Breaking News

Year: 2020

Azim Premj : The interests of workers, businesses are deeply aligned, especially in these times of crisis

By-Azim Premji Sixteen young men were mowed down by a train. The details are still being investigated. But we do know the basic truth. Like millions of others who lost their livelihood, they were starving. So, they decided to walk a few hundred kilometres to their homes and slept on the tracks assuming no trains…

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फिर आएंगे तुम्हारे सपनों को आबाद करने-नथमल शर्मा

             वे चल रहे हैं सड़कों पर । लगातार चल रहे हैं । पेट में भूख और पैरों में छाले है । सूटकेस की गाड़ी है , बच्चे की सवारी है । मां खींच रही है । बच्चे की आंखों में नींद है । सपने में रोटी दिख रही (होगी)…

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गिरीश कर्नाड | रचना से आगे बड़े सरोकार वाला इंसान

अमितेश कुमार गिरीश कर्नाड, नाम जेहन में आते ही वो बेधने वाली तस्वीरें सामने आ जाती है जिसमें एक शख्स नाक में ड्रिप लगाए ‘नॉट इन माई नेम’ की तख्ती लिए हुआ खड़ा है, जो अपने समय में अपनी उपस्थिति को भौतिक रूप से भी दर्ज कराना चाहता है. जिसके सरोकार का दायरा केवल रचनाओं…

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कहानी : गिरगिट – चेखव

अन्तॉन पावलेविच चेखव (1860-1904)    रूसी कथाकार और नाटककार अन्तॉन पावलेविच चेखव  विश्व के सबसे महत्वपूर्ण लेखकों में से एक हैं।  चेखव के लेखन में अपने समय का जैसा गहन और मार्मिक वर्णन मिलता है।   चेखव की संवेदना में मानवीयता का तत्व इतना गहरा है कि वे बहुत त्रासद स्थितियों में भी सूरज की थोड़ी…

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प्रवासी मजदूरों को सरकार से ‘कोरोना तोहफा’, गरीबों के लिए बस कंसंट्रेशन कैंप की औपचारिक घोषणा बाकी

By- पुष्पेन्द्र 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के वक्त प्रवासी श्रमिकों के आवागमन की अनदेखी कोई भूल, बेवकूफी, या हड़बड़ में गड़बड़ जैसी बात नहीं थी। यह महामारी की आड़ में शुरू से ही श्रमिकों पर शिकंजा कसने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा थी। इसे अब राष्ट्र निर्माण के महान, उच्च लक्ष्य के रूप…

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बिगाड़ के डर से ईमान की बात न करना ‘विवेक’ का विपथ होना है

By- सत्यम श्रीवास्तव देश का संविधान क्या अपने नागरिकों की इस दुर्दशा पर आपसे आँखें मूँद लेने की उम्मीद करता है या देश का संविधान अपने नागरिकों के गरिमामय जीवन की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता को बार बार स्थापित किए जाने के लिए आपके न्यायालय का रास्ता नागरिकों को दिखाता है? माननीय सर्वोच्च न्यायालय से…

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हे विदूषक तुम मेरे प्रियः प्रभाकर चौबे 8 वीं कड़ी – घूसखोरी नहीं सेवाखोरी है यह

सुप्रसिद्ध साहित्यकार,प्रतिष्ठित व्यंग्यकार व संपादक रहे श्री प्रभाकर चौबे लगभग 6 दशकों तक अपनी लेखनी से लोकशिक्षण का कार्य करते रहे । उनके व्यंग्य लेखन का ,उनके व्यंग्य उपन्यास, उपन्यास, कविताओं एवं ससामयिक विषयों पर लिखे गए लेखों के संकलन बहुत कम ही प्रकाशित हो पाए । हमारी कोशिश जारी है कि हम उनके समग्र लेखन को प्रकाशित कर सकें…

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आर्थिक पैकेजः क्या मोदी सरकार शहरों की भीड़ कम करना चाहती है ?

By-इला पटनायक एवं राधिका पांडेय     ऐसा लगता है कि सरकार शहरों की भीड़ कम करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि शहरी क्षेत्रों के कल्याण और बेरोज़गारी सहायता के लिए कोई कार्यक्रम घोषित नहीं किए गए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के घोषित आर्थिक पैकेज में ग्रामीण क्षेत्रों के प्रति विशेष झुकाव, उद्योगों के लिए मुख्य…

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भारत में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ बयानबाजी दुर्भाग्यपूर्ण: अमेरिकी राजनयिक

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिका के विशेष दूत सैम ब्राउनबैक ने दुनियाभर के अल्पसंख्यक समुदाय पर कोविड-19 के प्रभाव को लेकर कहा कि भारत में इस दौरान फ़र्ज़ी ख़बरों के आधार पर मुस्लिम समाज को प्रताड़ना की कई घटनाएं सामने आई हैं. वाशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिका के विशेष दूत सैम ब्राउनबैक दुनियाभर…

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आज भारत को टुकड़ों में किसने बाँट दिया?- अपूर्वानंद

रेल मंत्री चुन कर उन राज्यों पर आक्रमण करें जहाँ उनके दल की सरकार नहीं है, वह भी इस विपदा की घड़ी में, इससे ज़ाहिर होता है कि भारतीयता जैसी कोई उदात्त भावना नहीं जो राजनीति से ऊपर उठाने की ताक़त रखती हो। “चारों दिशाओं से चारों दिशाओं में  उजड़े घर छोड़कर  दूसरे उजाड़ों में…

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