्य के नये भूमि कानून के बाद अब स्थिति बिलकुल बदल गई है जम्मू-कश्मीर में ज्यादातर लोग इस फैसले से खुश नहीं दिख रहे हैं, फिर चाहे वे कश्मीर के लोग हों या जम्मू के, अलगाववादी हों या […]

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पटकथा : धूमिल की यह कविता अभी ठीक से पढ़ी जानी बाकी है – प्रियदर्शन

November 10, 2020

आधी सदी पहले सुदामा पांडेय यानी धूमिल ने ‘पटकथा’ नाम की वह कविता लिखी थी जिसने तार-तार होते हिंदुस्तान को इस तरह देखा जैसे पहले किसी ने नहीं देखा था मुक्तिबोध की अंतर्घनीभूत पीड़ा से बिल्कुल अलग धूमिल का बेहद मुखर आक्रोश कुछ इस तरह फूटता और हमसे टकराता है कि हम अपने भीतर एक […]

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बाइडन-हैरिस के आने से मजबूत होंगे भारत-अमेरिका के संबंध?

November 9, 2020

शिवकांत अमेरिका के सबसे बड़े राज्य कैलिफ़ोर्निया की सेनेटर बनने से पहले कमला हैरिस उस राज्य की महाधिवक्ता रही हैं और मानवाधिकारों के लिए लड़ना और खुल कर बोलना उनके स्वभाव में रहा है। इसलिए उन्होंने भारत के नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों के दौरान भी मोदी सरकार की मानवाधिकार और अल्पसंख्यक विरोधी […]

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कार्टून नहीं, कट्टरपंथी सोच इसलाम के लिए घातक

November 9, 2020

तनवीर जाफ़री  दुर्भाग्यवश, अलक़ाएदा, आईएसआईएस व तालिबान तथा इनसे जुड़े व इनका अनुसरण करने वाले अनेक हिंसक व आतंकी संगठन इसलाम के नाम का ही इस्तेमाल कर अक्सर कोई न कोई ऐसी दिल दहलाने वाली घटना अंजाम देते रहते हैं जिससे इसलाम बदनाम होता है। इन्हीं हिंसक वारदातों ने उन अनेकानेक पूर्वाग्रही ग़ैर मुसलिम […]

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गालिब सबके हैं, लेकिन सोशल मीडिया वालों के शायर तो जॉन एलिया ही हैं

November 9, 2020

अंजलि मिश्रा एलिया की आशिक-माशूक वाली शायरी में बेचारगी के बजाय एक किस्म की बेफिक्री दिखती है जो सोशल मीडिया पर मौजूद आशिकों को खूब भाती है जॉन एलिया के लोकप्रिय होने की कई वजहें हैं. जॉन एलिया कई भाषाओं जैसे हिंदी, उर्दू, इंग्लिश, हिब्रू और संस्कृत के जानकार थे. एलिया का यह भाषाई ज्ञान […]

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पूंजीवादी समाज में संपदा की असमानता – प्रभात पटनायक

November 9, 2020

अगर देश की सबसे अमीर एक फ़ीसदी आबादी पर ही उत्तराधिकार कर और संपदा कर लगाए जाएं, तो इससे 14.67 लाख करोड़ रुपये हासिल होंगे। ज़्यादातर पूंजीवादी देश, यहां तक कि पूंजीवादियों के सामने झुकने वाले नवउदारवादी दौर में भी, इन देशों में ऊंचा उत्तराधिकार कर लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, जापान में उत्तराधिकार […]

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फ़ैसल खान की गिरफ़्तारी साझा संस्कृति के नये नारे की जरूरत को रेखांकित करती है- सुभाष गाताडे

November 8, 2020

कैसे कैसे मंज़र सामने आने लगे हैंगाते गाते लोग चिल्लाने लगे हैं अब तो इस तालाब का पानी बदल दो यहां के फूल अब कुम्हलाने लगे हैं — दुष्यंत कुमार सत्तर के दशक के मध्य में गुज़र गए जाने-माने कवि और गज़लकार दुष्यंत की यह रचना नए सिरे से मौजूं हो उठी है। ताज़ा मसला चर्चित […]

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