पवन उप्रेती सुप्रीम कोर्ट न्याय की सर्वोच्च संस्था है और उसकी गरिमा का देश का हर व्यक्ति सम्मान करता है। लेकिन उससे इतना तो पूछा जा सकता है कि ‘व्यक्तिगत आज़ादी‘ का जो अधिकार अर्णब गोस्वामी को हासिल है, वो वरवर राव, स्टेन स्वामी, उमर खालिद और अन्य लोगों को हासिल क्यों नहीं है। आर्किटेक्ट अन्वय […]
Read Moreअपने जीवनकाल में अपना पहला कविता संग्रह तक प्रकाशित न देख पाने वाले मुक्तिबोध आज प्रासंगिकता और सार्थकता के सबसे ऊंचे शिखर पर खड़े हैं आज याने 13 नवम्बर 2020 को गजानन माधव मुक्तिबोध अगर जीवित होते तो अपनी आयु के 105वें वर्ष में प्रवेश कर रहे होते. यह, सब कुछ के बावजूद, हिंदी की […]
Read More