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Year: 2020

दिल्लीः पहले दंगे का दंश और अब कोरोना की चिंता

दिल्ली के मुस्तफाबाद स्थित ईदगाह में सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स और स्वास्थ्यकर्मी लाउड स्पीकर पर राहत शिविरों में रहने वाले लोगों से बार-बार साफ-सफाई रखने का विशेष आग्रह कर रहे हैं. वॉलंटियर्स लोगों से बार-बार साबुन से हाथ धोने और आस-पास स्वच्छता के लिए कह रहे हैं. दूसरी ओर महिलाओं के लिए बने कैंप में बैठी…

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नारी की लाचारी

सामाजिक नियम निर्धारित करते हैं कि एक महिला अपने उचित व्यवहार से अपने शील की रक्षा करे। ऐसे नियम भारत में सख्ती से निभाए जाते हैं लेकिन भारत के कई हिस्सों में महिलाएं खुले में स्नान करने को मजबूर हैं। यह शर्मनाक है कि ग्रामीण महिलाओं के लिए सुरक्षित और निजी स्नान की व्यवस्था अधिकांश…

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एन पी आर विभाजन की कोशिश है – जस्टिस ए पी शाह

मुझे यह संदेश इंडियन एसोसिएशन आफ लायर्स के 10 वें राष्ट्रीय सम्मेलन विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) के लिए लिखने में बहुत खुशी मिलती है। इस सम्मेलन में विभिन्न आयोगों को देखने के बाद, यह नोट करना अद्भुत है कि जिन विषयों पर चर्चा की जानी चाहिए उनमें से प्रत्येक का हमारे देश में मौजूदा स्थिति को…

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लार्ड डेनिंग: जिन्हें पत्नियों को अधिकार दिलाने के लिए पतियों का कोपभाजन बनना पड़ा

कानून को बदलते समाज के साथ बदलने में ही सार्थक माना जा सकता है. उदाहरण के लिए बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार कानून पर अहम फैसला सुनाते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया. करीब 157 साल पुराने इस कानून के मुताबिक एक शादीशुदा पुरुष का किसी दूसरे शादीशुदा पुरुष की पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना…

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सीएए का विरोध करने पर मिला ‘भारत छोड़ो का नोटिस’, पोलैंड के छात्र ने अदालत में दी चुनौती

जाधवपुर यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री कर रहे विदेशी छात्र कामिल सिदस्यंसकी को विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ), कोलकाता की ओर से 14 फरवरी को “भारत छोड़ो नोटिस” मिला था। जिसमें उसे नोटिस मिलने के 14 दिन के भीतर भारत छोड़ने के लिए कहा गया था। जाधवपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले पोलैंड के एक छात्र ने…

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“हिमालयन वियाग्रा”(कीड़ाजड़ी) के अस्तित्व पर संकट

उत्तराखंड के धारचूला से करीब 40 किलोमीटर दूर है छिपला केदार का इलाका. यहां कोई 2000 मीटर की ऊंचाई पर बसे एक दर्जन गांवों के 700 से अधिक लोग हर साल ऊंचे पहाड़ी बुग्यालों पर एक बूटी की तलाश में जाते हैं. ये है यारसा गुम्बा (तिब्बत में यारसा गुन्बू) नाम की हिमालयी बूटी जिसे…

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कोरोना वायरस : महामारी या सर्वव्यापी महामारी?

फर्क केवल नाम का नहीं है. इससे किसी बीमारी की गंभीरता का अंदाजा लगता है और उसी के हिसाब से उससे निपटने के कदम उठाए जाते हैं. क्या यूएन की विश्व स्वास्थ्य एजेंसी ने इसकी गंभीरता को समय रहते समझा? विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी तो दे दी थी कि हम कोरोना वायरस की सर्वव्यापी…

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‘भारत माता की जय’ मार्का राष्ट्रवाद -राम पुनियानी

समय के साथ, हमारी दुनिया में राष्ट्रीयता का अर्थ बदलता रहा है. राजनैतिक समीकरणों में बदलाव तो इसका कारण रहा ही है विभिन्न राष्ट्रों ने समय-समय पर अपनी घरेलू नीतियों और पड़ोसी देशों के साथ अपने बदलते रिश्तों के संदर्भ में भी इस अवधारणा की पुनर्व्याख्या की हैं. राष्ट्रीयता की कई व्याख्याएं और अर्थ हैं,…

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कृष्ण बलदेव बैदः नफरतविहीन समाज का खोजी

हिंदी के यशस्वी लेखक कृष्ण बलदेव वैद 92 साल की उम्र में इस दुनिया से विदा हो चुके हैं। उन्होंने अंतिम सांस अमेरिका के न्यूयॉर्क में ली, जहां वे अपनी बेटियों के साथ वर्षों से रह रहे थे। भारत और अमेरिका के बीच उनकी आवाजाही बराबर रही, लेकिन उनकी लेखनी की धारदार निब भारत की…

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कैद और बंदी की सियासत – राधा कुमार

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को छह महीने तक बिना किसी आरोप के नजरबंद रखने के बाद मोदी सरकार ने अब उन पर जम्मू-कश्मीर के सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) चस्पा करके उनकी गिरफ्तारी अनिश्चितकाल तक बढ़ा दिया है। इन नेताओं पर पीएसए चस्पां करने की जो वजहें बताई गई हैं, वे नितांत बेतुकी…

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