Breaking News

Year: 2021

गणतंत्र पर काबिज़ होता सर्वसत्तावाद बनाम जन-गण का गणतंत्र

उर्मिलेश संवैधानिकता की संपूर्ण अवहेलना और तंत्र में जन-गण को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करने की शासकीय-ज़िद से उपजा है-आज का यह अभूतपूर्व किसान आंदोलन! भारतीय गणराज्य के इतिहास में इस गणतंत्र दिवस को कई कारणों से उल्लेखनीय और अपूर्व माना जा रहा है। इसका एक बड़ा कारण है कि हर बार जन-गण की तरफ से…

Read more

किसान आंदोलन पर क्या मोदी और आरएसएस में मतभेद है?

रविकान्त  तीन अंक को अशुभ मानने वाले संघ ने आज़ादी के बाद दशकों तक तिरंगा नहीं फहराया। लेकिन छद्म राष्ट्रवाद के ज़रिए राष्ट्रीय राजनीति में दाखिल होने के लिए संघ ने पहले मजबूरी में तिरंगे को अपनाया और सत्ता में आते ही भगवा को आगे बढ़ा दिया। मोदी सरकार में खुलकर बीजेपी की रैलियों, उसके…

Read more

हिंसा के पीछे दीप सिद्धू, केंद्रीय एजेंसियों पर आरोप क्यों?

ट्रैक्टर रैली के दौरान मंगलवार को जो हिंसा हुई उससे पहले सिंघु बॉर्डर पर किसानों के बीच क्या हुआ था? क्या कोई योजना बनी थी और यदि बनाई थी तो किसने? क्या इसमें केंद्र सरकार की एजेंसियों का हाथ था और क्या पंजाबी फ़िल्मों के अभिनेता दीप सिद्धू ने इसमें अहम भूमिका निभाई? ये सवाल…

Read more

आरके लक्ष्मण : जिनकी रेखाएं हमारे चेहरे की धूल बुहारती थीं- प्रियदर्शन

लक्ष्मण को जो भारत मिला, वह कई मायनों में बहुत सहनशील था. तब राजनीति और विचारधाराएं व्यंग्य का बुरा नहीं मानती थीं और कार्टूनों पर हंसने का सलीका जानती थीं ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के एक कोने में बैठा उनका कॉमन मैन बरसों नहीं, दशकों तक सबको कभी गुदगुदाता, कभी नाराज़ करता रहा, समाज, राजनीति और…

Read more

नेताजी हमसे पूछते हैं, तुमने मर्यादा का कौन सा मान कायम किया?- अपूर्वानंद

एक राज्य की मुख्यमंत्री ने देश के प्रधानमंत्री को मर्यादा का ध्यान दिलाया। अवसर बड़ा था। सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती का। एक ऐसे व्यक्ति के स्मरण का जिसने खुद को देश के लिए क़ुर्बान कर दिया। ऐसे व्यक्ति की स्मृति ही एक मर्यादा बाँध देती है। आपके बेलगाम आवेग, आपकी आत्मग्रस्तता को कुछ…

Read more

कृष्णा सोबती: लोकतंत्र की हिफाजत में प्रतिरोध की एक बुलंद आवाज

अमरीक सिंह कृष्णा सोबती उन लोगों में शामिल नहीं थीं जो यह मानते हैं कि एक लेखक का काम सिर्फ लिखना होता है साहित्य-संस्कृति के इतिहास ने कृष्णा सोबती के नाम बहुत कुछ दर्ज किया है. उनके लिखे अल्फाज जिंदगी के हर अंधेरे कोने में दिया बनके कंदीलें जलाने को तत्पर मिलते हैं. फूलों को…

Read more

बंगाल का सामूहिक विवेक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और भाजपा के मंसूबे

अनिल जैन नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर वरिष्ठ पत्रकार अनिल जैन बंगाल और बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की चुनावी राजनीति का विश्लेषण कर रहे हैं।   भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दावा रहा है कि वह ‘पार्टी विद डिफरेंस’ यानी दूसरे दलों से अलग है। उसका यह दावा सही भी…

Read more

आरएसएस से उलट नेताजी मुग़ल काल को भारत का स्वर्ण काल मानते थे

उग्र हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी भले ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अपना साबित करने और उनकी विरासत को हड़पने की कोशिश कर रही हो, सच यह है कि मुसलमानों पर सुभाष बाबू की राय बीजेपी की राय से बिल्कुल अलग थी।  ‘द इंडियन स्ट्रगल’ इसे नेताजी की अधूरी किताब ‘द…

Read more

भगत सिंह की नजर में सुभाष चंद्र बोस संकीर्ण और नेहरू दूरदृष्टि वाले क्रांतिकारी थे – अपूर्वानंद

आम धारणा है कि भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस की राजनीतिक सोच एक ही थी जबकि बोस और नेहरू, आजादी से पहले वाले भारत की राजनीति के दो विपरीत ध्रुव थे. एक बड़ा वर्ग है जो मानता है कि नेहरू ने आराम की जिंदगी जी थी जबकि बोस ने पहले इंडियन सिविल सर्विस की…

Read more

‘तांडव’ हिंदू विरोधी नहीं बल्कि कुछ जगहों पर प्रो-हिंदू है

शुभम उपाध्याय भगवान शिव वाले सीन से जुड़े अनावश्यक विवाद में कोई तांडव के उस पक्ष की ओर क्यों नहीं देखता जो प्रो-हिंदू है? एक लोकतांत्रिक किरदार जिसका नाम शिवा है वह अपनी पार्टी खड़ी करते वक्त कहता है कि ‘हम सबके अंदर एक गुस्सा है. बहुत सारा गुस्सा… और मेरा तो नाम ही शिवा…

Read more