By- हृदयेश जोशी मनरेगा को नाकामियों का स्मारक बताने वाले अचानक से मनरेगा में अपने मुक्ति का मार्ग क्यों खोजने लगे हैं? बात मनरेगा के बहाने सामाजिक सुरक्षा की, आखिर क्यों पूरी दुनिया में धुर पूंजीवाद की वकालत करने वाले शासक भी संकट के समय साम्यवादी हो जाते हैं. 20 लाख करोड़ के विशेष पैकेज…
By-Azim Premji Sixteen young men were mowed down by a train. The details are still being investigated. But we do know the basic truth. Like millions of others who lost their livelihood, they were starving. So, they decided to walk a few hundred kilometres to their homes and slept on the tracks assuming no trains…
वे चल रहे हैं सड़कों पर । लगातार चल रहे हैं । पेट में भूख और पैरों में छाले है । सूटकेस की गाड़ी है , बच्चे की सवारी है । मां खींच रही है । बच्चे की आंखों में नींद है । सपने में रोटी दिख रही (होगी)…
अमितेश कुमार गिरीश कर्नाड, नाम जेहन में आते ही वो बेधने वाली तस्वीरें सामने आ जाती है जिसमें एक शख्स नाक में ड्रिप लगाए ‘नॉट इन माई नेम’ की तख्ती लिए हुआ खड़ा है, जो अपने समय में अपनी उपस्थिति को भौतिक रूप से भी दर्ज कराना चाहता है. जिसके सरोकार का दायरा केवल रचनाओं…
अन्तॉन पावलेविच चेखव (1860-1904) रूसी कथाकार और नाटककार अन्तॉन पावलेविच चेखव विश्व के सबसे महत्वपूर्ण लेखकों में से एक हैं। चेखव के लेखन में अपने समय का जैसा गहन और मार्मिक वर्णन मिलता है। चेखव की संवेदना में मानवीयता का तत्व इतना गहरा है कि वे बहुत त्रासद स्थितियों में भी सूरज की थोड़ी…
By- पुष्पेन्द्र 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के वक्त प्रवासी श्रमिकों के आवागमन की अनदेखी कोई भूल, बेवकूफी, या हड़बड़ में गड़बड़ जैसी बात नहीं थी। यह महामारी की आड़ में शुरू से ही श्रमिकों पर शिकंजा कसने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा थी। इसे अब राष्ट्र निर्माण के महान, उच्च लक्ष्य के रूप…
By- सत्यम श्रीवास्तव देश का संविधान क्या अपने नागरिकों की इस दुर्दशा पर आपसे आँखें मूँद लेने की उम्मीद करता है या देश का संविधान अपने नागरिकों के गरिमामय जीवन की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता को बार बार स्थापित किए जाने के लिए आपके न्यायालय का रास्ता नागरिकों को दिखाता है? माननीय सर्वोच्च न्यायालय से…
सुप्रसिद्ध साहित्यकार,प्रतिष्ठित व्यंग्यकार व संपादक रहे श्री प्रभाकर चौबे लगभग 6 दशकों तक अपनी लेखनी से लोकशिक्षण का कार्य करते रहे । उनके व्यंग्य लेखन का ,उनके व्यंग्य उपन्यास, उपन्यास, कविताओं एवं ससामयिक विषयों पर लिखे गए लेखों के संकलन बहुत कम ही प्रकाशित हो पाए । हमारी कोशिश जारी है कि हम उनके समग्र लेखन को प्रकाशित कर सकें…
By-इला पटनायक एवं राधिका पांडेय ऐसा लगता है कि सरकार शहरों की भीड़ कम करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि शहरी क्षेत्रों के कल्याण और बेरोज़गारी सहायता के लिए कोई कार्यक्रम घोषित नहीं किए गए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के घोषित आर्थिक पैकेज में ग्रामीण क्षेत्रों के प्रति विशेष झुकाव, उद्योगों के लिए मुख्य…
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिका के विशेष दूत सैम ब्राउनबैक ने दुनियाभर के अल्पसंख्यक समुदाय पर कोविड-19 के प्रभाव को लेकर कहा कि भारत में इस दौरान फ़र्ज़ी ख़बरों के आधार पर मुस्लिम समाज को प्रताड़ना की कई घटनाएं सामने आई हैं. वाशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिका के विशेष दूत सैम ब्राउनबैक दुनियाभर…
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