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Year: 2021

कॉमरेड पी सी जोशी एवं डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती पर “आंबेडकर की वैचारिकी और भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन का अंतर्संबंध” पर ऑनलाइन संगोष्ठी

“भारत में जनमुक्ति के लिए जरूरी हैं मार्क्स और आम्बेडकर, दोनों ही के विचार” भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की केंद्रीय समिति द्वारा 14 अप्रैल 2021 को हाल में दिवंगत महाराष्ट्र इप्टा के समन्वयक और प्रसिद्ध फिल्म कलाकार इप्टा के साथी विजय वैरागड़े उर्फ़ वीरा साथीदार की याद में कॉमरेड पी सी जोशी एवं डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती…

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मोदी की कोविड-19 रणनीति से सामाजिक विश्वास हुआ क्षीण

एजाज़ अशरफ़ महामारी से निपटने को लेकर मोदी और उनकी सरकार की योजनाएं लोगों की समझ से परे हैं। सामाजिक विश्वास का जिस क़दर क्षरण हुआ है, उसकी भरपाई कोई भी चुनावी जीत से नहीं हो पायेगी। कोविड-19 की दूसरी लहर में पिस रहे भारत को दिलासा दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र…

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जहां हमेशा धर्म संकट में रहता है, वहां वैज्ञानिक दृष्टिकोण की ज़रूरत आन पड़ी!

राज कुमार इस समय वैज्ञानिक सोच की बड़ी ज़रूरत महसूस की जा रही है। उस अख़बार में भी वैज्ञानिक सोच का इश्तिहार छप रहा है जिस अख़बार को लोग ख़रीदते ही राशिफल देखने के लिये हैं।देश का स्वास्थ्य ढांचा चरमराया हुआ है। ऑक्सीजन, बेड और वेंटिलेटर के लिये हाहाकार मचा है। लोगों को लगातार संदेश…

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देश के संघीय ढांचे के ख़िलाफ़ है वैक्सीन वितरण फार्मूला

सत्यम श्रीवास्तव क्या केंद्र की सत्ता में बैठी भाजपा की सरकार ‘वैक्सीन ब्लैकमेलिंग’ के लिए ज़मीन तैयार कर रही है? या भाजपा शासित राज्यों में अतिरिक्त वैक्सीन की सप्लाई करके डबल इंजन के संघवाद विरोधी अभियान को सफल दिखलाने की नयी पेशकश है।कोरोना एक स्वास्थ्य आपातकाल है इसे लेकर कभी मतभेद नहीं रहे लेकिन इसे…

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कोविशिल्ड की कीमतों का रहस्य

प्रोसेनजीत दत्ता केंद्र-राज्य सरकारों  एवं निजी अस्पतालों के लिए कोविशिल्ड वैक्सीन के अलग-अलग और बढ़े हुए दामों की सीरम इंस्टीट्यूट की  घोषणा ने अशांत कर देने वाले कुछ सवाल खड़े कर दिये हैं। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और अंत में, निजी अस्पतालों से कोविशिल्ड के लिए क्या दाम लिये जाएंगे, इसको लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया…

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फ़्लॉयड मामले में फ़ैसले से खुश लोग आशंकित क्यों हैं?

मुकेश कुमार फ्लॉयड मामले में उनका हत्यारा पुलिस अधिकारी डेरेक शॉवेन ही नहीं, पूरा गोरा अमेरिका कठघरे में था, वह गोरा अमेरिका जिसने 400 सालों से अश्वेतों को हिंसक तौर-तरीकों से गुलाम बनाकर रखा और जो अभी भी बहुत कम बदला है। इसीलिए हम पाते है कि फ्लॉयड मामले पर जब फैसला सुनाया जा रहा…

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हिन्दू कालेज दिल्ली में हमारे समय की कविता पर व्याख्यानः कविता का काम स्मृतियों को बचाना भी है – अशोक वाजपेयी

दिल्ली। कविता का सच दरअसल अधूरा सच होता है। कोई भी कविता पूरी तब होती है अपने अर्थ में जब पढ़ने वाला रसिक, छात्र,अध्यापक या पाठक उसमें थोड़ा सा अपना सच और अपना अर्थ मिलाता है। सुप्रसिद्ध कवि, संपादक और विचारक अशोक वाजपेयी  ने उक्त विचार हिंदी साहित्य सभा हिंदू कॉलेज के वार्षिक साहित्यिक आयोजन…

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चुनाव आयोग के नाकारापन से बंगाल में कोरोना का विस्फोट

अनिल जैन पश्चिम बंगाल में जारी विधानसभा चुनाव के बीच कोरोना संक्रमण के हालात कितने भयावह शक्ल ले चुके हैं, इसे कोलकाता हाई कोर्ट की बेहद तल्ख टिप्पणियों से समझा जा सकता है। कोलकाता हाई कोर्ट ने राज्य के हालात पर चिंता और नाराजगी जताते हुए कहा कि बहुत हो चुकी चुनावी रैलियाँ, अब बस…

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लक्षद्वीप में अमरीकी नौसेना: नौवहन की आज़ादी की आड़ में युद्धपोत कूटनीति

प्रबीर पुरकायस्थ अमरीका मानता है कि उसके युद्धपोतों को जो नाभिकीय शस्त्रों से लैस होते हैं, तटवर्ती देशों की अनुमति के बिना ही, हर जगह अपने सैन्य अभ्यास करने का बेरोक-टोक अधिकार है। दक्षिण चीन सागर में अमरीका के नौवहन की आजादी के दावों का अनुमोदन करने वाली भारत सरकार के लिए, यह झकझोर देने…

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अमेरिका की एक फ़िल्म जो आज के भारत पर टिप्पणी है!- प्रियदर्शन

यह 1968 का साल था। अमेरिका तरह-तरह के उथल-पुथल से गुज़र रहा था। लिंडन जॉन्सन राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश को वियतनाम युद्ध में झोंक रखा था और उनकी सरकार अपने लोगों से युद्ध का सच छुपा रही थी। ताबूतों में 18-20 बरस के अमेरिकी सैनिकों के शव घर लौट रहे थे। इसी साल मार्टिन लूथर…

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