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Month: June 2020

शर्मनाक! गर्भवती हथिनी की मौत को भी सांप्रदायिक रूप दे दिया गया!

जस्टिस मार्कंडेय काटजू केरल में गर्भवती हथिनी की मौत को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की गई। ठीक उसी तरह जिस तरह कुछ लोगों ने कोरोना महामारी के दौरान तब्लीग़ी जमात को दोषी ठहराते हुए की थी। हथिनी स्पष्ट रूप से ग़लती से मारी गयी थी, जानबूझकर नहीं। इसके बावजूद, कुछ लोग इस प्रकरण को सांप्रदायिक मोड़…

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लघुकथाः शांतिप्रिय नेवला – जेम्स थर्बर

जेम्स थर्बर अमरीकी कार्टूनिस्ट व लेखक थे । उनकी लघु कथाएं काफी पसंद की जाती रहीं । आज पढ़ें उनकी कहानी- शांतिप्रिय नेवला सांपों के देश में एक ऐसा नेवला पैदा हो गया, जो सांपों से ही क्या, किसी भी जानवर से लड़ना नहीं चाहता था. सारे नेवलों में यह बात फैल गयी. वे कहने…

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“बुनियादी अधिकारों की रक्षा से अलग है सुप्रीम कोर्ट”- प्रशांत भूषण

आज ऐसी आलोचनाएं तीखी होती जा रही हैं कि अदालतें, खासकर सुप्रीम कोर्ट देश में लोगों के मौलिक अधिकारों और लोकतंत्र तथा संविधान की आत्मा की रक्षा के सबसे बड़े दायित्व से कुछ हद तक अलग हो गया है। खासकर, मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह एहसास कई हलकों में तीखा हुआ है। ऐसे…

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राहुल गांधी भी जल्द सुनाएंगे ‘मन की बात’

सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी जल्द ही पॉडकास्टिंग शुरू कर सकते हैं. पॉडकास्ट भी एक रेडियो कार्यक्रम की तरह ही होता है. इसके जरिये अपनी बातों को दुनिया के सामने पहुंचाया जा सकता है. गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया अभियान ‘Speak Up India’ शुरू किया था, जो कि काफी हिट रहा. इस…

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क्या दिल्ली दंगों से संबंधित गिरफ़्तारियों के पीछे है बड़ी डिज़ाइन!

खोज ख़बर के इस वीडियो एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह बता रही हैं कि किस तरह से दिल्ली दंगों के संबंध में की जा रही गिरफ़्तारियों का पैटर्न कमोबेश वही है जो भीमा कोरेगांव केस में इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने इन गिरफ़्तारियों से जुड़े स्त्री पक्ष पर प्रकाश डाला। बात और मुलाक़ात की…

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मार्टिन लूथर किंगः अमेरिका में अश्वेतों को बराबरी का हक दिलाने वाले

आज अमेरीका में हिंसा चरम पर है । इसका कारण है वहां गहरे जड़ जमाई नस्लवादी सोच, हालांकि अमेरिका में लोगों की सोच काफी बदली है मगर विगत कुछ बरसों में नस्लवादी घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है । अमेरिका में अश्वेत लोगों को बराबरी का हक दिलाने में मार्टिन लूथर किंग का बड़ा…

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धर्मवीर भारती के बहाने कुछ यादें- विष्णु नागर

धर्मवीर भारती का उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ वैसे बड़ा फिल्मी नाम है,(बाद में इस नाम से दो बंबइया फिल्में और एक टीवी सीरियल भी बना) मगर अपनी किशोरावस्था में जब इसे पढ़ा था,तब यह अहसास नहीं था।तब पढ़कर कम से कम मुझे लगा था कि ऐसी भाषा कोई मनुष्य नहीं लिख सकता,देवता ही लिख सकता…

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स्मृति शेष : ज़िंदगी पहेली ही रही, योगेश नहीं रहे…

आमिर मलिक अपने गीतों में एक गर्मजोशी और गुणवत्ता को महत्व देने वाले योगेश, बड़े सरल और नर्म स्वभाव के थे। अपने स्वभाव के अनुरूप उन्होंने जो गीत लिखे, वो सदा याद रहने वाले हैं।  आनन्द फ़िल्म का वह गीत ज़िंदगी कैसी है पहेली  किसने नहीं सुना होगा। वाकई ज़िंदगी पहेली ही है जो, कभी…

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लॉकडाउन के चलते क्या खत्म हो जाएंगे परंपरागत सिनेमा हॉल?

कोरोना महामारी के चलते फिल्म उद्योग को काफी नुकसान पहुंचायाहो रहा है. लॉकडाउन के कारण सिनेमा हॉल बंद हैं जिससे परंपरागत सिनेमा थिएटरों के पूरी तरह बंद हो जाने का खतरा पैदा हो गया है  कोरोना वायरस ने बॉलीवुड और सिनेमाघरों को आमने-सामने ला दिया है. लगभग दो महीने से चल रहे कोरोना लॉकडाउन…

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सप्रे मैदान का खेलः कभी तुम पद पर हम पंडाल में कभी हम पद पर तुम पंडाल में – जीवेश चौबे

अंधेरों में लोगों से छुपकर चूचाप देर रात सन्नाटे में तो सिर्फ गलत काम ही किया जाता है सुन रखा है बचपन से । क्या इसीलिए रात का कर्फ्यू लगाया है कि जनता को घरों में नजरबंद कर तमाम अनैतिक और असंवैधानिक कामों को  रात के सन्नाटे में आसानी से अंजाम दिया जा सके ?…

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