किशोर कुमार द्वारा 60 के दशक में फिल्मफेयर के लिए लिखा गया यह लेख एक बहुमुखी प्रतिभा की दुर्लभ आत्मस्वीकृति है जब मैंने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था तो मैं एक दुबला-पतला गंभीर नौजवान था. मुझ पर अच्छा गाने का जुनून था. मेरे आदर्श केएल सहगल और खेमचंद प्रकाश जैसे नाम थे. परंपराओं के…
क्लिक क्लिक क्लिक! फोटोग्राफर्स डिलाइट, फोटोग्राफर्स डिलाइट…अक्षयवट सोचता जा रहा है। सोचता जा रहा है और धीरे-धीरे बुदबुदाता भी– वह बहुत तनाव में है। ठीक ही तो कहती है नीतू, ठीक ही लो कहती है, ठीक ही फोटोग्राफर्स डिलाइट, फोटोग्राफर्स डिलाइट … ही-ही-ही…..हू-हू-हू….. हा-हा-हा….. -नीतू ठीक ही तो कहती है, फोटोग्राफर्स डिलाइट । डिलाइट, खासकर…
केंद्र सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सवाल उठाए हैं। आशंका जताई है कि कहीं यह संरक्षणवाद में न बदल जाए, क्योंकि पूर्व में भी इसका बेहतर परिणाम नहीं मिला है। आर्थिक शोध संस्थान आईसीआरआईईआर के वेबिनार को संबोधित करते हुए रघुराम राजन ने ये बातें कही।…
वे ही चेहरे! बार बार! जगह-जगह! क्यों? क्या लेना-देना है इनका उन सबके साथ जो ये सब कुछ छोड़-छाड़कर उन सबके करीब जा खड़े होते हैं? एक सीधा सा जवाब है। ये वे लोग हैं जो नाइंसाफी को पहचानते हैं। जो यह जानते हैं कि दुनिया में कहीं भी, कभी भी अन्याय हो रहा हो,…
कविता ‘निदा’ का अर्थ होता है आवाज और अपने लिए यह नाम चुनने वाले निदा फाजली ने अपनी रचनाओं से इस नाम को असल मायने दिए थे कहने-सुनने में यह भले ही आम सी बात लगती है लेकिन है नहीं. दोहा जैसी एक लोकविधा जो लगभग खत्म हो चुकी थी, उसे उन्होंने नए शब्द दिए,…
यह किस तरह का समाज है जो निस्संकोच और निडर होकर हिंसा, हत्या और बलात्कार को प्रोत्साहित करने लगा है! उस पर दबंग पौरुषवादी गुण्डागर्दी हावी है. उसका उदार वर्ग अगर बचा है तो चुपचाप है और अपनी कायरता में बन्द है. हिन्दू मानस सदियों से विकेन्द्रित और सराजक रहा है. अब वह केन्द्रित और…
अंजलि मिश्रा लोगों से बोलते, हंसते, चुटकुले सुनाते और चित्रा पर चुटकियां लेते जगजीत सिंह इस तरह अपनी गायकी में कई और रंग भर देते थे. यह उस ज़माने की बात है जब जगजीत सिंह बांके नौजवान हुआ करते थे और खूबसूरत चित्रा ने गायकी में उनका साथ देना शुरू ही किया था. 1980 के…
भारत में न्याय की चौखट पर वर्ग, जाति और धर्म के आधार पर लंबे समय से भेदभाव होता रहा है. लेकिन हमारे इन निम्न मानदंडों के लिहाज से भी आज का समय असाधारण है भारत में न्याय पाने से जुड़ा है. मेरा मानना है कि भारत में अगर कोई पुलिस, प्रशासन और अदालतों से निष्पक्ष…
अनिल जैन आज देश के हालात जेपी और लोहिया के समय से भी ज्यादा विकट और चुनौतीपूर्ण हैं लेकिन हमारे बीच न तो जेपी और लोहिया हैं और न ही उनके जैसा कोई प्रेरक व्यक्तित्व। हां, दोनों के नामलेवा या उनकी विरासत पर दावा करने वाले दर्जनभर राजनीतिक दल जरूर हैं, लेकिन उनमें से किसी एक…
आशुतोष सुशांत सिंह राजपूत और बाद में कंगना रनौत के मामले में मीडिया ने शिवसेना और उनकी सरकार को जमकर घेरा। ख़ासतौर पर रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी ने उद्धव ठाकरे को लेकर जिस भाषा का इस्तेमाल किया वो किसी भी नेता के लिए असहनीय हो सकता है। उसके बाद कंगना ने ठाकरे को…
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