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Year: 2021

लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं और कश्मीर की गुत्थी -राम पुनियानी

सन 2019 के पांच अगस्त को राष्ट्रपति ने एक अध्यादेश जारी कर कश्मीर को स्वायत्तता प्रदान करनी वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया. यह अनुच्छेद कश्मीर के भारत में विलय का आधार था और कश्मीर को रक्षा, संचार, मुद्रा और विदेशी मामलों के अतिरिक्त अन्य सभी क्षेत्रों में स्वात्तता प्रदान करता था….

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फिल्म और कलम उनके लिए क्रांति के औजार थे – विनीत तिवारी

महान फिल्म निर्देशक, फिल्म-लेखक, कहानीकार-उपन्यासकार, पत्रकार कितनी ही प्रतिभाओं के धनी ख्वाजा अहमद अब्बास की रचनात्मकता और सामाजिक चिंताओं को उनकी फ़िल्मों के माध्यम से समझने के लिए भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की केन्द्रीय इकाई ने 3 जुलाई 2021 को ज़ूम के माध्यम से एक कार्यक्रम श्रृंखला की शुरुआत की।  कार्यक्रम में सीएसडीएस, दिल्ली…

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भारत में बुद्धिजीवियों के लिए इतनी नफरत क्यों दिखने लगी है?

विकास बहुगुणा  इन दिनों समाज के एक बड़े तबके में बुद्धिजीवी निंदा और कटाक्ष का विषय हैं  ‘एक वक्त था, जब मूर्ख होना गाली था. अब बुद्धिजीवी होना गाली है…. बात गाली तक होती तब भी ठीक था. समाज में बुद्धिजीवियों से नफरत इस तरह है कि उन्हें मिटाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं.’एक व्यंग्य में…

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On Restoring Growth of Indian Economy

by Atul Sarma & Shyam Sunder In one of her interviews with the media around the release of the fourth quarter growth of 2020-21 at 1.6% by the NSO, the Finance Minister asserted that all that need to be done for restoring growth has already been done in terms of budget proposals under Union Budget…

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क्यों पूंजीपति भी अब कैश ट्रांसफर पर ज़ोर दे रहे हैं

प्रभात पटनायक ऐसा नहीं है कि पूंजीपतियों के दिलों में अचानक जनता के लिए बड़ा प्यार उमड़ आया है। बात सिर्फ इतनी है कि वे इतने जमीन पर रहने वाले तथा यथार्थवादी हैं कि वे इस सच्चाई को देख सकते हैं कि अर्थव्यवस्था में नयी जान डालने के लिए, जनता के हक में नकदी हस्तांतरण…

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कई दस्तावेज़ी सबूत हैं कि आरएसएस ने आपातकाल का समर्थन किया था!

अनिल जैन इंदिरा गांधी और आचार्य विनोबा भावे को लिखे देवरस के पत्रों से यह तो जाहिर होता ही है कि आरएसएस आधिकारिक तौर पर आपातकाल विरोधी संघर्ष में शामिल नहीं था। हाल ही में आपातकाल की 46वीं बरसी के मौके पर कई लोगों ने मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए भारतीय लोकतंत्र के उस त्रासद…

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क्यों सरकार को प्रस्तावित चलचित्र (संशोधन) अधिनियम, 2021 वापस लेना चाहिए?

सिद्धार्थ चतुर्वेदी संशोधन विधेयक के मसौदे में जिन बदलावों का प्रस्ताव दिया गया है, उनसे ना तो नियमक अनुपालन सरल हो रहे हैं और ना ही फ़िल्म निर्माण के ज़रिये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सशक्त किया जा रहा है।18 जून को केंद्र सरकार ने मौजूदा सिनेमेटोग्राफ़ी एक्ट, 1952 में नए संशोधनों का प्रस्ताव सार्वजनिक किया…

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सीरिया और इराक़ में अमेरिकी हवाई हमले में एक बच्चे की मौत, तीन अन्य घायल

पांच महीनों में यह दूसरी बार था जब राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सत्ता में आने के बाद इस तरह के हमलों का निर्देश दिया। बाइडेन ने इस क्षेत्र के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुक़ाबले अलग वादा किया था।पश्चिम एशिया में अपनी आक्रामक नीतियों को जारी रखते हुए अमेरिकी सेना ने सोमवार 28 जून…

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आगे जनता के सामने विकल्प क्या ? – राम पुनियानी

आज के भारत की तुलना एक दशक पहले के भारत से करने पर हैरानी होती है. लोकसभा (2014) में भाजपा के बहुमत हासिल करने से राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक परिदृश्य में प्रतिकूल परिवर्तन हुए हैं. देश के नागरिकों के एक बड़े हिस्से में व्यापक असंतोष के बाद भी पार्टी न केवल केन्द्र में सत्ता पर…

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नए आईटी क़ानून मानवाधिकारों का उल्लंघन- संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूतों का भारत सरकार को पत्र

संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूतों ने भारत सरकार को पत्र लिखकर सोशल मीडिया इंटरमी‌डियरियों , स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और डिजिटल समाचार माध्यमों को विनियमित करने के लिए अधिसूचित नए आईटी नियमों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने भारत सरकार से मानव अधिकारों को सीमित करने या उल्लंघन करने के कारण सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और…

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